इस आर्टिकल में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल और सैनिक स्कूल, भारत में कुल राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, सैनिक स्कूल सोसायटी, सैनिक स्कूल प्रवेश प्रक्रिया, सैनिक स्कूल लिस्ट आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल
Rashtriya Military School : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल रक्षा कर्मियों के बेटों की शिक्षा की देखभाल करने के लिए किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूलों के रूप में स्थापित थे।
1952 में स्कूलों को पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर पुनर्गठन किया गया और प्रवेश रक्षा सेवा के अधिकारियों और नागरिकों के बेटों के लिए खुला रखा गया था। 1956 में स्कूल भारतीय पब्लिक स्कूल कॉन्फ्रेंस (IPSC) का सदस्य बन गया और आज तक एक सक्रिय सदस्य है।
1966 में इन स्कूलों का नाम बदलकर मिलिट्री स्कूल (Military School) कर दिया गया और साथ ही इसके पुराने आदर्श वाक्य ‘खेल खेलो’ (Play The Game) को भी ‘शीलं परम भूषणं’ कर दिया गया जिसका अर्थ है ‘चरित्र ही सबसे बड़ा गुण’ है। ये स्कूल पूर्णतः आवासीय है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों के कैडेट अपने आप को ‘Georgnans’ कहते हैं।
मिलिट्री स्कूलों को ब्रिटिश काल में स्थापित किया गया था और इन्हें किंग जॉर्ज मिलिट्री स्कूल के रूप में संदर्भित किया जाता था। राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल (पंजाब) जो सबसे पुराना मिलिट्री स्कूल है, पूर्व में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज के रूप में जाना जाता था। सबसे न्यूनतम राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर है।
25 जून 2007 को स्कूलों को अपने वर्तमान नाम राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (Rashtriya Military School) मिल गया।
भारत में कुल राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल
भारत में कुल 5 राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल है :
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, अजमेर (राजस्थान)2. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेंगलुरु (कर्नाटक)3. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेलगांव (महाराष्ट्र)4. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल (हिमाचल प्रदेश)5. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धौलपुर (राजस्थान)
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल (हिमाचल प्रदेश)
Rashtriya Military School, Chail (Himachal Pradesh) : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल की स्थापना 15 सितंबर 1925 को (इसके साथ ही झेलम में भी खोला गया जो अब पाकिस्तान में है) किंग जॉर्ज पंचम के द्वारा दान की गई धनराशि से इस विद्यालय की नींव तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स ने 1922 में रखी थी। यह भारत का सबसे पुराना मिलिट्री स्कूल है।
स्थापना के समय यह स्कूल जालंधर छावनी में कार्य करना प्रारंभ किया था। शुरुआत में यह स्कूल किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज के रूप में जाना जाता था। बाद में इस कॉलेज का नाम बदलकर किंग जॉर्ज स्कूल कर दिया गया।
1952 में नोवगोगं (बुंदेलखंड) में इसे स्थानांतरित कर दिया गया। 1960 में इसे वापस चैल (हिमाचल) में स्थानांतरित कर दिया गया। जनवरी 1966 को इस स्कूल का नाम बदल कर मिलिट्री स्कूल चैल कर दिया गया। 25 जून 2007 से राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल के नाम से जाना जाता है।
इस स्कूल की स्थापना सैन्य अधिकारियों के लड़कों को मुफ्त शिक्षा देने तथा भारतीय सेना के विशेष शिक्षा प्रमाण पत्र सहित विभिन्न सैन्य परीक्षाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से की गई थी।
संपूर्ण पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम तथा सैन्य आवश्यकताओं पर आधारित था। सितंबर 1952 से इस स्कूल में सशस्त्र सेना बल के अधिकारियों एवं नागरिकों के बेटों को शिक्षा प्रदान की जाती है।
