इस आर्टिकल में विद्यालय आधारित आकलन (school based assessment in hindi), विद्यालय स्तरीय आकलन के तरीके, विद्यालय आधारित आकलन की मुख्य विशेषताएं, आकलन के दृष्टिकोण, सीखने का आकलन, सीखने के लिए आकलन, सीखने के रूप आकलन आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21 वी शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को सशक्त बनाते हुए 21वीं सदी में शिक्षा के आकांक्षात्मक लक्ष्य, सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना है।
इस शिक्षा नीति में विद्यार्थियों की रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय क्षमता और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
आकलन एक ऐसी व्यापक व बहुउद्देशीय प्रक्रिया है, जिसके द्वारा विद्यार्थी के सीखने के स्तर का पता किया जा सकता है। आकलन विद्यार्थी की समझ की गुणवत्ता के लिए होता है और शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर कर सकते हैं, ताकि विद्यार्थी के प्रदर्शन और सुधार के क्षेत्रों पर प्रतिक्रिया प्रदान कर सके।
विद्यालय आधारित आकलन शिक्षण-अधिगम और आकलन को एकीकृत करता है, जो बाल केंद्रित और गतिविधि आधारित शिक्षण शास्त्र से संबंधित है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) के क्रियान्वयन में कमियों के कारण उत्पन्न हुई विकृतियों और कमियों को दूर करने के लिए विद्यालय आधारित आकलन (SBA) को अगली पीढ़ी के आकलन के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
यह एक बार में बाहरी (बोर्ड) परीक्षा बाह्य और आंतरिक परीक्षा के संयोजन, सीसीई और अब एसबीए के रूप में अनुक्रम में चौथा हो सकता है।
विद्यालय आधारित आकलन (SBA) शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया के दौरान समग्र रूप से सीखने के प्रतिफलों के संदर्भ में निर्दिष्ट दक्षताओं को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है। विद्यालय आधारित आकलन ‘सीखने के लिए आकलन’ की व्यापक प्रक्रिया में निहित है।
विद्यालय आधारित आकलन शिक्षकों को बच्चे की सीखने की प्रगति का निरीक्षण करने, समय पर प्रतिक्रिया देने और बच्चे को सीखने की कठिनाइयों को दूर करने में मदद करने के लिए सहायता प्रदान करता है। विद्यालय आधारित आकलन (SBA) सूक्ष्म स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी में मदद करता है।
आकलन इस तरीके से किया जाना चाहिए जिससे शिक्षकों पर बोझ न पड़े और उनके शिक्षण अधिगम को प्रभावित किया जा सके।
विद्यालय आधारित आंकलन आकलन का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सीखने की जरूरतों को समझने के लिए उन्हें अपनी दक्षता बढ़ाने में सहायता देना है और यदि सीखने में यदि कोई परेशानी है तो उसे दूर करने के लिए उसकी मदद करना है।
विद्यालय आधारित आकलन प्रक्रिया में दक्षताओं के बारे में तर्कपूर्ण आकलन किए बिना और यह जाने बिना कि उनमें से प्रत्येक के पीछे की सीख क्या है। आकलन नहीं किया जा सकता।
विद्यालय आधारित आकलन (School Based Assessment) शिक्षण अधिगम (Teaching Learning) का अभिन्न अंग है। सीखने के दौरान विषयवस्तु के विभिन्न पहलुओं पर बच्चों को कक्षा के अंदर और बाहर दोनों गतिविधियों में भाग लेने तथा अलग-अलग स्रोतों से जानकारी एकत्रित करने की आवश्यकता होती है। जिसे विद्यालय आधारित आकलन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है ।
विद्यालय आधारित आकलन सीखने की प्रक्रिया की योजना, हस्तांतरण और आकलन में भागीदार के रूप में शामिल किया गया है और इस प्रकार इसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा प्रतिक्रिया देना और प्राप्त करना दोनों शामिल हैं।
विद्यालय आधारित आकलन (SBA) मुख्य रूप से इस सिद्धांत पर आधारित है कि बाहरी परिक्षकों की अपेक्षा शिक्षक अपने विद्यार्थियों की क्षमताओं को बेहतर ढंग से जानते हैं।
