इस आर्टिकल में सरकार के अंग कार्यपालिका किसे कहते है, कार्यपालिका कितने प्रकार की होती है, कार्यपालिका की नियुक्ति की विधि आदि के बारे में चर्चा की गई है।
कार्यपालिका किसे कहते हैं?
शासन का कार्य करने के लिए सरकार के तीन अंग होते हैं। कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका। कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो व्यवस्थापिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को कार्य रूप में परिणत करने के लिए जिम्मेदार है। कार्यपालिका प्राय: नीति निर्माण में भी भाग लेती है। कार्यपालिका का औपचारिक नाम अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न होता है। कुछ देशों में राष्ट्रपति होता है तो कहीं चांसलर होता है।
कार्यपालिका के मुख्यत: दो भाग होते हैं – राजनीतिक कार्यपालिका और स्थायी कार्यपालिका। कार्यपालिका में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मंत्री ही नहीं होते बल्कि इसके अंदर पूरा प्रशासनिक ढांचा (सिविल सेवा) भी आते हैं।
सरकार के प्रधान और उनके मंत्रियों को राजनीतिक कार्यपालिका कहते हैं और वे सरकार की सभी नीतियों के लिए उत्तरदायी होते हैं। लेकिन जो राजनीतिक कार्यपालिका द्वारा निर्मित नीतियों को क्रियान्वित करते हैं, उन्हें स्थायी कार्यपालिका कहते हैं।
संकुचित अर्थ में कार्यपालिका शब्द का प्रयोग राजनीतिक कार्यपालिका के लिए ही किया जाता है।
हरमन फाइनर ने कार्यपालिका को अवशिष्ट रिक्तभागी (Residuary Legatee) कहा है। क्योंकि कानून निर्माण और न्यायिक शक्तियों को व्यवस्थापिका और न्यायपालिका द्वारा ले लिए जाने के बाद अब कार्यपालिका अवशिष्ठ शक्तियों की उत्तरदाई संस्था रह गई है।
हरमन फाइनर के अनुसार, “शासन के अन्य अंगों व्यवस्थापिका और न्यायपालिका द्वारा अपने हिस्से की शक्ति को लेने के पश्चात जो शक्ति शेष बचती है वह कार्यपालिका शक्ति कहलाती है। अतः कार्यपालिका शासन की अवशिष्ट शक्ति है।”
कार्यपालिका कितने प्रकार की होती है?
सभी देशों में एक जैसी कार्यपालिका नहीं होती। अमेरिका के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य भारत के राष्ट्रपति की शक्तियों से बहुत भिन्न है। इसी प्रकार इंग्लैंड की महारानी की शक्तियां, नेपाल के राजा से भिन्न है। भारत और श्रीलंका दोनों ही देशों में प्रधानमंत्री है परन्तु उनकी भूमिका अलग-अलग है।
अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है और कार्यकारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास है। कनाडा में संसदीय लोकतंत्र और संवैधानिक राजतंत्र है जिसमें महारानी राज्य की प्रधान और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है।
फ्रांस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अर्द्ध अध्यक्षात्मक व्यवस्था के हिस्से हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है पर उन्हें पद से नहीं हटा सकता क्योंकि वहां प्रधानमंत्री संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
जापान में संसदीय शासन व्यवस्था है जिसमें राजा देश का और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है।
इटली में संसदीय शासन व्यवस्था है जिसमें राष्ट्रपति देश का और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है। रूस में अर्द्ध अध्यक्षात्मक व्यवस्था है जिसमें राष्ट्रपति देश का प्रधान और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है।
जर्मनी में संसदीय शासन व्यवस्था है जिसमें राष्ट्रपति देश का नाम मात्र का प्रधान है और चांसलर सरकार का प्रधान है।
कार्यपालिका के प्रकार (Types of Executive)
- नाममात्र की कार्यपालिका (Nominal Executive)
- वास्तविक कार्यपालिका (Real Executive)
- एकल कार्यपालिका (Single Executive)
- बहुल कार्यपालिका (Plural Executive)
(1) नाममात्र की कार्यपालिका (Nominal Executive)
नाममात्र की कार्यपालिका का आश्य उस पदाधिकारी से होता है जिसे संविधान के द्वारा समस्त प्रशासनिक शक्ति प्रदान की गई हो लेकिन जिसके द्वारा व्यवहार में उस प्रशासनिक शक्ति का प्रयोग अपने विवेक के अनुसार न किया जा सके।
