हिंदी साहित्य का आदिकाल | जैन साहित्य » Pratiyogita Today

हिंदी साहित्य का आदिकाल | जैन साहित्य

• हिंदी साहित्य का आदिकालीन जैन साहित्य

जैन मुनियों द्वारा रचित काव्य जैन साहित्य कहलाता है। इन कवियों ने धर्म प्रचार के लिए काव्य रचनाएं लिखी। इन्होंने अपभ्रंश और हिंदी दोनों में लिखा है।

जैन साहित्य में जीवन के प्रति आस्था और दृढ़ता का भाव चित्रित है। जैन साहित्य अहिंसा, करुणा, दया, त्याग और तपस्या पर बल देता है। वह कर्मकांडों पर विश्वास नहीं करता, वह तो उपवास, व्रत तथा कृच्छ साधना पर विशेष बल देता है। वह धर्म, जाति और वर्ण के भेदभाव के बिना सबको मुक्ति का अधिकार देता है।

जैन साहित्य के रचयिता जैन मुनि, जिन्होंने हिंदी भाषा में अपनी धार्मिक रचनाएं प्रस्तुत की। कुछ गृहस्थ जैन कवियों ने व्याकरण आदि ग्रंथों की रचना की थी। जैन कवियों ने हिंदू पुराणों और महाकाव्यों के नायक राम-कष्ण को अपने सिद्धांतों के अनुरूप जैन साहित्य में चित्रित किया है।

उन्होंने लोक प्रचलित विश्वासों और कथाओं को जैन धर्म के रंग में रंगकर व्यक्त किया है। जैन कवि उच्च वर्ग के होते हुए भी किसी वर्ग के प्रति कटुता का भाव नहीं रखते थे। जैन साधुओं ने भारत के पश्चिमी क्षेत्र में हिंदी माध्यम से अपने धर्म का प्रचार किया था।

जैन कवियों ने आचार, रास आदि विविध शैलियों में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। जैन कवियों ने प्रधान, फागू और चरित काव्यों की अधिक रचना की है। उन्होंने तीर्थंकरों और वैष्णव अवतारों की कथाएं ‘रास’ नाम से जैन आदर्शों में डालकर प्रस्तुत की है।

• प्रमुख जैन साहित्यकार

जैन कवियों में स्वयंभू बहुत प्रसिद्ध है। इन्होंने अपने ‘पउम चरिउ’ में रामकथा का वर्णन किया है। पुष्पदंत ने ‘नागकुमार चरित’ और ‘यशोधरा चरित’ की रचना की है। धनपाल ने ‘भविसयत्त कहा’ राम सिंह ने ‘पाहुड़ दोहा’ आचार्य हेमचंद्र ने ‘सिद्ध हेमचंद शब्दानुशासन’ की रचना की है। इसके अतिरिक्त शलीभद्र सूरि, सूर्यसेन सूरी आदि भी प्रसिद्ध जैन साहित्यकार हैं।

• जैन साहित्य की विशेषताएं

1. जैन साहित्य प्रमाणिक रूप से उपलब्ध होता है

2. जैन साहित्य में जैन धर्म के सिद्धांतों को प्रचलित शास्त्रीय तथा लोक कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

3. जैन साहित्य में हिंदुओं के पौराणिक चरित्रों को जैन आदर्शों में ढालकर व्यक्त किया गया है।

4. जैन काव्य में अंतः साधना, उपदेश, नीति, सदाचार पर बल है तथा कर्मकांड का खंडन किया गया है।

5. जैन साहित्यकारों ने प्रबंध और मुक्तक दोनों प्रकार के काव्य लिखे हैं।

6. जिन कवियों ने ‘रास’ नामक काव्यों की रचना करके काव्य में नाट्य, नृत्य, गीतों का समावेश किया है। ये रासो काव्य से सर्वथा भिन्न है।

7. जैन काव्य/ जैन कवियों की रचनाएं आचार, फागु, रास शादी विभिन्न शैलियों में मिलती हैं। जैन कवियों ने ‘रास’ काव्य की रचना की।

8. जैन साहित्य में श्रंगार और वीर रस के साथ शांत रस का भी सुंदर निरूपण किया गया है।

9. जिन कवियों ने हिंदी भाषा में रचनाएं करके उसे लोक भाषा से साहित्य की भाषा का रूप देने में सहयोग किया है। उनकी हिंदी पर अपभ्रंश का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

• प्रमुख जैन काव्य

जैन ग्रंथ रचनाकार
भारतेश्वर बाहुबली रास शलीभद्र सूरि
भारतेश्वर बाहुबली घोररास वज्रसेन सूरि
चंदनबाला रास आसगु
जीव दया रास आसगु
स्थूलिभद्र रास जिनधर्म सूरि
नेमिनाथ रास सुमतिगणि
रेवंतगिरि रास विजय सेन सूरि
उपदेश रसायन रास जिनदत्त सूरि
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About Mahender Kumar

My Name is Mahender Kumar and I do teaching work. I am interested in studying and teaching compititive exams. My education qualification is B. A., B. Ed., M. A. (Political Science & Hindi).

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