10+2 परीक्षा योजना के तहत यहां छात्र अध्ययन करते हैं तथा यह स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबंध है तथा कक्षा 6 और 9वी में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है और इसके बाद साक्षात्कार और मेडिकल टेस्ट के आधार पर चयन किया जाता है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, अजमेर (राजस्थान)
Rashtriya Military School, Ajmer (Rajasthan) : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल अजमेर की स्थापना 15 नवंबर 1930 को रक्षा कर्मियों के बेटों की शिक्षा हेतु किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल के नाम से हुई थी। यह एक अंग्रेजी माध्यम (English Medium) स्कूल है जो रक्षा मंत्रालय का A श्रेणी का स्कूल है।
यह स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSC) से संबंध है। इस राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल का प्रबंधन केंद्रीय नियामक परिषद (CGC) जो रक्षा मंत्रालय के प्रमुख सचिव के अधीन है, के द्वारा होता है।
इस विद्यालय में 13% आरक्षण आम नागरिकों के लिए सुरक्षित रखा गया है। राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, अजमेर में प्रवेश कक्षा 6 से 9 जो प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है तथा कक्षा 11 में प्रवेश दसवीं कक्षा के अंकों के आधार पर होता है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बैंगलोर
Rashtriya Military School, Bangalore : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल बेंगलुरु की स्थापना 1 अगस्त 1946 को दक्षिण भारत के रक्षा कर्मियों के बेटों को शिक्षा प्रदान करने के लिए किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज के नाम से की गई थी। इसमें अन्य बातें दूसरे मिलिट्री स्कूलों जैसी ही है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेलगांव
Rashtriya Military School, Belgaum : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेलगांव की स्थापना 30 दिसंबर 1945 को बंबई प्रांत के बेलगांव में किंग जॉर्ज VI रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज के नाम से हुई।
26 जनवरी 1950 को स्कूल का नाम बदलकर किंग जॉर्ज मिलिट्री स्कूल कर दिया गया। स्कूल ऐसे लड़कों को भी तैयार करता है जो राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की प्रवेश परीक्षा के लिए सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक हो। अन्य बातें दूसरे मिलिट्री स्कूलों जैसी ही है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धोलपुर
Rashtriya Military School, Dholpur : राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धोलपुर की स्थापना 16 जुलाई 1962 को की गई। यह सबसे छोटा और नवीन मिलिट्री स्कूल है। स्वतंत्रता के बाद स्थापित यह केवल एक ही स्कूल है। यह स्कूल धौलपुर बाड़ी नेशनल हाईवे पर स्थित है। तत्कालीन महाराजा उदय भान सिंह द्वारा दान किए गए एक शाही महल में स्थित है।
स्कूल रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार (Govt of India) के तत्वावधान में कार्य करता है। स्कूल का उद्देश्य गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना और अधिकारियों के रूप में भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए कैडेटों (Cadets) को तैयार करना है।
कक्षा 6 से 12 तक यहां अध्ययन करवाया जाता है। यह एक आवासीय विद्यालय है जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSC) से संबंध है और अंग्रेजी माध्यम विद्यालय है।
सैनिक स्कूल (Sainik School)
सैनिक स्कूल (Sainik School) की स्थापना की मांग कांग्रेस के तीसरे अधिवेशन मद्रास में 1887 में की गई थी। सैनिक स्कूलों की स्थापना रक्षा मंत्री वीके कृष्णा मेनन की परिकल्पना के आधार पर की गई। सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए योजना 1961 में शुरू की गई थी ताकी भर्ती आधार को विस्तृत किया जा सके और रक्षा बलों के ऑफिसर कैडर में एक कथित क्षेत्रीय और वर्ग असंतुलन को समाप्त किया जा सके।
सैनिक स्कूलों की स्थापना का विचार इंग्लैंड के पब्लिक स्कूलों से प्रेरित होकर एवं राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) की प्रेरणा से उत्पन्न हुआ है।