यद्यपि प्रशासन का संपूर्ण कार्य उसी के नाम पर होता है किंतु व्यवहार में इन कार्यों को वास्तविक कार्यपालिका द्वारा किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि नाममात्र का कार्यपालिका प्रधान राज करता है, शासन नहीं। इंग्लैंड की महारानी, जापान का सम्राट और भारत का राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका के उदाहरण है।
वाल्टर बेजहॉट ने इसे गरीमामय कार्यपालिका की संज्ञा दी है। नाममात्र की कार्यपालिका आनुवांशिक या पैतृक और निर्वाचित हो सकती है।
(2) वास्तविक कार्यपालिका (Real Executive)
संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत संविधान द्वारा नाममात्र की कार्यपालिका को जो प्रशासनिक शक्ति प्रदान की जाती है, व्यवहार में इस शक्ति का प्रयोग जिन पदाधिकारियों के द्वारा किया जाता है उसे वास्तविक कार्यपालिका कहा जाता है।
व्यवहार में संपूर्ण प्रशासनिक शक्ति इस वास्तविक कार्यपालिका के हाथ में ही केंद्रित होती है। ब्रिटेन और भारत की मंत्रिपरिषद इस प्रकार की वास्तविक कार्यपालिका के ही उदाहरण है। वाल्टर बेजहॉट ने इसे कुशल कार्यपालिका की संज्ञा दी है।
नाममात्र की और वास्तविक कार्यपालिका का यह भेद केवल संसदात्मक शासन व्यवस्था में ही पाया जाता है। अमेरिका जैसी अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था वाले देश में तो राष्ट्रपति कार्यपालिका का नाममात्र और वास्तविक प्रधान दोनों ही होता है।
(3) एकल कार्यपालिका (Single Executive)
संगठन की दृष्टि से कार्यपालिका दो प्रकार की होती है एकल कार्यपालिका और बहुल कार्यपालिका। एकल कार्यपालिका का तात्पर्य कार्यपालिका के ऐसे संगठन से है जिसके अंतर्गत निर्णयात्मक और अंतिम रूप में कार्यपालिका की समस्त शक्ति किसी एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रित होती है।
शासन प्रबंधन की सुविधा के लिए कार्यपालिका शक्ति का विभाजन अवश्य ही किया जाता है, किंतु अंतिम रूप से संपूर्ण शासन व्यवस्था के लिए कोई एक व्यक्ति ही उत्तरदायी होता है। भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा आदि देशों की व्यवस्था एक कार्यपालिका का ही उदाहरण है। सैनिक शासन तंत्र भी एकल कार्यपालिका का ही उदाहरण है।
(4) बहुल कार्यपालिका (Plural Executive)
बहुल कार्यपालिका का तात्पर्य कार्यपालिका के ऐसे प्रकार से है जिसके अंतर्गत अंतिम रूप में कार्यपालिका शक्ति किसी एक व्यक्ति में निहित न होकर व्यक्तियों के एक समुदाय में निहित होती है।
प्राचीन एथेंस और स्पार्टा में इस प्रकार की बहुल कार्यपालिका थी और वर्तमान काल में स्विट्जरलैंड में इस प्रकार की बहुल कार्यपालिका है। स्विट्जरलैंड में कार्यपालिका सत्ता 7 सदस्यों की एक संघीय परिषद (Federal Council) में निवास करती है और यह परिषद सामूहिक रूप से राज्य की कार्यपालिका प्रधान के रूप में कार्य करती है।
संघीय परिषद के सातों सदस्यों की स्थिति बिल्कुल समान होती है। इस प्रकार स्विटजरलैंड में नेतृत्व विहिन कार्यपालिका पाई जाती है। स्विस कार्यपालिका में उत्तरदायित्व तथा स्थायित्व का मिश्रण पाया जाता है।
पूर्व सोवियत संघ में सर्वोच्च कार्यपालिका परिषद के रूप में ‘प्रेजिडियम‘ के द्वारा कार्य किया जाता था जिसके 39 सदस्य होते थे। यद्यपि प्रेजिडियम का एक सभापति होता था, किंतु प्रेजिडियम के सभापति को सैद्धांतिक दृष्टि से दूसरे सदस्यों की अपेक्षा कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होते थे और इसलिए इसे सामूहिक कार्यपालिका कहा जाता था।
स्टालिन ने इसे कालेजियेट प्रेसिडेंट अर्थात सामूहिक राष्ट्रपति की संज्ञा दी थी।18 वीं शताब्दी (1795) में फ्रांस में 5 सदस्यीय डायरेक्टरी का शासन भी बहुल कार्यपालिका का ही उदाहरण था।
कार्यपालिका की नियुक्ति की विधि
Executive Appointment Method : आधुनिक समय में कार्यपालिका की नियुक्ति विभिन्न देशों में अलग-अलग पद्धतियों से की जाती है। इस संबंध में निम्न पांच पद्धतियां प्रमुख हैं –
(1) वंशानुगत पद्धति
इस पद्धति का संबंध राजतंत्र शासन से है। इसमें पद की अवधी आजीवन होती है और उत्तराधिकार ज्येष्ठाधिकार कानून द्वारा शासित होता है। प्राचीन व मध्य युग में कार्यपालिका के गठन की यह सर्वाधिक प्रचलित पद्धति रही है। यद्यपि वर्तमान समय में यह पद्धति लोकप्रिय नहीं है, किंतु ब्रिटेन, ईरान, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, जापान आदि देशों में नाममात्र की कार्यपालिका की नियुक्ति इसी पद्धति के आधार पर की जाती है।
