• राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 (National Curriculum Framework 2005)
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (ncf-2005) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) नई दिल्ली के तत्वावधान में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2000 की समीक्षा हेतु प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय संचालन समिति (कुल 38 सदस्य) (National steering committee) और इक्कीस राष्ट्रीय फोकस समूहों का गठन किया गया। ncf-2005 को बनने का कार्य NCERT के तत्कालीन निदेशक प्रो. कृष्ण कुमार के नेतृत्व में 21 आधार पत्रों के साथ संपन्न हुआ।
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N C F 2005 |
इस दस्तावेज में कुल 5 अध्याय है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 NCF 2005 का अनुवाद संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गईं सभी भाषाओं में किया गया है।
इस समिति ने पाठ्यक्रम को अधिक व्यवहारिक बनाने पर जोर दिया। इसमें शिक्षा को बाल केंद्रित बनाने, रटंत प्रणाली से मुक्ति दिलाने, परीक्षा प्रणाली में सुधार करने और लिंग, जाति, धर्म आदि आधारों पर होने वाले भेदभाव को समाप्त करने की बात कही गई है।
ncf-2005 का मुख्य सूत्र लर्निंग विदाउट बर्डन (learning without burden) है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 का मुख्य उद्देश्य बच्चों के स्कूली जीवन को बाहर के जीवन से जोड़ना है।। यह सिद्धांत किताबी ज्ञान की उस विरासत के विपरीत है जिसके प्रभावंश हमारी व्यवस्था आज तक स्कूल और घर के बीच अंतराल बनाए हुए हैं।
V – Vocational (व्यावसायिक)
E – Education (शिक्षा)
T – Training (प्रशिक्षण)
• NCF 2005 दस्तावेज के 5 अध्याय
• ncf-2005 के 5 मार्गदर्शक सिद्धांत
1. ज्ञान को विद्यालय के बाहरी जीवन से जोड़ना।
2. शिक्षा रटन्त प्रणाली से मुक्त हो, यह सुनिश्चित करना।
3. पाठ्यचर्या का इस तरह संवर्धन हो कि वह बच्चों के चहुँमुखी विकास के अवसर उपलब्ध करवाना बजाए इसके कि वह पाठ्य पुस्तक केंद्रित बनकर रह जाये।
4. परीक्षा को और अधिक लचीला बनाना और कक्षा-कक्ष की गतिविधियों से जोड़ना। परीक्षाा में सुधार हेतु सुझाव – कक्षा 10 की परीक्षा ऐच्छिक होनी चाहिए।
5. एक ऐसी अधिभावी पहचान का विकास करना जिसमें लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय चिंताएं सम्मिलित हों।
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Image Source – NCERT Nishtha Module |
• ncf-2005 के विषय क्षेत्र
1. भाषा
भाषा शिक्षा (भाषा शिक्षण बहुुुुुुुभाषिक होना चाहिए)
घरेलू/प्रथम भाषा या मातृभाषा
पढ़ना-लिखना सीखना
2. गणित
स्कूली गणित का दर्शन
कंप्यूटर विज्ञान
3. विज्ञान
4. सामाजिक विज्ञान
1. कला और पारंपरिक दस्तकारियां (कला और विरासत शिल्प)
2. स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा
3. व्यावसायिक शिक्षा (काम शिक्षा)
4. शांति के लिए शिक्षा
• ncf-2005 और सामाजिक विज्ञान विषय
* सामाजिक विज्ञान में अवधारणाओं को विकसित करने के लिए उपयोग की जाने वाली विधियां प्रमुख विशेषताओं को सूचीबद्ध करती हैं। क्योंकि इसमें इतिहास शामिल है जो हमारी संस्कृति, राजनीतिक विज्ञान जो भारत के संविधान के बारे में बताता है। भूगोल जो पर्यावरण और अर्थशास्त्र जो भारत की आर्थिक स्थितियों के बारे में बताता है।
* सामाजिक विज्ञान में उच्च प्राथमिक स्तर पर भूगोल, इतिहास, राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र शामिल हैं।
* एनसीएफ 2005 के अनुसार, सामाजिक विज्ञान में शिक्षा का उद्देश्य छात्र को सामाजिक-राजनीतिक हकीकत का विश्लेषण करने में सक्षम होना चाहिए ताकि वे समाज में लोगों, सरकार, मीडिया की भूमिका को समझ सकें।
* एक सामाजिक विज्ञान शिक्षक को प्रभावी होने के लिए विचार उत्तेजक और रोचक गतिविधियों द्वारा छात्रों की भागीदारी में वृद्धि को नियोजित करना चाहिए।
• ncf-2005 की विशेषताएं
ncf-2005 की सिफारिशें
1. प्राथमिक स्तर की शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए तथा इसके पश्चात आवश्यकतानुसार अन्य भाषाएं सीखी जा सकती है।
2. पाठ्यक्रम निर्माण में अभिभावकों के हितों और समझ को महत्व।
3. विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि जागृत करने को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाए ताकि शिक्षा रुचि प्रद हो सके।
4. ncf-2005 में राष्ट्रीय एकता पर पर्याप्त बल दिया गया है।
5. बिना बोझ के अधिगम कार्यक्रम को शामिल किया गया है।
6. छात्रों के स्वतंत्र विकास हेतु प्रावधान किया गया है।
7. बालक को परीक्षा के बोझ से मुक्त करते हुए मासिक एवं वार्षिक परीक्षा का प्रावधान जिससे छात्रों की परीक्षा के प्रति रुचि विकसित हो सके।
8. पर्यावरण शिक्षा पर पर्याप्त बल।
9. शिक्षा को व्यवसायोन्मुखी बनाने का प्रयास।
10. ncf-2005 स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर कला शिक्षा विषय को लागू करना चाहता है। कला शिक्षा को विद्यालय से जोड़ने का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा करना तथा छात्रों के व्यक्तित्व और मानसिक स्वास्थ्य को विकसित करना है।
11. ncf-2005 के अनुसार ज्ञान की प्रक्रिया में समुदाय की साझेदारी जरूरी है।
12. करके सिखने पर बल (learning by doing)
13. राष्ट्रीय महत्व के बिन्दुओं को पाठ्यक्रम में शामिल।
14. सहशैक्षिक गतिविधियों में छात्रों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाना चाहिए।
15. पुस्तकालय में छात्रोंं को खुद पुस्तक का चुनाव करने का मौका दें।
16. दंड व पुरस्कार की भावना को सीमित रूप में प्रयोग करना चाहिए।
17. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मनोरंजन के स्थान पर सौन्दर्यबोध को बढ़ावा देना चाहिए।
18. अध्यापकों के प्रशिक्षण और विद्यार्थियों के मूल्यांकन को सतत आकलन के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
19. अध्यापकों को अकादमिक संसाधन व नवाचार आदि समय-समय पर पहुँचाएँ जाएँ।
20. छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों को सख्त सन्देश दिया जाना चाहिए कि छात्रों को छोटी उम्र में कुशल बनाने की आकांक्षा रखना गलत है।
21. सूचना (information) को ज्ञान (knowledge) मानने से बचना चाहिए।
22. विशाल पाठ्यक्रम व मोटी-मोटी पुस्तकेंं शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है।
23. एनसीएफ 2005 का मानना है कि पाठ्यपुस्तकों को समाज के स्वीकृत मूल्यों को लागू करने के लिए एक माध्यम के रूप में देखा जाना चाहिए।
24. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 के अनुसार सीखना अपने चरित्र में सक्रिय और सामाजिक है।
• ncf-2005 की आवश्यकता / महत्व
1. छात्रों की आवश्यकता एवं रूचि के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण।
2. पाठ्यक्रम निर्माण में अध्यापक की सहायता।
3. शिक्षण विधियों में सुधार और विकास हेतु।
4. अभिभावकों को संतुष्टि प्रदान करने हेतु।
5. पाठ्यक्रम में नवीन तथ्यों एवं शोधों के निष्कर्षों को शामिल करने हेतु।
6. कक्षा कक्ष शिक्षण को प्रभावशाली बनाने हेतु।
7. भाषा की समस्या के निराकरण हेतु।
8. नैतिक एवं मानवीय मूल्य में वृद्धि करने हेतु।
9. शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु।
• ncf-2005 के सिद्धांत
1. रूचि का सिद्धांत
शिक्षक द्वारा शिक्षण कार्य करने एवं विद्यार्थी द्वारा उसे सही समझने के लिए रुचि का होना आवश्यक है। अतः रुचि को विशेष महत्व देते हुए ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है।
2. मानवता का सिद्धांत
मानवीय मूल्यों के विकास को प्राथमिकता देना राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का एक अत्यावश्यक लक्ष्य है। इसलिए पाठ्यक्रम में शुरू में ही ऐसे प्रकरणों का समावेश किया गया है जिससे विद्यार्थी में प्रेम, परोपकार, सहिष्णुता, सहयोग की भावना का विकास हो सके।
3. एकता का सिद्धांत
समाज में निहित धर्म, संस्कृति एवं परंपराओं को एक सूत्र में बांधते हुए एवं सांप्रदायिक सद्भाव को ध्यान में रखते हुए ही पाठ्यक्रम का विकास किया गया है। पाठ्यक्रम में भाषा समस्या के निदान हेतु भी प्रयास किया गया है।
4. नैतिकता का सिद्धांत
पाठ्यक्रम में प्रारंभिक स्तर पर ही प्रेरणादायक कहानियों एवं कविताओं के माध्यम से बालकों में नैतिकता के विकास को महत्व दिया गया है।
5. सामाजिकता का सिद्धांत
6. उपयोगिता का सिद्धांत
7. संतुलित विकास का सिद्धांत।
• ncf-2005 के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत
* सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में सह संबंधित
* बाल केंद्रित पाठ्यक्रम
* उच्च कक्षाओं की आवश्यकता पूर्ति का सिद्धांत
* उपयोगिता का सिद्धांत
* लचीला पाठ्यक्रम
* विभिन्न स्तरों के अनुसार पाठ्यक्रम
* रोचक पाठ्य सामग्री का सिद्धांत
* विषयों से सह संबंधित
* क्रियाशीलता का सिद्धांत
* क्रमबद्धता का सिद्धांत
* मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुरूप पाठ्यक्रम
* विज्ञान विषय के वैज्ञानिकों का पाठ्यक्रम
* सृजनात्मकता का सिद्धांत
* व्यापक एवं संतुलन का सिद्धांत
• ncf-2005 के दोष / बाधाएं
1. यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाना।
2. पाठ्यक्रम का उचित क्रियान्वयन नहीं हो पाना।
3. आर्थिक समस्या के कारण कंप्यूटर शिक्षा पर प्रर्याप्त बल नहीं दिया गया।
4. भाषावाद।
• ncf-2005 के लक्ष्य
1. अभिभावकों की आकांक्षाओं की पूर्ति।
2. शिक्षण संसाधनों में समन्वय स्थापित करना।
3. स्तर के अनुकूल शिक्षण विधियों का प्रयोग।
4. अध्यापकों में आत्मविश्वास का विकास।
5. शारीरिक और मानसिक विकास में समन्वय स्थापित करना।
6. विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करते हुए उनमें मानवीय मूल्यों का विकास करना।
7. प्रभावशाली शिक्षण व्यवस्था स्थापित करना।
8. विद्यार्थीयों में पढ़ने के प्रति रुचि जागृत करना।
9. भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं विकास एवं राष्ट्रीय एकता का विकास।
‘NCF 2005 in hindi pdf’ – NCERT NCF 2005 Download
• ncf-2005 में शिक्षक की भूमिका
नेशनल क्रिकुलम फ्रेमवर्क 2005 में शिक्षक विद्यार्थियों के ज्ञान के निर्माण में सहायता कर्ता के रूप में भूमिका निभाता है। शिक्षक, छात्रों को उनकी अपनी समझ और ज्ञान को साझा करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करेंं।
• NCERT, NEP 2020 के हिस्से के रूप में अलग पाठ्यक्रम ढांचा विकसित करेगा
• अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
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Ans. पूर्व प्राथमिक स्तर पर बालक को मातृभाषा में निपुण होना चाहिए। इसके पश्चात् आवश्यकतानुसार अन्य भाषाएँ सीखी जा सकती है। पाठ्यक्रम निर्माण में अभिभावकों के हितों एवं समझ को महत्व दिया गया है। पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रूचि जाग्रत करने को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है ताकि रूचिप्रद हो सकें।
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Ans. इसका मतलब है प्राथमिक स्तर पर राष्ट्रभाषा काम में ली जानी चाहिए।
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Ans. बालकों के लिए संरचित अनुभव एवं पाठ्यक्रम सुधार को अधिक महत्व दिया गया है।
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Ans. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता को मानना, स्त्रियों के प्रति सम्मान एवं जिम्मेदारी के दृष्टिकोण को बढ़ाने वाले कार्यक्रम का आयोजन एवं वृत्त चित्र तथा फिल्मों को एकत्र करना एवं दिखाना जिनके माध्यम से न्याय एवं शांति में वृद्धि हो सके।
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Ans. खुली पुस्तक परीक्षा, सतत एवं व्यापक मूल्यांकन, सामूहिक कार्य मूल्यांकन।
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Ans. सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा करना, छात्रों के व्यक्तित्व और मानसिक स्वास्थ्य को विकसित करना।
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Ans. 1. ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोङना। 2. शिक्षा रटन्त प्रणाली से मुक्त हो, यह सुनिश्चित करना। 3. पाठ्यचर्या का इस तरह संवर्धन हो कि वह बच्चों के चहुँमुखी विकास के अवसर उपलब्ध करवाना बजाए इसके की वह पाठ्यपुस्तक केंद्रित बनकर रह जाये। 4. परीक्षा को और अधिक लचीला बनाना और कक्षा-कक्ष की गतिविधियों से जोड़ना। 5. एक ऐसी अधिभावी पहचान का विकास करना जिसमें लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय चिंताएं सम्मिलित हों।
Very good
Very good, NCF 2005 ki itni achhi jankari dene ke liye thank you
Sukriya ❣️
Thank you for whole information❤️
Thank you 🤩
Danyawad sir