इस आर्टिकल में स्वतंत्रता के प्रकार या स्वतंत्रता के रूप जैसे प्राकृतिक स्वतंत्रता, नागरिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वतंत्रता, नैतिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और समानता आदि पर चर्चा की गई है।
प्राकृतिक स्वतंत्रता (Natural Liberty)
प्राकृतिक स्वतंत्रता से तात्पर्य उस स्वतंत्रता से है जो राज्य की स्थापना से पूर्व में भी प्रकृति की ओर से लोगों को प्राप्त थी। यह हॉब्स द्वारा वर्णित स्वतंत्रता से संबंधित जंगल की आजादी का दूसरा नाम है। इसका अर्थ मानव के कृतियों पर किसी प्रकार के प्रतिबंध का न होना है।
प्राकृतिक स्वतंत्रता की धारणा मुख्यतया रूसो से संबंधित है। रूसो ने ‘Social Contract’ में लिखा है कि “मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा है।”
प्राकृतिक स्वतंत्रता के अनुसार स्वतंत्रता प्रकृति की देन है और मनुष्य जन्म से ही स्वतंत्र है। या यूं कहें प्राकृतिक स्वतंत्रता बंधनों का अभाव / कुछ भी करने की सुविधा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वाधीनता की घोषणा और फ्रांस की राज्यक्रांति में प्राकृतिक स्वतंत्रता का प्रतिपादन किया गया।
राज्य या समाज का व्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं। इससे मत्स्य न्याय का व्यवहार प्रचलित होता है।
नागरिक स्वतंत्रता (Civil Liberty)
नागरिक स्वतंत्रता से आशय उस स्वतंत्रता से है जिसमें व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ सहूलियतें दी जाती हैं। नागरिक स्वतंत्रता एक राज्य में रहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए है चाहे वह नागरिक हो या विदेशी।
बार्कर और लास्की के अनुसार नागरिक समाज में तीन प्रकार की स्वतंत्रता हैं – नागरिक, राजनितिक और आर्थिक।
बार्कर ने नागरिक स्वतंत्रता को दैहिक, बौद्धिक और व्यवहारिक माना है।
- दैहिक स्वतंत्रता – अर्थात राज्य की किसी कार्यवाही से व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।
- बौद्धिक स्वतंत्रता – अर्थात् व्यक्ति के विचार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो। मिल के अनुसार यह स्वतंत्रता व्यक्ति और समाज दोनों के हित में है। वाल्टर वेजहॉट ने चर्चा की स्वतंत्रता तथा विरोधी मत के प्रति सहिष्णुता को सामाजिक प्रगति की कुंजी माना है।
- व्यवहारिक स्वतंत्रता – अर्थात् अनुबंधन या अन्य मनुष्यों के साथ संबंध स्थापित करने की स्वतंत्रता।
नागरिक स्वतंत्रता की प्रमुख विशेषता निम्न प्रकार हैं –
- नागरिक स्वतंत्रता कानून या संविधान द्वारा प्रदत होती है।
- नागरिक स्वतंत्रता असिमित और निरंकुश नहीं हो सकती।
- नागरिक स्वतंत्रता व्यक्ति को राज्य या समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त होती है।
- नागरिक स्वतंत्रता के दो प्रकार हैं – (I) शासन के विरुद्ध व्यक्ति की स्वतंत्रता (II) व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों या समुदायों से स्वतंत्रता।
- नागरिक स्वतंत्रता को न्यायालय द्वारा सुरक्षा प्राप्त होती है।
राजनीतिक स्वतंत्रता (Political Liberty)
देश के शासन में सक्रिय रुप से भाग लेना ही राजनीतिक स्वतंत्रता है। इसके अंतर्गत वोट देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार, सरकार की आलोचना करने का अधिकार शामिल है।
राजनीतिक स्वतंत्रता आकांक्षा की अभिव्यक्ति और राज्य शक्ति के प्रयोग का अधिकार है। यह प्रजातंत्रात्मक देश में ही संभव है।
लोकतंत्र के सफल संचालन और विकास के लिए राजनीतिक स्वतंत्रता अति आवश्यक है इसके अभाव में प्रजातंत्र संभव नहीं है। राजनीतिक स्वतंत्रता मात्र प्रजातांत्रिक राज्य में ही संभव है सर्वाधिकारवादी राज्यों में इस स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं है।
लास्की ने राजनीतिक स्वतंत्रता को स्पष्ट करते हुए कहा कि “मैं राज्य के मामलों में खुलकर भाग ले सकता हूं, मेरे उक्त पद पर पहुंचने के मार्ग में कोई बाधा नहीं है, जो सबके लिए न हो, मैं अपनी राय को अकेले अथवा दूसरों के साथ शामिल होकर प्रकट कर सकता हूं।”
