• ग्रीन हाउस क्या है / हरित गृह किसे कहते है
What is green house
ग्रीन हाउस ‘कांच का घर’ (Glass House) होता है। शीशे द्वारा ऊष्मा को रोक लेने के कारण शीशे के अंदर का तापमान बाहर के तापमान से काफी अधिक हो जाता है। ठंडे मौसमों में उष्णकटिबंधीय पौधों को गर्म रखने के लिए आवरण बनाने की प्रक्रिया में इस अवधारणा का उपयोग किया गया है। इस प्रकार के आवरण को ग्रीन हाउस अथवा पौध घर कहते हैं।
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Green House Effect |
हरित ग्रहों में शीशे इस प्रकार के होते हैं कि उनसे होकर सूर्य का प्रकाश अंदर तो पहुंच जाता है लेकिन दीर्घ तरंगों के रूप में होने वाली विकिरण (उष्मा अवरक्त किरणें) इन घरों से बाहर निकलने से कांच द्वारा रोक ली जाती है। परिणामस्वरूप घरों के अंदर तापमान बढ़ जाता है।
सर्दियों के मौसम में पौधों को सर्दी से बचाने हेतु इन घरों में पौधों को उगाया जाता है। अधिक ठंडे प्रदेशों में जहां सूर्यताप का शीतकाल में अभाव पाया जाता है वहां विशेष रूप से फलों व सब्जी के पौधों को पैदा करने के लिए हरित ग्रहों का प्रयोग किया जाता है।
• ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है
What is the Green house Effect
ग्रीनहाउस प्रभाव शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जे फोरीयर ने किया था। वायुमंडलीय क्रियाओं में भी ग्रीन हाउस होता है। कुछ गैसें पृथ्वी से उष्मा को पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर जाने से रोकती है। वायुमंडल में विद्यमान इस प्रकार की गैसों की वृद्धि संसार के तापमान को बढ़ा सकती है। इस प्रकार के प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव अथवा हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड भी इसी प्रकार की एक ग्रीन हाउस गैस है। वायुमंडल में विद्यमान कार्बन-डाई-ऑक्साइड की वृद्धि से वायुमंडल में उष्मा की वृद्धि होगी। इस प्रकार के कारणों द्वारा वैश्विक उष्णता की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
सूर्य से आने वाली लघु तरंगीय किरणों को ग्रीन हाउस गैस पृथ्वी की तरफ भेज देती है। यह किरणें वापस नहीं लौट पाती है और पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। तापमान के बढ़ने से जल का वाष्पीकरण बढ़ता है और जलवाष्प अधिक ऊष्मा अवशोषित करती है।
इस प्रकार परावर्तित किरणों का कार्बन डाइऑक्साइड व जलवाष्प द्वारा अवशोषण एवं पुनः परावर्तन होने के परिणामस्वरूप धरातलीय स्तर लगातार गर्म होता रहता है। इस प्रभाव को ही हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
• हरित गृह गैस कौनसी है
What is green house gas
जलवाष्प प्राकृतिक रूप से पृथ्वी को गर्म बनाए रखती है लेकिन मानवीय कारणों से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि गैसें पृथ्वी पर हरित ग्रह प्रभाव उत्पन्न कर रही है। इन गैसों को ग्रीन हाउस गैस कहते हैं।
• ग्रीन हाउस प्रभाव का चित्र (Green house effect Digram)
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Green House Effect Digram |
• मानव निर्मित (एंथ्रोपोजेनिक) ग्रीन हाउस गैसें
Man-made (anthropogenic) green house gases
जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर सरकार पैनल (IPCC) ने निष्कर्ष निकाला है कि बीसवीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसतन तापमान में वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण एंथ्रोपोजेनिक (मानव निर्मित) ग्रीनहाउस गैसों की अधिक मात्रा है। मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोरिंन युक्त गैसें आती है।
• ग्रीन हाउस प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक उष्णता) क्या है
What is Green House Effect and Global Warming
वैश्विक उष्णता पृथ्वी और समुंद्र के वातावरण के औसत तापमान में वृद्धि को कहते हैं। वैश्विक उष्णता औद्योगिक क्रांति से ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि के परिणामस्वरूप पृथ्वी के निचले वायुमंडल के औसत तापमान में क्रमिक बढ़ोतरी है। यह मानव द्वारा वन विनाश और जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के कारण होता है।
रेफ्रिजरेटर, कूलरों, एयर कंडीशनर और दूसरी मशीनों के अधिकाधिक इस्तेमाल का नतीजा यह हुआ है कि वातावरण में क्लोरोफ्लोरोकार्बन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इससे सूर्य से निकलने वाली घातक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा करने वाली ओजोन परत में छेद हो गया है। पृथ्वी ग्रीन हाउस प्रभाव के चलते गर्म होती जा रही है। पृथ्वी के अंदर सामान्य दर से लगातार अधिक गर्म होने की प्रक्रिया को ही ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय ताप में वृद्धि कहा जाता है।
• ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effect of global warming)
यदि यह ग्रीन हाउस गैसें इसी रफ्तार से बढ़ती रही है तो अनेक बीमारियों के फैलने प्राकृतिक आपदाओं के विकट होने के साथ-साथ समुद्र स्तर के बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है जिससे विश्व के लगभग 100 करोड लोग एवं एक तिहाई कृषि प्रभावित हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण जलवायु गर्म होने का मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसें विशेषकर कार्बन डाइऑक्साइड का वायुमंडल में बढ़ना है।
बढती जनसंख्या के कारण अन्न उत्पादन के लिए जंगलों का सफाया होता जा रहा है लकड़ियां इंधन के रूप में प्रयोग की जा रही है जिससे हानिकारक गैसों में वृद्धि होती जा रही है।
• जलवायु परिवर्तन (Climate change)
जलवायु परिवर्तन मानव की विभिन्न गतिविधियों जैसे औद्योगीकरण, शहरीकरण, बढ़ते परिवहन आदि के कारण पृथ्वी के तापमान में हुई वृद्धि से जलवायु में हुए बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहते हैं।
इसका प्रभाव हम मौसम के बदलते मिजाज जैसे सर्दी में गर्मी और गर्म मौसम में ठंड, अमेरिका में आए समुद्री तूफान कैटरीना, अलनीनो आदि में देखते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण समुंद्र तटीय देशों तथा लोगों के बह जाने, बाढ़, सूखे, गर्म हवाओं से संबंधित स्वास्थ्य परेशानियां, बंजर भूमि का बढ़ना, कृषि क्षेत्र का घटना तथा खाद्य संकट पैदा होना, पानी की कमी होना, जीव जंतुओं की प्रजातियों के विलुप्त होने आदि जैसी समस्याओं के पैदा होने की संभावना है।
• हरित गृह प्रभाव के दुष्परिणाम
1. तापमान में वृद्धि
पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि मानव जनित हरित गृह प्रभाव का एक प्रमुख दुष्परिणाम है। प्रकृति में हरित गृह गैसों का बढ़ना इसका प्रमुख कारण है। तापमान में वृद्धि के कारण पृथ्वी पर अनेक जलवायु परिवर्तन हो जाएंगे। मौसम में उत्पन्न हो रही विसंगतियां इसी का परिणाम है।
2. वर्षा में वृद्धि
हरित ग्रह के प्रभाव के फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ने से जलीय भागों से वाष्पीकरण अधिक होगा इसके फलस्वरूप वर्षा अधिक होगी।
3. धुर्वो कि बर्फ का पिघलना
पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवों एवं पर्वत चोटियों की बर्फ पिघलने लगेगी।
4. समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि
विश्व के औसत तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय तथा पर्वतीय क्षेत्रों की बर्फ पिघलने से समुद्र का जल स्तर ऊपर उठ जाएगा। इसके परिणाम स्वरूप अनेक समुंद्र तटीय भाग जल में डूब जाएंगे।
5. कृषि पर प्रभाव
हरित गृह प्रभाव के फलस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण वर्षा के प्रतिरूप में परिवर्तन होगा जिससे कृषि भी प्रभावित होने लगेगी।
6. जीव जंतु एवं वनस्पतियों पर प्रभाव
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण जिन जीव जंतुओं की ताप सहन करने की क्षमता कम है वे नष्ट हो जाएंगे। समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी होने के कारण तटवर्ती बाघों की वनस्पति जलमग्न हो जाएगी।
• ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के उपाय
Measures to reduce greenhouse effect
हरित गृह प्रभाव के कारण संपूर्ण जैव मंडल के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रभाव को नियंत्रित करने के प्रमुख उपाय निम्न है –
1. कार्बन डाइऑक्साइड गैस की वृद्धि रोकना
हरित ग्रह प्रभाव के लिए सबसे अधिक योगदान करने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा में हो रही वृद्धि पर रोक लगानी चाहिए। इसके लिए जीवाश्मीय इंधनों के जलाने में कमी करना आवश्यक है। इसके लिए वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
2.वन क्षेत्रों का विस्तार करना
हरित गृह प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर हो रहे वन विनाश को रोकने के साथ ही वन क्षेत्रों का विस्तार किया जाना चाहिए।
3. जनसंख्या वृद्धि को रोकना
विश्व में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए समुचित कारगर उपाय किए जाने चाहिए।
4. वाहनों तथा उद्योगों में उपकरण लगाना
वाहनों तथा उद्योगों में इस प्रकार के उपकरण लगाए जाने चाहिए जिससे प्रदूषित गैसें कम से कम निकले तथा वायु मंडल में जाने से पूर्व ही उनका विघटन हो जाए।
5. क्लोरोफ्लोरो कार्बन के उत्पादन को कम करना
क्लोरोफ्लोरो कार्बन के उत्पादन को न्यूनतम स्तर पर लाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
6. रासायनिक खादों का सिमित प्रयोग
कृषि में रासायनिक खादों का प्रयोग सिमित मात्रा में करना चाहिए। इसके स्थान पर जैविक खादों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।