विद्यालय आधारित आकलन एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थियों के अधिगम त्रुटियों की पहचान कर उसमें सुधार करने का प्रयास किया जाता है।
अतः विद्यालय आधारित आकलन (SBA) में शिक्षक अपने शिक्षार्थियों का स्वयं आकलन करता है, इसलिए वह अपने अधिकार क्षेत्र पर प्रभुत्व की भावना भी रखता है। जब शिक्षक में स्वामित्व की भावना आ जाती है तो उसमें स्वयं जिम्मेदार होने की भावना भी स्वत: ही आ जाती है।
इस प्रकार विद्यालय आधारित आकलन में शिक्षक में स्वामित्व की भावना उत्पन्न होती है और विद्यालय आधारित वातावरण में अधिक सीखने में सभी विद्यार्थियों की मदद करता है।
विद्यालय आधारित आकलन रचनात्मक प्रतिपुष्टि प्रदान कराते हुए सीखने में संवर्धन करता है और सभी विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास को निश्चित भी करता है।
विद्यालय स्तरीय आकलन के तरीके
कक्षा कक्ष गतिविधि, पेपर पेंसिल टेस्ट, अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा, रचनात्मक आकलन, योगात्मक आकलन, बोर्ड परीक्षा, बेसलाइन आकलन।
उपरोक्त सभी विद्यालय स्तरीय आकलन है। इससे सीखे हुए का पता लगता है। पर हमें यदि किसी तंत्र के बारे में कुछ पता करना हो तो हम लार्ज-स्केल लर्नर एसेसमेंट करते हैं।
विद्यालय आधारित आकलन की मुख्य विशेषताएं
- शिक्षण-अधिगम और आकलन को एकीकृत करना।
- इस प्रकार के आकलन में शिक्षको पर प्रलेखन, रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग आदि का कोई भार नहीं रहता है जैसा कि सीसीई प्रक्रिया में रहता है।
- यह बाल -केंद्रित और गतिविधि आधारित शिक्षण पद्धति है।
- इस आकलन में विषय वस्तु याद रखने (रटने) के बजाय (सीखने के प्रतिफल आधारित) योग्यता विकास पर ध्यान देना।
- आकलन के क्षेत्र को स्व-आकलन, सहपाठी के द्वारा आकलन के अलावा शिक्षक द्वारा आकलन के माध्यम से व्यापक बनाना है।
- शिक्षार्थियों में भय रहित ,तनाव मुक्त और बढ़ी हुई भागीदारी/सहभागिता पर बल।
- उपलब्धि के आकलन के बजाय सीखने के आकलन पर ध्यान देना।
- शिक्षक और व्यवस्था पर विश्वास बढ़ा
- विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ाना।
- प्राथमिक स्तर पर सभी बच्चों के अधिगम प्रतिफलों (Learning Outcome) के आकलन के लिए। यह प्रक्रिया संबंधित विद्यालय ही करेंगे।
- यह मात्रात्मक और गुणात्मक मूल्यांकन तकनीकें है।
- विद्यालय आधारित आंकलन बहुआयामी प्रकार का होता है।
सीखने के परिणामों का निष्पक्ष रूप से मूल्यांकन
आकलन के दृष्टिकोण
सीखने का आकलन (Assessment of Learning)
विद्यार्थी की शैक्षिक स्थिति, उपलब्धि और कार्य प्रदर्शन की पहचान करने में सक्षम करना है जिसमें सीखने की अवधि एक या सत्र वर्ष हो सकती है।
इस आकलन की धुरी का केंद्र शिक्षक होता है। यह आकलन एक निश्चित अंतराल पर किया जाता है तथा योगात्मक प्रकार का होता है। विद्यार्थियों को आगे सुधार करने में मदद करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित होती है।
ज्यादातर कक्षा कक्ष या विद्यालय में उपयोग किए जाने वाला आकलन इसी श्रेणी में आता है। इस आकलन का उद्देश्य सारांशित (Summative) प्रकार का होता है, जिसमें एक अधिगमकर्ता की दूसरे अधिगमकर्ता से तुलना करते हुए माता-पिता को प्रगति सांझा करना रहता है।
कक्षाओं में सीखने का आकलन आमतौर पर अंत में परीक्षा का रूप लेता है, जिसमें उस दौरान अध्ययन की गई सामग्री से तैयार किए गए प्रश्न सम्मिलित होते हैं। परिणामों को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया जाता है, जैसे चिन्ह या शब्दावली (ग्रेडिंग/ फेल /पास) शामिल किए जाते हैं।
