शैक्षिक मूल्यांकन के प्रकार (Types of Evaluation)
मूल्यांकन की प्रविधियां अथवा मूल्यांकन के प्रकारों को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है –
• मूल्यांकन के प्रकार
1. परिमाणात्मक मूल्यांकन (Quantitative Evaluation)
2. गुणात्मक मूल्यांकन (Qualitative Evaluation)
आज हम परिमाणात्मक मूल्यांकन (Quantitative Evaluation) के बारे में चर्चा करेंगे जिसके अंतर्गत मौखिक परीक्षा, लिखित परीक्षा और प्रयोगात्मक परीक्षा सम्मिलित रहती है।
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Types of Evaluation/ Techniques |
• परिमाणात्मक मूल्यांकन Quantitative Evaluation
विद्यालय स्तर पर ली जाने वाली परीक्षा की प्रविधियां परिमाणात्मक होती है। इन प्रविधियों के परिणाम संख्यात्मक अथवा परिमाणात्मक होते हैं जो प्राय बालकों के उपलब्धि ज्ञात करने से संबंधित होते हैं। इनमें निम्न परीक्षाएं आती हैं- मौखिक परीक्षा, लिखित परीक्षा और प्रयोगात्मक परीक्षा।
• मौखिक परीक्षा Oral Test
मौखिक परीक्षाओं में प्रश्न, वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा नाटक आदि को लिया जा सकता है। प्राचीन काल में मूल्यांकन की यही तकनीक प्रयोग में लाई जाती थी, जब मुद्रण तकनीकी का जन्म नहीं हुआ था।
ऐसा माना जाता है कि मौखिक परीक्षा का सर्वप्रथम प्रयोग ग्लेडाइट्स ने किया था। तत्पश्चात सुप्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक सुकरात (Socrates) ने इस प्रणाली का शुभारंभ किया।
मौखिक परीक्षाओं में परीक्षक और परीक्षार्थी प्रत्यक्ष रूप से अंतः क्रिया करते हैं। इन परीक्षाओं का उद्देश्य मौखिक प्रश्नों के माध्यम से बालकों की अभिव्यक्ति और क्रियाशीलता की जांच करना होता है।
छोटी कक्षाओं के लिए आज भी इन परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है किंतु आज बड़े स्तर पर भी इनका प्रयोग सामान्यतः हो रहा है, जैसे- बड़ी कक्षा में प्रवेश के समय साक्षात्कार (Interview) एवं उच्च स्तर पर वाइवा (मौखिक) आदि में इन का प्रचलन शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा है।
• लिखित परीक्षा Written Test
मौखिक परीक्षाओं के बाद लिखित परीक्षाओं का शुभारंभ हुआ। मापन के क्षेत्र में यह परीक्षाएं महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इनके दो रूप प्रचलित है- निबंधात्मक परीक्षा और वस्तुनिष्ठ परीक्षा।
* निबंधात्मक परीक्षा Essay Type Test
निबंधात्मक परीक्षा में छात्र विस्तार से प्रश्नों के उत्तर लिखता है। निबंधात्मक परीक्षाएं ईसा से 2000 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम चीन (China) में प्रारंभ हुई, जब लोक सेवा आयोग द्वारा ऐसे व्यक्तियों को चयनित किया जाता था जो निबंधात्मक रूप से प्रश्नों के उत्तर लिख सकते थे।
निबंधात्मक परीक्षाओं के द्वारा ज्ञानात्मक अधिगम को मापा जा सकता है। इनकी रचना करना सरल होता है और मूल्यांकन प्रक्रिया में इनका अपना महत्व है। इनके द्वारा समस्या का अध्ययन लेखनशैली, छात्रों की रुचि, ज्ञान की जांच, विषयगत कमजोरी का पता चलता है।
* वस्तुनिष्ठ परीक्षा Objective Type Test
ये परीक्षाएं वैध, वस्तुनिष्ठ तथा उपयोगी होती है। इन परीक्षाओं में उत्तर लिखने का तरीका अति सरल और संक्षिप्त होता है। इन्हें प्रामाणिक बनाया जा सकता है।
स्टैनले तथा रॉस के अनुसार, वस्तुनिष्ठ परीक्षा के निर्माण के 4 सोपान हैं-
1. नियोजन
2. पदों की रचना करना
3. परीक्षा की जांच करना
4. मूल्यांकन।
वस्तुनिष्ट परीक्षाएं दो प्रकार की है –
1. प्रत्ययाभिज्ञान रूप तथा
2. प्रत्यास्मरण रूप।
√ प्रत्याभिज्ञान रूप Recognition Type प्रत्याभिज्ञान रूप के प्रश्नों में कई संभावित उत्तर दिए जाते हैं और छात्र को उनमें से एक सही उत्तर का चयन करना होता है। इसके द्वारा छात्र की पहचानने की शक्ति की परीक्षा होती है।