(2) जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन
कुछ देशों में कार्यपालिका का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप में किया जाता है। बोलीविया, मैक्सिको, ब्राजील आदि लैटिन अमरीकी देशों में राष्ट्रपति को सर्व साधारण जनता ही निर्वाचित करती है।
फ्रांस में राष्ट्रपति सिधे मतदाता द्वारा 7 वर्ष के लिए चुना जाता है। यह पद्धति वंशानुगत विधि के नितांत विपरीत है। यह पद्धति लोकतंत्र के अनुकूल और ऊपर से देखने में आकर्षक है किंतु जनता द्वारा सीधे चुने जाने पर अच्छे एवं योग्य व्यक्ति नहीं चुने जा सकते।
(3) जनता द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन
इस पद्धति के अंतर्गत सर्व साधारण जनता द्वारा एक निर्वाचक मंडल का निर्वाचन किया जाता है और इस निर्वाचक मंडल द्वारा कार्यकारिणी का चुनाव किया जाता है। भारत और अमेरिका के राष्ट्रपति के निर्वाचन की यही पद्धति है। किंतु व्यवहार में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव ने प्रत्यक्ष चुनाव का रूप ग्रहण कर लिया है।
(4) व्यवस्थापिका द्वारा निर्वाचन
इस पद्धति में कार्यपालिका को व्यवस्थापिका द्वारा चुना जाता है। स्विट्जरलैंड में कार्यपालिका प्रधान के चुनाव की यही पद्धति है। किंतु इस पद्धति में कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां होने के कारण दूसरे देशों द्वारा इस पद्धति को नहीं अपनाया जा सका है।
(5) मनोनयन
कार्यपालिका की नियुक्ति का एक तरीका मनोनयन भी है। स्वतंत्रता से पूर्व भारत में गवर्नर जनरल की नियुक्ति इंग्लैंड के सम्राट के द्वारा की जाती थी। वर्तमान में भारत में राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
संसदात्मक शासन व्यवस्था वाले राज्यों में राजा या राष्ट्रपति तो नाममात्र की कार्यपालिका होता है। अतः इन शासन व्यवस्थाओं में नाममात्र की कार्यपालिका की अपेक्षा वास्तविक कार्यपालिका अर्थात मंत्रिपरिषद की नियुक्ति का प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण होता है।
ब्रिटेन में जिस राजनीतिक दल को लोक सदन (House of Commons) में बहुमत प्राप्त होता है, सम्राट के द्वारा उस दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जाता है। इसी व्यक्ति द्वारा साधारणतया अपने ही राजनीतिक दल से सहयोगियों की टीम को चुनकर मंत्रिमंडल का निर्माण किया जाता है।
भारत में इसी पद्धति का अनुसरण किया गया है। वास्तविक कार्यपालिका के निर्माण के संबंध में यही पद्धति सर्वाधिक संतोषजनक पाई गयी है।

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- कार्यपालिका का व्यवस्थापिका से संबंध
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
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कार्यपालिका क्या है?
उत्तर : कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो व्यवस्थापिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को कार्य रूप में परिणत करने के लिए जिम्मेदार है। कार्यपालिका प्राय: नीति निर्माण में भी भाग लेती है। कार्यपालिका का औपचारिक नाम अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न होता है। कुछ देशों में राष्ट्रपति होता है तो कहीं चांसलर होता है।
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बहुल कार्यपालिका किसे कहते हैं?
उत्तर : बहुल कार्यपालिका का तात्पर्य कार्यपालिका के ऐसे प्रकार से है जिसके अंतर्गत अंतिम रूप में कार्यपालिका शक्ति किसी एक व्यक्ति में निहित न होकर व्यक्तियों के एक समुदाय में निहित होती है।
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वंशानुगत पद्धति से कार्यपालिका की नियुक्ति किन देशों में होती है?
उत्तर : यद्यपि वर्तमान समय में यह पद्धति लोकप्रिय नहीं है, किंतु ब्रिटेन, ईरान, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, जापान आदि देशों में नाममात्र की कार्यपालिका की नियुक्ति इसी पद्धति के आधार पर की जाती है।