• फेबियन समाजवाद क्या है ? What is Fabian socialism in hindi ?
फेबियनवाद एक ऐसी विकासात्मक समाजवादी दर्शन है जिसका उदय इंग्लैंड में हुआ। फेबियन समाजवाद का घर इंग्लैंड को माना जाता है।वे समाजवादी व्यवस्था की स्थापना लोकतांत्रिक तरीके से करना चाहते थे। वे समाज में धीरे-धीरे व क्रमिक विकास के पक्ष में थे। फेबियनवादी पूंजीवाद के प्रति इसी प्रकार की नीति अपनाने के पक्ष में थे। पूंजीवाद के उन्मूलन के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाकर समाजवादी समाज की स्थापना की जा सकती है। इंग्लैंड की तत्कालीन सरकार फेबियनवादी आंदोलन से अत्यधिक प्रभावित हुई।
इन्होंने प्रो. डेविडसन का शिष्यत्व छोड़कर 4 जनवरी 1884 को इस सोसायटी की स्थापना की। इस सोसाइटी का नाम रोम के प्रसिद्ध सेनापति फेबियस मैग्जीमस ककटेटर के नाम पर पड़ा। फेबियनवाद को मध्यम बौद्धिक विचारधारा के रूप में जाना जा सकता है।
फेबियनवादियो ने पूंजीपतियों की जगह जमीदारों को अपने प्रहार का लक्ष्य बनाया क्योंकि उन्होंने पूंजी की भूमि को सारे विवाद की जड़ माना है। उनकी प्रेरणा का स्रोत मार्क्स नहीं अपितु जे एस मिल है।
* भूमिगत और व्यक्तिगत संपत्ति का अंत किया जाना।
* जिन व्यक्तियों की संपत्ति ली जाए उन्हें मुआवजा नहीं बल्कि समाज द्वारा कुछ सहायता दी जाए।
* संपत्ति छीने जाने से लगान और ब्याज के रूप में होने वाला लाभ श्रम करने वाले व्यक्तियों को दिया जाए।
* पूंजीपति वर्ग के समाप्त होने पर समस्त व्यक्तियों को व्यवहारिक जीवन में सुविधाओं की समानता व स्वतंत्रता प्रदान की जाए।
* इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए फेबियनों ने समाजवादी विचारों के प्रचार तथा प्रकाशन पर जोर दिया। वे क्रांति विरोधी थे तथा प्रोत्साहन में विश्वास करते थे। इंग्लैंड वासियों को अपने विचारों की ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने पंपलेट तथा बुकलेट्स का प्रकाशन किया।
* लोकतांत्रिक और संवैधानिक साधनों में विश्वास
* पूंजीवादी व्यवस्था का समाजवादी व्यवस्था में रूपांतरण। संघर्ष की अपेक्षा लोगों की मनोवृत्ति को क्रमिक रूप से परिवर्तित करने में विश्वास।
* वर्तमान सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था में धीरे-धीरे परिवर्तन के पक्ष में।
* मानव जीवन के लिए नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य भी उपयोगी है।
* समाज में मध्यम वर्ग भी महत्वपूर्ण है।
* राष्ट्रीयता, अंतर्राष्ट्रीयता व साम्राज्यवाद को भी उचित मानता है।
* विकास हेतु वर्ग संघर्ष की अपेक्षा सहयोग पर बल देता है।
* फेबियन पूंजीवाद के विरोधी तथा समाजवाद में विश्वास करते थे।
* राज्य के कार्यों में वृद्धि द्वारा समाजवाद की स्थापना के पक्ष में थे।
* फेबियनवादी लोकतंत्र में अटूट विश्वास रखते थे। वे केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी इसे स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने व्यस्क मताधिकार को स्त्री पुरुष दोनों के लिए आवश्यक माना।
* बार्कर ने फेबियनवाद की आलोचना करते हुए कहा है, "फेबियन समाज समाजवादी संगठन का सबसे कम स्पष्ट तथा अनिश्चित सिद्धांत है। फेबियनवादी अपनी भक्ति बदलते रहते हैं और सफलता के लिए केवल चालाकी पर निर्भर करते हैं।"
* स्केल्टन ने फेबियनवाद को 'अवसरवादी समाजवाद' कह कर उसकी आलोचना की है।
* फेबियनवादी उदारवादी और समाजवादी दो परस्पर विरोधी नावों पर बैठना चाहते हैं जो संभव नहीं है।
* कुछ आलोचकों का मानना है कि फेबियन सच्चे समाजवादी नहीं थे और पूंजीवादी यंत्रणा से मुक्ति के लिए श्रमिक वर्ग की क्रांतिकारी लालसा को प्रतिबंधित करना चाहते हैं और छोटे-मोटे सुधारों द्वारा पूंजीवाद को सदा के लिए सीमित रखना चाहते हैं।
उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि फेबियनवादी (Fabianism) विचारधारा ने इंग्लैंड को बहुत प्रभावित किया तथा समाजवाद को ब्रिटिश लोगों के स्वभाव के अनुरूप बनाया। उन्होंने इंग्लैंड में श्रमिक आंदोलन में भाग लेकर उसे आगे बढ़ाया। ब्रिटेन में स्थानीय स्वशासन को विकसित करने में उनका बहुत बड़ा सहयोग रहा।
• फेबियन आंदोलन के प्रस्तावक