इस प्रकार के प्रत्याभिज्ञान रूप के पांच प्रकार हैं जिन्हें निम्न 5 रूपों में स्पष्ट किया जा सकता है –
1. एकांतर अनुक्रिया रूप Alternative Response Type
इन्हें सत्य/असत्य रूप भी कहा जा सकता है। इनमें कुछ कथन दिए जाते हैं जो सही तथा गलत होते हैं ।छात्रों को दो विकल्पों में से एक को अंकित करना होता है।
इस प्रकार के प्रश्नों की रचना करना सरल होता है। इनका अंकन करना सरल होता है तथा कम समय में अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए –
निर्देश – निम्नलिखित कथनों में यदि सही हो तो सत्य और गलत हो तो असत्य को सही (√) से चिन्हित कीजिए-
प्रश्न : ‘कार्य ही पूजा है’ यह कथन गीता का है।
सत्य/असत्य
प्रश्न : भूमंडलीकरण वास्तव में व्यापार के क्षेत्र में चल रही एक प्रक्रिया है।
सत्य/असत्य
2. बहु निर्वाचन रूप Multiple Choice Type
इस प्रकार के प्रश्नों में एक कथन के लिए कई उत्तर दिए हुए होते हैं जिनमें से सबसे सही उत्तर का चयन करना होता है।
ऐसे प्रश्नों में वस्तुनिष्ठता अधिक पाई जाती है। तर्कपूर्ण चिंतन एवं सूझ की क्षमता की परीक्षा होती है तथा ऐसे प्रश्नों में अनुमान की संभावना कम होती है। उदाहरण के लिए –
निर्देश – निम्नलिखित कथनों के 4 संभावित उत्तर दिए गए हैं इनमें से सही उत्तर को सही से चिन्हित कीजिए – प्रश्न : भारत की राजधानी है-
(अ) लखनऊ (ब) मुंबई (स) दिल्ली (द) कोलकाता प्रश्न : बुनियादी अथवा आधारभूत शिक्षण प्रतिमान के प्रतिपादक है –
(अ) रिचर्ड सचमैन (ब) ब्लूम (स) रॉबर्ट ग्लेसर (द) आसुबेल
3. समानता रूप Maching Type
ऐसे प्रश्नों को 2 स्तंभों में लिखा जाता है। एक स्तंभ में कुछ प्रश्न दिए जाते हैं और दूसरे स्तंभ में उनके उत्तर दिए जाते हैं जिन्हें क्रमबद्ध रूप से नहीं रखा जाता है। छात्र को सही उत्तर का चयन करना होता है।
पहले स्तंभ की तुलना में दूसरे स्थान में अधिक कथन दिए जाते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों की रचना करना सरल होता है। इनका अंकन करना भी सरल होता है।
लिंडक्विस्ट के मत में ऐसे प्रश्न कब, क्या, कौन आदि परिस्थितियों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं। उदाहरण के लिए – निर्देश : प्रश्न 2 स्तंभों में प्रस्तुत है। प्रथम स्तंभ में कुछ प्रश्न है और द्वितीय स्तंभ में उनके उत्तर दिए गए हैं जो क्रम में नहीं है। द्वित्तीय स्तंभ के सही खंड के शब्द को प्रथम स्तम्भ के रिक्त स्थान में अंकित कीजिए –
स्तंभ ‘अ’ स्तंभ ‘ब’
महात्मा गांधी का जन्म (….) आगरा
रिजर्व बैंक का मुख्यालय (….) दिल्ली
भारतीय संसद भवन (….) जयपुर
गुलाबी नगरी (….) पोरबंदर
ताज महल (….) मुंबई
हैदराबाद
4. वर्गीकरण रूप Classification Type
इस प्रकार के मूल्यांकन में कुछ शब्द संगतता लिए हुए होते हैं। लेकिन उनमें से एक शब्द असंगत होता है। छात्रों को उस असंगत शब्द का चयन करना होता है।
इस प्रकार के प्रश्नों का उद्देश्य छात्रों की विभेदीकरण की क्षमता को जानना होता है। उदाहरण के लिए –
निर्देश – निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में 5 शब्द दिए गए हैं। प्रत्येक समूह में एक शब्द अन्य से भिन्न है। उसका चयन करके रेखांकित कीजिए-
प्रश्न : लखनऊ, पुणे, भोपाल, पटना, जयपुर
प्रश्न : गाय, भैंस, कौवा, ऊंट, घोड़ा
5. सादृश्य अनुभव रूप Analogy Type
इस प्रकार के प्रश्नों में दो समान परिस्थितियां प्रस्तुत की जाती है। पहली परिस्थिति के आधार पर समानता के संबंध को स्थापित करते हुए दूसरी परिस्थिति को पूर्ण किया जाता है।
इस प्रकार के प्रश्नों में तार्किक क्षमता एवं अंतर्दृष्टि का मापन किया जाता है। उदाहरण के लिए –
निर्देश – निम्नलिखित प्रश्नों में दो परिस्थितियां प्रस्तुत की गई है। दूसरी परिस्थिति अपूर्ण है। प्रथम के आधार पर दूसरे की पूर्ति कीजिए –
प्रश्न : उत्तर प्रदेश : लखनऊ :: मध्य प्रदेश : ….