लास्की, “राज्य के कार्यों में सक्रिय भाग लेने की शक्ति ही राजनीतिक स्वतंत्रता है।
ब्लैकटोन के अनुसार, “राजनीतिक स्वतंत्रता प्रजातंत्र का दूसरा नाम है।”
बार्कर के अनुसार, ” राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं बल्कि सरकार बनाने तथा उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है।”
रूसो ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता का राजनीतिक सत्ता के बीच समझौता करने का प्रयास किया है।
आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Liberty)
आर्थिक स्वतंत्रता से तात्पर्य व्यक्ति की उस अवस्था से होता है, जिसमें वह अपने आर्थिक प्रयत्नो का लाभ स्वयं प्राप्त करने में स्वतंत्र हो तथा किसी प्रकार वह ऐसी दशा में न हो कि उसके कर्म का पारिश्रमिक दूसरों को प्राप्त हो।
देखा जाए तो आर्थिक क्षेत्र में नकारात्मक स्वतंत्रता और सकारात्मक स्वतंत्रता एक दूसरे के विपरीत पक्ष प्रस्तुत करते हैं। नकारात्मक संदर्भ में आर्थिक स्वतंत्रता का अर्थ लगाया जाता है कि मनुष्य की आर्थिक गतिविधियों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध हो। इसके विपरीत आर्थिक स्वतंत्रता की सकारात्मक संकल्पना सर्वसाधारण की आर्थिक असमर्थता के निराकरण की मांग करती है ताकि धनी और निर्धन वर्ग की दूरी कम हो सके।
आर्थिक स्वतंत्रता का उद्देश्य मनुष्य को अभावों से मुक्ति दिलाना और उद्योग में प्रजातंत्र की स्थापना करना है।
लास्की के अनुसार, “आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता बेकार है। एक भूखे-नंगे व्यक्ति के लिए वोट देने, सार्वजनिक पद प्राप्त करने आदि स्वतंत्रता या अधिकारों का कोई महत्व नही।”
नेहरू के शब्दों में, “भूखे मनुष्य के लिए अथवा वोट का कोई महत्व नहीं।”
हॉब्स, “एक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का क्या लाभ है स्वतंत्रता को खा सकता है और नहीं पी सकता है।”
नोट – बार्कर ने स्वतंत्रता के तीन प्रकारों में विभेद किया है – नागरिक, राजनीतिक एवं आर्थिक।
आर्थिक विषमता के रहते राजनीतिक स्वतंत्रता शून्य है। आर्थिक विषमता से तात्पर्य योग्यतम की उत्तरजीविता है।
वर्तमान समय में राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता का भी पर्याप्त महत्व बढ़ गया है। इसके अंतर्गत निम्न अधिकार सम्मिलित हैं –
- नागरिकों को काम करने का अधिकार।
- आराम व अवकाश का अधिकार।
- वृद्धावस्था और असमर्थता में आर्थिक सुरक्षा का अधिकार।
- कार्य करने के न्यायोचित निर्धारित घंटे।
- श्रम संगठनों के निर्माण का अधिकार।
- कोई व्यवसाय अथवा व्यापार करने का अधिकार।
- उद्योग के नियंत्रण में भागीदारी का अधिकार।
- सामाजिक बीमा (Social Insurance) की उपलब्धि का अधिकार।
नैतिक स्वतंत्रता (Ethical Liberty)
व्यक्ति को अन्य सभी प्रकार की स्वतंत्रता प्राप्त होने पर यदि वह नैतिक दृष्टि (अनुचित लोभ – लालच के बिना अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करने की योग्यता) से परतंत्र है तो उसे स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता। सामान्यतया आदर्शवादियों ने इस स्वतंत्रता की चर्चा की है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression)
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) का मुद्दा “अहस्तक्षेप के लघुतम क्षेत्र” से जुड़ा हुआ है। अहस्तक्षेप के लघुत्तम क्षेत्र के अंतर्गत विद्यालय, खेल के मैदान और कार्यालय जैसी विभिन्न स्थितियों में पहनावे का चयन का मामला आता है। फिल्मो की सेंसरशिप प्रतिबंध से अलग है।
जे एस मिल ने सबल तर्क दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रतिबंधित नहीं होनी चाहिए। मिल ने अपनी पुस्तक ‘On Liberty’ में चार कारण पेश किए हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन्हे भी होनी चाहिए।
वाल्तेयर, ” तुम जो कहते हो मैं उसका समर्थन नहीं करता लेकिन मैं मरते दम तक तुम्हारे कहने के अधिकार का बचाव करूंगा।”
मार्क्सवाद, “भूखे व्यक्ति के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।”
जे एस मिल के अनुसार स्वतंत्रता के प्रकार