फेबियन समाजवाद का इतिहास फेबियन सोसायटी (Fabian Society) के साथ जुड़ा है। यह इंग्लैंड के नव युवकों ने जो अमेरिकी प्रोफेसर टॉम्स डेविडसन की छत्रछाया में नीति शास्त्र का अध्ययन करने के लिए एकत्रित हुए थे।इन्होंने प्रो. डेविडसन का शिष्यत्व छोड़कर 4 जनवरी 1884 को इस सोसायटी की स्थापना की। इस सोसाइटी का नाम रोम के प्रसिद्ध सेनापति फेबियस मैग्जीमस ककटेटर के नाम पर पड़ा। फेबियनवाद को मध्यम बौद्धिक विचारधारा के रूप में जाना जा सकता है।
• फेबियनवादी विचारक
फेबियनवादी विचारकों में जार्ज बर्नार्ड शॉ, सिडनी आलिवर, श्री और श्रीमती सिडनी वेब, ग्राहम वालास श्रीमती एनी बेसेंट, विलियम क्लार्क, एचजी वेल्स, पैथिक लॉरेंस, लास्की आदि प्रमुख हैं।फेबियनवादियो ने पूंजीपतियों की जगह जमीदारों को अपने प्रहार का लक्ष्य बनाया क्योंकि उन्होंने पूंजी की भूमि को सारे विवाद की जड़ माना है। उनकी प्रेरणा का स्रोत मार्क्स नहीं अपितु जे एस मिल है।
• फेबियन समाजवाद के उद्देश्य Purpose of Fabian Socialism
* भूमि और औद्योगिक पूंजी को व्यक्तियों तथा वर्गों के स्वामित्व से छुटकारा दिलाना तथा उस पर समाज का स्वामित्व स्थापित करना।* भूमिगत और व्यक्तिगत संपत्ति का अंत किया जाना।
* जिन व्यक्तियों की संपत्ति ली जाए उन्हें मुआवजा नहीं बल्कि समाज द्वारा कुछ सहायता दी जाए।
* संपत्ति छीने जाने से लगान और ब्याज के रूप में होने वाला लाभ श्रम करने वाले व्यक्तियों को दिया जाए।
* पूंजीपति वर्ग के समाप्त होने पर समस्त व्यक्तियों को व्यवहारिक जीवन में सुविधाओं की समानता व स्वतंत्रता प्रदान की जाए।
* इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए फेबियनों ने समाजवादी विचारों के प्रचार तथा प्रकाशन पर जोर दिया। वे क्रांति विरोधी थे तथा प्रोत्साहन में विश्वास करते थे। इंग्लैंड वासियों को अपने विचारों की ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने पंपलेट तथा बुकलेट्स का प्रकाशन किया।
• फेबियन समाजवाद के प्रमुख सिद्धांत Major Principles of Fabian Socialism
* फेबियनवादी विचारधारा लोकतंत्र, उदारवाद और समाजवाद का मिश्रण है।* लोकतांत्रिक और संवैधानिक साधनों में विश्वास
* पूंजीवादी व्यवस्था का समाजवादी व्यवस्था में रूपांतरण। संघर्ष की अपेक्षा लोगों की मनोवृत्ति को क्रमिक रूप से परिवर्तित करने में विश्वास।
* वर्तमान सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था में धीरे-धीरे परिवर्तन के पक्ष में।
* मानव जीवन के लिए नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य भी उपयोगी है।
* समाज में मध्यम वर्ग भी महत्वपूर्ण है।
* राष्ट्रीयता, अंतर्राष्ट्रीयता व साम्राज्यवाद को भी उचित मानता है।
* विकास हेतु वर्ग संघर्ष की अपेक्षा सहयोग पर बल देता है।
* फेबियन पूंजीवाद के विरोधी तथा समाजवाद में विश्वास करते थे।
* राज्य के कार्यों में वृद्धि द्वारा समाजवाद की स्थापना के पक्ष में थे।
* फेबियनवादी लोकतंत्र में अटूट विश्वास रखते थे। वे केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी इसे स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने व्यस्क मताधिकार को स्त्री पुरुष दोनों के लिए आवश्यक माना।
• फेबियनवाद की आलोचना Criticism of Fabianism
फेबियनवादी चिंतन में विरोधाभास अधिक है क्योंकि एक और वे कहते हैं प्रतीक्षा तथा उचित समय आने पर प्रहार करो किंतु इसी के साथ वे संवैधानिक तथा शांतिपूर्ण तरीकों पर विश्वास रखने की भी करते हैं।* बार्कर ने फेबियनवाद की आलोचना करते हुए कहा है, "फेबियन समाज समाजवादी संगठन का सबसे कम स्पष्ट तथा अनिश्चित सिद्धांत है। फेबियनवादी अपनी भक्ति बदलते रहते हैं और सफलता के लिए केवल चालाकी पर निर्भर करते हैं।"
* स्केल्टन ने फेबियनवाद को 'अवसरवादी समाजवाद' कह कर उसकी आलोचना की है।
* फेबियनवादी उदारवादी और समाजवादी दो परस्पर विरोधी नावों पर बैठना चाहते हैं जो संभव नहीं है।
* कुछ आलोचकों का मानना है कि फेबियन सच्चे समाजवादी नहीं थे और पूंजीवादी यंत्रणा से मुक्ति के लिए श्रमिक वर्ग की क्रांतिकारी लालसा को प्रतिबंधित करना चाहते हैं और छोटे-मोटे सुधारों द्वारा पूंजीवाद को सदा के लिए सीमित रखना चाहते हैं।
उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि फेबियनवादी (Fabianism) विचारधारा ने इंग्लैंड को बहुत प्रभावित किया तथा समाजवाद को ब्रिटिश लोगों के स्वभाव के अनुरूप बनाया। उन्होंने इंग्लैंड में श्रमिक आंदोलन में भाग लेकर उसे आगे बढ़ाया। ब्रिटेन में स्थानीय स्वशासन को विकसित करने में उनका बहुत बड़ा सहयोग रहा।
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