सैनिक स्कूल रक्षा मंत्रालय के अधीन सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा स्थापित और संचालित होता है। 1961 में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन ने भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग के बीच क्षेत्रीय और वर्ग असंतुलन को दूर करने और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) पुणे और खडकवासला में प्रवेश के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए कल्पना की थी।
सैनिक स्कूल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के संयुक्त उपक्रम है। सैनिक स्कूल, सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा प्रशासित किए जाते हैं। ये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबंध है। उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ राज्य सरकार के अधीन एकमात्र सैनिक स्कूल बना हुआ है।
1960 में स्थापित उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ भारत का प्रथम सैनिक स्कूल था। इसका गठन सैनिक स्कूल सोसायटी 1961 के तहत न होकर इसका पंजीकरण भारतीय समितियां पंजीकरण एक्ट के तहत हुआ था।
सैनिक स्कूल सोसायटी
सैनिक स्कूल सोसाइटी रक्षा मंत्रालय के तहत एक संगठन है। सैनिक स्कूल सोसायटी का मुख्य कार्यकारी निकाय रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करने वाला एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (Board of Governance) है।
सैनिक स्कूलों के मामलों नियंत्रण और पर्यवेक्षण करने के लिए रक्षा सचिव (Defense Secretary) की अध्यक्षता में एक कार्यकारी कमेटी गठित की गई है है। स्कूल के स्थानीय प्रशासन की देखभाल एक स्थानीय प्रशासनिक बोर्ड द्वारा की जाती है।
सैनिक स्कूल प्रवेश प्रक्रिया
इन स्कूलों में प्रवेश के लिए सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा (AISSEE) का आयोजन किया जाता है। जिसके माध्यम से होनहार छात्रों का चयन किया जाता है।
इन स्कूलों का उद्देश्य बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy, NDA) के लिए तैयार करना होता है। इन विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र कैडेट कहलाते हैं।
सैनिक स्कूलों में कैडेटों (Cadets) को खेल और अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में अपने कौशल को विकसित करने की अनुमति देते हैं। कैडेट भी एनसीसी का हिस्सा होते हैं। एक कैडेट जो अपने 12 वीं कक्षा को पूरा करता है, उसके पास आमतौर पर एनसीसी बी प्रमाणपत्र होता है।
इन स्कूलों में प्रवेश के लिए आरक्षण व्यवस्था : 67% उसी राज्य के लड़कों के लिए जहाँ सैनिक स्कूल स्थित है। 33% अन्य राज्यों के लड़कों के लिए आरक्षित हैं। इसके साथ-साथ आरक्षित सीटों में 25% रक्षा कर्मियों के बेटों के लिए तथा 15% अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) बच्चों के लिए आरक्षित है।
सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)
Sainik School, Chittorgarh (Rajasthan) : सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ की स्थापना 7 अगस्त 1961 को ब्रिगेडियर संकटा मेनन द्वारा की गई। यह स्कूल सैनिक स्कूल सोसायटी के तत्वावधान में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य करता है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न राज्यों में शुरू पहले 5 सैनिक स्कूलों में से एक है। यह स्कूल भी ऑल इंडिया पब्लिक स्कूल कॉन्फ्रेंस (IPSC) का सदस्य है। 26 जनवरी 2014 को इस सैनिक स्कूल को राष्ट्रपति अवार्ड मिल चुका है।
इस स्कूल का उद्देश्य राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला पुणे में प्रवेश के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से अकादमिक छात्रों को तैयार करना और रक्षा सेवाओं के अधिकारी संवर्ग में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना है।सभी सैनिक स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को देश की रक्षा सेवाओं में अधिकारियों के रूप में नेतृत्व करने के लिए तैयार करना है।
भवानी निकेतन सैनिक स्कूल जयपुर
रक्षा मंत्रालय ने भवानी निकेतन स्कूल को सैनिक स्कूल की मंजूरी दी है। राजस्थान यह तीसरा सैनिक स्कूल होगा। राजस्थान में अभी चित्तौड़गढ़ और झुंझुनूं में सैनिक स्कूल है।