यह मूल्यांकन अभी भी अधिकांश कक्षा मूल्यांकन गतिविधि पर हावी है। माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों द्वारा बच्चों को चिन्हित करने, विद्यार्थी के का उनकी मात्रात्मकता और सटीकता का आकलन करने के लिए आकलन के इस प्रकार का उपयोग करते हैं। शिक्षक का फोकस मुख्यता अंक या श्रेणी पर रहता है।
विद्यार्थियों की तुलना करने पर जोर रहता है और विद्यार्थियों के प्रदर्शन में सुधार के लिए बहुत कम संभावनाएं रहती है। आमतौर पर यह मूल्यांकन विचारों या अवधारणाओं के प्रदर्शन में अधिक सहयोग नहीं देते हैं, क्योंकि परीक्षा सामग्री बहुत सीमित होती है।
सीखने के आकलन में समस्याएं – समुदाय, अभिभावक, शिक्षक विद्यालय में इस ग्रेडिंग का काफी हद तक समर्थन करते हैं लेकिन इसकी निष्पक्षता और सटीकता के बारे में संदेह बढ़ रहा है। शिक्षक सभी प्रकार की क्षमताओं का आकलन भी इसी आधार या ग्रेडिंग पर करते हैं।
शिक्षा सफल एवं सुखद भविष्य के लिए एक आवश्यक घटक है। इस बात पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए कि ग्रेड वास्तव में अधिगमकर्ता की क्षमताओं का आकलन सर्वश्रेष्ठ रूप से प्रतिबिंबित करें।
सीखने के लिए आकलन (Assessment for Learning)
प्रगति और सीखने की जरूरतों का आकलन करते हैं। विद्यार्थी के सीखने के स्तर और विचारों के बारे में सटीक प्रतिक्रिया के साथ अभिभावक और विद्यार्थी के लिए भी समर्थन प्रदान करता है।
यह आकलन रचनात्मक प्रकार का होता है। शिक्षण, सीखने की प्रक्रिया के साथ एकीकृत है। इसका केंद्र बिंदु सीखने में अंतराल की पहचान करना और बच्चे को सीखने में सहयोग (Scaffolding) प्रदान करने पर रहता है।
प्रतिपुष्टि द्वारा व्यक्तिगत रूप से बच्चे के सुधार में विस्तार से मदद करता है। शिक्षक को उनके शिक्षण को संशोधित करने में मदद करता है।
विद्यार्थी, शिक्षक के साथ-साथ आकलन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों के सीखने के प्रमाण एकत्र करते हैं और आगे के विश्लेषण के लिए चेक लिस्ट, कार्य पत्रकों, असाइनमेंट जैसे दस्तावेजों का संधारण करते हैं।
सीखने के लिए आकलन सीखने के बीच घटित होने वाली प्रक्रिया है बजाय की एक हिस्सा पूरा होने के बाद किया जाए। यह प्रभावशाली प्रक्रिया है, जिसमें बच्चों को शिक्षक आकलन के भाग के रूप में सहायता प्रदान करता है।
यह कार्य शिक्षकों के नैदानिक (जांच पड़ताल) कौशल पर निर्भर करता है। यह कक्षा में बच्चों के व्यवहार कौशल और ज्ञान को मूल्यांकन के माध्यम से घोषित करने का एक त्वरित तरीका है।
इस प्रक्रिया में रिकॉर्ड रखने के लिए ग्रेडबुक शामिल हो सकती है लेकिन उनका उपयोग विद्यार्थियों की प्रगति के साथ सीखने की निरंतरता का पता लगाने के लिए किया जाए। इसमें दूसरे विद्यार्थियों के कार्यों की स्वयं से तुलना करते हुए विद्यार्थी स्वयं का आकलन करता है।
सीखने के रूप में आकलन (Assessment As Learning)
विद्यार्थी अपने स्वयं के सीखने का आकलन करते हैं और विश्लेषण करते हैं कि उनकी सीखने की न्यूनता को सुधारने के लिए किन रणनीतियों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
यह आकलन स्वविकास और स्वावलोकन के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें अन्य विद्यार्थियों के साथ कोई तुलना नहीं है। विद्यार्थियों ने अपने लक्ष्य स्थापित किए और इसकी तुलना में अपनी प्रगति को परखा। विद्यार्थी अपनी शक्तियों और कमजोरियों को समझ सकता है। यह आकलन बौद्धिक उन्नयन में विद्यार्थी को सक्षम बनाता है।
सीखने के रूप में आकलन विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण अध्ययन तथा स्व मूल्यांकन कर्ता के रूप में देखता है। विद्यार्थी सक्रिय रहते हुए, पूर्व ज्ञान से संबंध स्थापित करते हुए, इसमें शामिल कौशल में महारत हासिल कर सकते हैं। यह तब होता है, जब विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से निगरानी करते हैं कि वह क्या सीख रहे हैं?