प्रश्न : थार्नडाइक : संबंधवाद :: पावलव : ….
प्रश्न : मनोविश्लेषणवादी : सिगमंड फ्रायड :: व्यवहारवादी : ….
प्रश्न : तुलसीदास : अवधी भाषा :: सूरदास : ….
* प्रत्यास्मरण रूप Recall Type
प्रत्यास्मरण का अर्थ है – प्रति + स्मरण अर्थात पुनः स्मरण दिलाना। इस प्रकार के प्रश्नों में विषय से संबंधित सूचनाओं को पुनः स्मरण करके उनको दिए जाते हैं – यह दो प्रकार के होते हैं –
१.सामान्य प्रत्यास्मरण रूप Simple Recall Type
इसमें साधारण प्रश्न पूछा जाता है। इस प्रकार के प्रश्नों में अनुमान की संभावना नहीं होती। प्रश्न का स्वरूप इस प्रकार का होता है कि उसका एक ही विशिष्ट उत्तर होता है।
उदाहरण के लिए –
निर्देश – नीचे कुछ प्रश्न दिए गए हैं जिनके उत्तर सामने दिए गए रिक्त स्थान में दीजिए।
प्रश्न : फ्रोबेल ने कौनसी शिक्षण पद्धति को महत्व दिया ? (……)
प्रश्न : ‘त्रिभाषा सूत्र’ के अंतर्गत भाषा पढ़ाने पर आग्रह है ? (…….)
२. रिक्त स्थान पूर्ति रूप Completion Type
इस प्रकार के प्रश्न अपूर्ण कथन अथवा वाक्य के रूप में होते हैं। प्रत्यास्मरण के आधार पर छात्र रिक्त स्थानों की करता है। ऐसे प्रश्नों में अनुमान से सही उत्तर नहीं दिया जा सकता।
छात्र प्रश्न का उत्तर देने के लिए स्वतंत्र होता है। इनकी रचना करना और अंकन करना सरल होता है। रिक्त स्थान के लिए एक ही सही शब्द होता है। उदाहरण के लिए –
निर्देश – निम्नलिखित कथनों में छोड़े गए रिक्त स्थान की पूर्ति उपयुक्त शब्द द्वारा कीजिए –
प्रश्न : अधिगम के क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के प्रतिपादक ….. है।
प्रश्न : व्यवहारवादी मनोविज्ञान के प्रणेता …. है।
• प्रयोगात्मक परीक्षा Practical Test
इन परीक्षाओं में छात्रों को लिखित में उत्तर नहीं देने होते, अपितु निर्धारित कार्य को पूरा करना होता है। छात्र को अपने द्वारा किए गए कार्य को नमूने के रूप में परीक्षक के सम्मुख प्रस्तुत करना होता है और परीक्षक द्वारा उसके प्रायोगिक कौशल की जांच करके उसका मूल्यांकन किया जाता है।
विज्ञान, भूगोल, गृह विज्ञान, कला, क्राफ्ट, कृषि एवं संगीत आदि में इस प्रकार की परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है। गणित में ज्यामिति, त्रिकोणमिति आदि में भी प्रायोगिक कार्य किया जाता है।