भवानी निकेतन पब्लिक स्कूल परिसर को सैनिक स्कूल के रूप में मान्यता दी है। इस स्कूल को फिलहाल दो साल के लिए सैनिक स्कूल संचालन की अप्रूवल दी गई है। दो साल यहां की परफॉर्मेंस रिव्यू करने के बाद इसकी अप्रूवल को आगे कुछ साल के लिए बढ़ाया जाएगा।
सैनिक स्कूल सोसायटी के अधीन संचालित होगा। इस स्कूल में 100 सीटें रहेगी, जिसमें से 40 सीटों पर एडमिशन भवानी निकेतन सोसायटी की अनुशंसा पर होगा। स्कूल में भर्ती की प्रक्रिया और काउंसलिंग सैनिक स्कूल सोसायटी के जरिए ही होगा, जबकि स्कूल में पढ़ाने वाला स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर भवानी निकेतन सोसायटी का होगा।
भवानी निकेतन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे को इस स्कूल में एडमिशन में प्राथमिकता मिलेगा, क्योंकि भवानी निकेतन शिक्षा समिति के लिए 40 फीसदी का कोटा निर्धारित किया है।
सैनिक स्कूल लिस्ट (Sainik School List)
- सैनिक स्कूल, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) (1960)
- सैनिक स्कूल सतारा, महाराष्ट्र (1961)
- सैनिक स्कूल कुंजपुरा, हरियाणा (1961)
- सैनिक स्कूल कपूरथला, पंजाब (1961)
- सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़, राजस्थान (1961)
- सैनिक स्कूल कोरुकोंडा, आंध्र प्रदेश (1962)
- सैनिक स्कूल कजाकुटम, केरल (1962)
- सैनिक स्कूल पुरुलिया, पश्चिमी बंगाल (1962)
- सैनिक स्कूल भुवनेश्वर, उड़ीसा (1962)
- सैनिक स्कूल अमरवाथी नगर, (उदुमल्पेट, तमिलनाड (1962)
- 11.सैनिक स्कूल रीवा, मध्य प्रदेश (1962)
- सैनिक स्कूल (लड़कियों के लिए), कित्तूर (बेलगांव, कर्नाटक) (1963)
- सैनिक स्कूल तिलैया, झारखंड (1963)
- सैनिक स्कूल बीजापुर, कर्नाटक (1963)
- सैनिक स्कूल गोलपारा, असम (1964)
- सैनिक स्कूल बालाचडी, गुजरात (1965)
- सैनिक स्कूल घोड़ाखाल, उत्तराखंड (1965)
- सैनिक स्कूल नगरोटा, जम्मू कश्मीर (1970)
- सैनिक स्कूल इम्फाल, मणिपुर (1971)
- सैनिक स्कूल सुजानपुर टीरा, हिमाचल प्रदेश (1978)
- सैनिक स्कूल नालंदा, बिहार (2003)
- सैनिक स्कूल गोपालगंज, बिहार (2003)
- सैनिक स्कूल पुंगलवा, नागालैंड (2007)
- सैनिक स्कूल कोडागू, कर्नाटक (2007)
- सैनिक स्कूल अम्बिकपुर, छत्तीसगढ (2008)
- सैनिक स्कूल रेवारी, हरियाणा (2008)
- सैनिक स्कूल कलिकिरी, आंध्र प्रदेश (2015)
- सैनिक स्कूल छिंगछिप, मिजोरम (2017)
- सैनिक स्कूल, झुन्झुनूं (राजस्थान) (2018)
प्रस्तावित नए सैनिक स्कूल (Proposed New Sainik School)
- सैनिक स्कूल, सिलचर, असम
- सैनिक स्कूल, जयपुर, राजस्थान
- सैनिक स्कूल, गोड्डा , झारखंड
- सैनिक स्कूल, संबलपुर , ओडिशा
- सैनिक स्कूल, अलवर , राजस्थान
- सैनिक स्कूल, मातनहेल (झज्जर, हरियाणा)
- सैनिक स्कूल, झांसी, उत्तर प्रदेश
- सैनिक स्कूल, चंद्रपुर, महाराष्ट्र
- सैनिक स्कूल पाली राजस्थान
- सैनिक स्कूल बिलासपुर, छत्तीसगढ़
- सैनिक स्कूल मुंबई, महाराष्ट्र
- सैनिक स्कूल रायपुर, छत्तीसगढ
- सैनिक स्कूल दौसा, राजस्थान
- सैनिक स्कूल जबलपुर, मध्य प्रदेश
- सैनिक स्कूल उदयपुर राजस्थान
- सैनिक स्कूल कश्मीर
- सैनिक स्कूल लेह
- सैनिक स्कूल पोर्टब्लेयर
Also Read :
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
राजस्थान में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल कहां कहां है?
उत्तर : राजस्थान में दो राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल अजमेर और धौलपुर में है।
सैनिक स्कूल और मिलिट्री स्कूल में क्या अंतर है?
उत्तर : मिलिट्री स्कूलों को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस चलाती है जबकि सैनिक स्कूल को स्टेट गवर्नमेंट चलाती है।
भारत में कुल कितने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल है?
उत्तर : भारत में कुल 5 राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल है :
1. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, अजमेर (राजस्थान)
2. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेंगलुरु (कर्नाटक)
3. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, बेलगांव (महाराष्ट्र)
4. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल (हिमाचल प्रदेश)
5. राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धौलपुर (राजस्थान)