इसमें विद्यार्थियों को बेहतर जीवन जीने के लिए निर्णय लेने, समस्याओं को सुलझाने के लिए, अपनी प्रतिभा और ज्ञान में सक्षम होने के लिए आत्म प्रेरित होने की आवश्यकता होगी। इसमें दूसरों के साथ तुलना की बजाय, अपने पूर्व कार्य से संबंध देखते हुए, निरंतर सीखने पर समझ बनाई जा सकती है।
विद्यार्थी स्वयं, व्यक्तिगत लक्ष्य एवं बाहरी मानक का मुख्य निर्धारक होता है। वह स्वयं का आकलन निम्न बिंदुओं द्वारा करता है –
- मुझे गहरी समझ है।
- मेरा काम लगातार उम्मीदों पर खरा उतरता है।
- मुझे बुनियादी समझ है।
- मुझे मदद चाहिए।
वास्तव में सीखने के रूप में आकलन (असेसमेंट एज लर्निंग) का उपयोग बहुत कम हो पाता है। विद्यालय आधारित आकलन (SBA) में “सीखने का आकलन” (Assessment of Learning) का अधिक प्रयोग होता है।
विद्यार्थी के मूल्यांकन के लिए तीनों दृष्टिकोण का महत्व है इसलिए हमें विद्यालय में तीनों आकलन का सही संतुलन बनाते हुए उपयोग करना चाहिए, जिससे इनका उपयोग विद्यार्थियों के सीखने में सुधार के लिए किया जा सके।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
विद्यालय आधारित आकलन की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर : विद्यालय आधारित आकलन की मुख्य विशेषताएं शिक्षण-अधिगम और आकलन को एकीकृत करना, उपलब्धि के आकलन के बजाय सीखने के आकलन पर ध्यान देना, विषय वस्तु याद रखने (रटने) के बजाय (सीखने के प्रतिफल आधारित) योग्यता विकास पर ध्यान देना आदि है।
कक्षा कक्ष में किन किन पहलुओं का आकलन किया जाता है?
उत्तर : कक्षा कक्ष मे शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन, छात्रों की समझ और ज्ञान का आकलन, शिक्षा की सुविधाओं और संसाधनों का आकलन आदि पहलुओं का आकलन किया जाता है।
बच्चों के सीखने की प्रगति का आकलन करने के लिए शिक्षकों और हितधारकों के मार्गनिर्देशक बिंदु क्या है?
उत्तर : बच्चों के सीखने की प्रगति का आकलन करने के लिए शिक्षकों और हितधारकों के मार्गनिर्देशक बिंदु सिखने के प्रतिफल है।
वर्तमान विद्यालय आधारित मूल्यांकन में पारंपरिक बाह्य परीक्षा की किन विशेषताओं को बाहर रखा गया है?
उत्तर : वर्तमान स्कूल-आधारित मूल्यांकन में पारंपरिक बाहरी परीक्षा की ‘केवल सीखने के शैक्षिक पहलुओं पर ज़ोर’ को बाहर रखा गया है।