राज्य की उत्पत्ति के संबंध में सामाजिक समझौता सिद्धांत का प्रतिपादन प्रमुख रूप से हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा किया गया है। यद्यपि इन तीनों ही विचारकों के द्वारा राज्य को मानव निर्मित एक कृत्रिम संस्था कहा गया है, लेकिन यह समझौता किस प्रकार संपन्न हुआ, समझौते के परिणामस्वरुप किस प्रकार के राज्य की स्थापना हुई, इस संबंध में इन विचारकों में पर्याप्त मतभेद है। हॉब्स, लॉक और रूसो के विचारों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है :
हॉब्स, लॉक और रूसो के विचारों की तुलना
(1) मानव स्वभाव : हॉब्स के अनुसार मानव असामाजिक, स्वार्थी, अहंकारी, असहयोगी, झगड़ालू और एक दूसरे का शत्रु होता है ,परंतु मृत्यु का भय और सुख प्राप्ति की आशा उसे एक राज्य के निर्माण की ओर प्रेरित करती है।
लॉक ने हॉब्स के नितांत विपरीत रूप में मानव स्वभाव का चित्रण किया है। लॉक के अनुसार मनुष्य स्वभावत: अच्छा और विवेकशील प्राणी है। उसने मनुष्य को सामाजिक, नैतिक, सहयोगी, दयावान और शांतिप्रिय बताया है।
रूसो के द्वारा किया गया मानव स्वभाव का चित्रण भी लॉक से मिलता-जुलता ही है। उसके अनुसार मनुष्य मूलतः अच्छा, स्वतंत्र, समान व आत्मनिर्भर होता है, लेकिन थोड़े समय बाद व्यक्तिगत संपत्ति और मेरे- तेरे की भावना उत्पन्न हो जाने के कारण मानव-स्वभाव में अनेक बुराइयों का प्रवेश हो जाता है।
(2) प्राकृतिक अवस्था : हॉब्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था का जीवन एकांकी, दीन, अपवित्र, पासविक व क्षणिक है। यह अवस्था प्रत्येक व्यक्ति की प्रत्येक दूसरे व्यक्ति के साथ युद्ध की अवस्था है। जिसमें किसी को भी झूठ-सच, पाप-पुण्य और न्याय का कोई ज्ञान और विचार नहीं है। इस अवस्था में शक्ति ही सत्य है और व्यक्ति का जीवन संपत्ति सुरक्षित नहीं है।
लॉक, हॉब्स से नितांत विपरीत प्राकृतिक अवस्था को शांति, संपन्नता, सहयोग समानता और स्वतंत्रता की अवस्था मानता है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक दूसरे व्यक्ति के साथ इस प्रकार का आचरण करता है जिस प्रकार का आचरण वह अपने प्रति चाहता है। लॉक प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों की भी कल्पना करता है।
रूसो भी लॉक से मिलती-जुलती ही प्राकृतिक अवस्था का चित्रण करता है। लेकिन रूसो की यह प्राकृतिक अवस्था थोड़े समय बाद दूषित होकर हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था जैसी हो जाती है।
(3) समझौते के कारण : हॉब्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था असहनीय थी और इस प्रकार की अवस्था में अधिक समय तक नहीं रहा जा सकता था। मृत्यु के भय से मुक्ति पाने और जीवन एवं संपत्ति की रक्षा के लिए उन्हें एक शक्ति की आवश्यकता प्रतीत हुई और उन्होंने प्राकृतिक अवस्था को त्याग कर ऐसी शासन की सत्ता के अंतर्गत रहना स्वीकार किया, जो कानून बनाए तथा शासन करें।
लॉक के अनुसार समझौता इसलिए किया गया, क्योंकि प्राकृतिक दशा असुविधा जनक थी। इसके अंतर्गत सर्वसम्मत नियमों, नियमों की व्याख्या करने और इन नियमों को लागू करने वाली शक्ति का अभाव था। इस अभाव को दूर कर सुसंगठित समाज की स्थापना हेतु ही समझौता किया गया।
