स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत : जे एस मिल » Pratiyogita Today

स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत : जे एस मिल

इस आर्टिकल में जे एस मिल द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्रता के हानि सिद्धांत को स्पष्ट किया गया है। जे एस मिल की स्वतंत्रता संबंधित अवधारणा एवं स्वतंत्रता संबंधी विचारों, स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत क्या है, हानि सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता पर कब प्रतिबंध लगाया जाना उचित है आदि के बारे में चर्चा की गई है।

जे एस मिल अपने निबंध ऑन लिबर्टी (On Liberty) में स्वतंत्रता पर कौन-कौन से प्रतिबंध सही हैं और कौन-सा सही नहीं है। यही स्वतंत्रता का हानी सिद्धांत है। किसी के कार्य करने की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का इकलौता लक्ष्य आत्मरक्षा है। सभ्य समाज के किसी सदस्य की इच्छा के खिलाफ शक्ति के औचित्यपूर्ण प्रयोग का एकमात्र लक्ष्य या उद्देश्य अन्य को हानि से बचाना हो सकता है।

जे एस मिल के अनुसार दो प्रकार की स्वतंत्रता

(।) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

(॥) कार्य की स्वतंत्रता।

मिल का विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विषय अहस्तक्षेप के लघुतम क्षेत्र से जुड़ा हुआ माना जाता है। मिल इसके पक्ष में तर्क देते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रतिबंधित नहीं होनी चाहिए।

मिल को मनुष्य की स्वतंत्रता से इतना गहरा लगाव था कि उसने अपनी विचार प्रणाली के अंतर्गत स्वतंत्रता को उपयोगितावाद का सर्वोपरि सिद्धांत बना दिया।

मिल के अनुसार जिसने एक बार स्वतंत्रता का स्वाद चख लिया हो उसे और कोई स्वाद अच्छा नहीं लगेगा। स्वतंत्रता के साथ इस लगाव का मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने अपने ढंग से सुख को ढूंढने और पाने का अवसर देना होगा।

ऐसी हालत में ऐसी सामान्य नीति निर्धारित करना कठिन हो जाएगा जिसमें अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख निहित हो। फिर यदि कोई ऐसी नीति बना दी जाए जो उसमें बहुमत की संतुष्टि के लिए अल्पमत की स्वतंत्रता का दमन कर दिया जाएगा यह स्थिति मिल को स्वीकार नहीं होगी।

अतः उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के क्षेत्र में सामान्य उपयोगितावादी दृष्टिकोण से हटकर व्यक्ति की गरिमा और नैतिक मूल्यवत्ता को पूरी मान्यता दी है। उसने तर्क दिया है कि यदि एक व्यक्ति की राय पूरे समाज से भिन्न हो तो पूरे समाज को यह अधिकार नहीं है कि वह उस अकेले व्यक्ति को चुप करा दे।

जे एस मिल का एक महत्वपूर्ण विभेद : कार्य करने की स्वतंत्रता से संबंधित

स्वसंबंध – व्यक्ति के कार्यों में राज्य या बाहरी सता कोई हस्तक्षेप ना करें।

परसंबंध – व्यक्ति के कार्यों में अन्य को हानि होने पर हस्तक्षेप या प्रतिबंध जरूरी है। इस संबंध में मिल का कहना है कि एकमात्र उद्देश्य व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप में मानव जाति को अपने किसी सदस्य के कार्य की स्वतंत्रता मैं हस्तक्षेप करने की अनुमति है, वह है – आत्मरक्षा

एकमात्र प्रयोजन जिसके लिए सभ्य समाज के किसी सदस्य पर उसकी इच्छा के विरुद्ध औचित्यपूर्ण शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है, वह है दूसरे कि स्वतंत्रता कि होने वाली क्षति को रोकना उसका अपना कल्याण चाहे मौलिक हो अथवा नैतिक पर्याप्त आदेश नहीं है। जे एस मिल के अनुसार, “स्वयं अपने पर,अपने शरीर पर तथा मस्तिष्क पर व्यक्ति संप्रभु संपन्न है।”

हानि सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता पर कब प्रतिबंध लगाया जाना उचित है।

जे एस मिल के हानि सिद्धांत (Harm Theory of Liberty) के अनुसार स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना तब उचित होगा जब किसी एक व्यक्ति के कार्य द्वारा अन्य व्यक्ति को हानि होने लगे। व्यक्ति के द्वारा किए गए पर संबंधी कार्य के कारण दूसरों को हानि होने की संभावना होती है और ऐसी स्थिति में आत्मरक्षा हेतु व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जाना उचित है ताकि दूसरों को हानि ना हो सके।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q. स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत किसने दिया था ?

Ans : स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत जे एस मिल ने दिया था।

Q. जे एस मिल का हानि सिद्धांत क्या है ?

Ans : जे एस मिल अपने निबंध ऑन लिबर्टी (On Liberty) में स्वतंत्रता पर कौन-कौन से प्रतिबंध सही हैं और कौन-सा सही नहीं है। यही स्वतंत्रता का हानी सिद्धांत है।

Q. हानि सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता पर कब प्रतिबंध लगाया जाना उचित है ?

Ans : जे एस मिल के हानि सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना तब उचित होगा जब किसी एक व्यक्ति के कार्य द्वारा अन्य व्यक्ति को हानि होने लगे।

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About Mahender Kumar

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