RTE Act 2009 में संशोधन – नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (संशोधन) 2019
नो डिटेंशन पॉलिसी प्रावधान को हटाने के लिये निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में संशोधन हेतु निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 लाया गया था।
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी – यह नि:शुल्क शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम हिस्सा है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि छात्रों को कक्षा 8 तक किसी भी कक्षा में अनुत्तीर्ण नहीं किया जाएगा। अनुत्तीर्ण होने पर उसी कक्षा में पुनः पढ़ने के लिये बाध्य न किया जाए। अगर किसी छात्र के प्राप्तांक कम हैं तो उसे Passing Grade ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेज दिया जाए।
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2019 की महत्वपूर्ण जानकारियां –
संशोधन अधिनियम का नाम – नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019
लोकसभा में पारित – 11 अगस्त, 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा लोक सभा में पेश। 22 अगस्त, 2017 को यह विधेयक मानव संसाधन विकास पर स्थायी समिति सत्यनारायण जाटिया की अध्यक्षता को सौंप दिया गया। समिति ने 9 फरवरी, 2018 को विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। लोकसभा में 18 जुलाई, 2018 को पारित।
राज्य सभा में पारित – 03 जनवरी, 2019
राष्ट्रपति की मंजूरी – 10 जनवरी, 2019
भारत के राजपत्र में प्रकाशन – 11 जनवरी 2019
निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (संशोधन) 2019 की मुख्य विशेषताएं –
• सेक्शन 16 में संशोधन – Sub-Section 1, 2, 3 व 4 जोड़े गए हैं।
• यह संशोधन निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन को प्रतिबंधित करने वाले प्रावधान में संशोधन करता है।
• प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष (एकेडमिक वर्ष) के अंत में कक्षा 5 और कक्षा 8 की नियमित रूप से परीक्षाएं होगी। [सेक्शन 16 (1)]
• यदि कोई छात्र कक्षा 5 और कक्षा 8 परीक्षा में असफल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त शिक्षण दिया जाएगा और परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने की तारीख से 2 माह के भीतर पुनः परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। [सेक्शन 16 (2)]
• यदि छात्र पुनः परीक्षा में असफल हो जाता है, तो केंद्र या राज्य सरकार उसे कक्षा 5 और कक्षा 8 या दोनों कक्षाओं में रोक सकती है। [सेक्शन 16 (3)]
• केंद्र एवं राज्य सरकार यह निर्धारित करेंगी कि प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक किसी छात्र को किसी कक्षा में न रोका जाए। [सेक्शन 16 (3)]
• संशोधन विधेयक के अनुसार, किसी छात्र को प्राथमिक शिक्षा पूरी किए जाने तक विद्यालय से निकाला नहीं जाएगा। [सेक्शन 16 (4)]
• केंद्र या राज्य सरकार उन नियम एवं शर्तों को निर्धारित करेंगी, जिसके तहत किसी बालक को किसी कक्षा में रोका जाएगा।
• मूल अधिनियम की धारा 38 में, उप-धारा (2) में खंड (f) के बाद, निम्नलिखित खंड को सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात्:
“(fa) – धारा 16 की उप-धारा (3) के तहत जिस तरीके और शर्तों के अधीन एक बच्चे को वापस रखा जा सकता है।”