रूसो के अनुसार सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ-साथ असमानता, अहंकार, स्वार्थ, युद्ध, हिस्सा, द्वेष, भेदभाव की उत्पत्ति और मानवता का पतन हुआ। ऐसी स्थिति में जीवन और संपत्ति की रक्षा हेतु व स्वतंत्रता, समानता और आदर्श जीवन की प्राप्ति हेतु राज्य की स्थापना की गई।
(4) समझौते का स्वरूप : हॉब्स राज्य, समाज और सरकार में कोई भेद नहीं मानता है, इसलिए हॉब्स के अपने सिद्धांत में केवल एक ही समझौते का वर्णन किया है जिसे सामाजिक समझौता कहा जा सकता है। इस समझौते के द्वारा सभी व्यक्ति अपने प्राकृतिक अवस्था को त्याग कर एक शासन की सत्ता के अधीन रहना स्वीकार करते हैं। यह समझौता व्यक्तियों के मध्य ही होता है और शासन इस समझौते का कोई पक्ष नहीं है, इसलिए इसे राजनीतिक समझौता नहीं कहा जा सकता।
इसके विपरीत लॉक के वर्णन के अनुसार दो प्रकार के समझौते होते हैं प्रथम : व्यक्ति पारस्परिक समझौते के आधार पर समाज की स्थापना करते हैं, जिसे सामाजिक समझौता कहा जा सकता है। दूसरा : समझौता सामूहिक रूप से समाज और राज्य के बीच हुआ है, जिसके द्वारा शासन की शक्ति की मर्यादाएं निश्चित की गई है। इस दूसरे समझौते को राजनीतिक कहा जा सकता है। इस प्रकार लॉक का समझौता एक ही साथ सामाजिक और राजनीतिक दोनों ही है।
रूसो के सिद्धांत में मानव व्यक्तित्व के दो रूप माने गए हैं : एक व्यक्तिगत और दूसरा सामाजिक। रूसो के अनुसार मनुष्य की व्यक्तिगत हैसियत और उसकी सामाजिक हैसियत के बीच समझौता होता है। व्यक्तिगत हैसियत में व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता और अधिकार का परित्याग करता है, दूसरी ओर समाज का एक अंग होने के कारण वह अपनी सामाजिक हैसियत से इस शक्ति, स्वतंत्रता और अधिकार को फिर से प्राप्त कर लेता है। इस समझौते से प्रत्येक व्यक्ति को लाभ ही होता है। सामूहिक रूप से किया गया समझौता सामान्य इच्छा का रूप ले लेता है। इस प्रकार एक ही समझौता होता है, जिसे राजनीतिक समाज की स्थापना होती है।
(5) राजसत्ता का स्वरूप : हॉब्स के सिद्धांत के अंतर्गत शासक समझौते का पक्ष नहीं है और समझौते के फलस्वरुप निरकुशं, स्वेच्छाचारी एवं सर्वोच्च प्रजा के सत्ताधारी राजा का प्रादुर्भाव होता है। राजा की शक्ति असीमित है और प्रजा के द्वारा किसी भी स्थिति में राजा के विरुद्ध विद्रोह नहीं किया जा सकता है। हॉब्स का शासक किसी के भी प्रति उत्तरदाई नहीं है।
हॉब्स के मत के नितांत विपरीत लॉक यह कहता है कि राजसत्ता समिति व वैधानिक होती है और यह जनता एवं शासन में विभाजित है। शासक भी समझौते का एक पक्ष होने के कारण इस समझौते से बाध्य है और जनता जनहित के विरुद्ध कार्य करने वाले शासक के विरुद्ध विद्रोह कर उसे पदच्युत कर सकती है। इस प्रकार लॉक का शासक स्वेच्छाचारी व निरंकुश नहीं है।
रूसो के अनुसार राजसत्ता किसी एक व्यक्ति अथवा वर्ग विशेष में निहित न होकर संपूर्ण समाज में निहित होती है, जिसे उसने सामान्य इच्छा का नाम दिया है। यह सामान्य इच्छा आवश्यक रूप से शुभ, नैतिक, न्यायिक और उचित है तथा इस सामान्य इच्छा की शक्ति पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। रूसो ने अपने सिद्धांत के आधार पर लोकतंत्र की स्थापना की है।
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