जे एस मिल के स्वतंत्रता संबंधी विचार ‘स्वतंत्रता एक विवेचन (On Liberty)’ में है। व्यक्ति के दो प्रकार के कार्यों का विवेचन किया है – आत्मपरक और अन्यपरक।
जे एस मिल ने 3 प्रकार की स्वतंत्रता बताई है –
- अंतरात्मा की स्वतंत्रता।
- स्वयं की अभिरुचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता।
- संगठित होने की स्वतंत्रता।
लास्की के स्वतंत्रता संबंधित विचार
लास्की ने स्वतंत्रता के प्राप्य और अर्थपूर्ण होने के लिए तीन सकारात्मक स्थितियों को आवश्यक बताया है।
- विशेषाधिकारों की अनुपस्थिति।
- अधिकारों की उपस्थिति।
- उत्तरदायी / कल्याणकारी राज्य।
लास्की ने स्वतंत्रता को 3 कोटियों में विभाजित किया है – निजी, राजनीतिक और आर्थिक।
स्वतंत्रता और स्वछंदता में संबंध
स्वच्छंदता के कारण अराजकता और मत्स्य न्याय की स्थिति उत्पन्न होती है। जिससे व्यक्ति उच्छृंखलता हो जाएगा और उच्छृंखलता की स्थिति को स्वतंत्रता नहीं कहा जा सकता है।
राज्य और स्वतंत्रता में संबंध
राज्य की प्रभुत्व शक्ति मानव स्वतंत्रता में सहायक है। राज्य में ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास संभव है। आदर्शवादी विचारधारा का जन्म।
कानून और स्वतंत्रता में संबंध
कानून स्वतंत्रता की पहली शर्त और स्वतंत्रता का रक्षक है। आदर्शवादी इसी विचारधारा का समर्थक हैं। कानून और स्वतंत्रता एक दूसरे के पूरक है, विरोधी नहीं। स्वतंत्रता पर कानून का उचित नियंत्रण आवश्यक है।
यदि कानून जनता की भलाई के लिए बनाया जाए तो ही स्वतंत्रता की रक्षा होगी अन्यथा नहीं।
जॉन लॉक, “जहां कानून नहीं वहां स्वतंत्रता नहीं है।”
डायसी, “कानून और स्वतंत्रता परस्पर विरोधी हैं।”
विलोबी, “यदि नियंत्रण न होता तो स्वतंत्रता भी नहीं होती।” क्योंकि कानून के द्वारा ही अधिकारों की रक्षा होती है।
मैंक्से, “यदि स्वतंत्रता एवं कानून में संघर्ष नहीं होता तो स्वतंत्रता स्वयं से संघर्ष करने लगती है।”
रूसो, “कानून का अधिकतम पालन ही अधिकतम स्वतंत्रता है।”
समानता और स्वतंत्रता में संबंध
स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व का नारा फ्रांसीसी क्रांति का प्रेरणा स्रोत था। स्वतंत्रता और समानता एक दूसरे की पूरक है परंतु उसमें टकराव का बिंदु है, वह है – औचित्यता (संसाधनों की कमी / प्रचुरता)।
स्वतंत्रता से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण बातें
- स्वतंत्रता की अतिरंजित प्राथमिकता का परिणाम होता है – स्वतंत्रता पर प्रतिबंध।
- ग्रीन के विचारों में स्वतंत्रता के मार्ग में तीन सबसे बड़ी बाधा हैं – अज्ञानता, शराबखोरी और गरीबी।
- मॉन्टेस्क्यू ने स्वतंत्रता को अपना सर्वोत्तम राजनीतिक आदर्श बनाया।
- स्ट्राइक और एपीक्यूरियन व्यक्ति की आध्यात्मिक और भौतिक स्वतंत्रता के पक्षधर थे।
- ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ (Long Walk To Freedom) “स्वतंत्रता के लिए लंबी यात्रा” नेल्सन मंडेला की आत्मकथा है।
- स्वतंत्रता का अस्तित्ववादी दृष्टिकोण – जीन पॉल सार्त्र द्वारा दिया गया।
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स्वतंत्रता का अर्थ एवं परिभाषाएं
स्वतंत्रता से संबंधित अवधारणाएं
स्वतंत्रता का हानि सिद्धांत : जे एस मिल
स्वतंत्रता की सकारात्मक और नकारात्मक अवधारणा
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जे एस मिल के अनुसार स्वतंत्रता के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर : जे एस मिल ने 3 प्रकार की स्वतंत्रता बताई है – १. अंतरात्मा की स्वतंत्रता २. स्वयं की अभिरुचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता ३. संगठित होने की स्वतंत्रता।
प्राकृतिक स्वतंत्रता का मुख्य प्रवर्तक कौन है ?
उत्तर : प्राकृतिक स्वतंत्रता का मुख्य प्रवर्तक जे जे रूसो था।
नागरिक स्वतंत्रता क्या है ?
उत्तर : नागरिक स्वतंत्रता से आशय उस स्वतंत्रता से है जिसमें व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ सहूलियतें दी जाती हैं।
टी एच ग्रीन के अनुसार स्वतंत्रता के मार्ग में तीन सबसे बड़ी बाधाएं कौन-सी हैं ?
उत्तर : ग्रीन के विचारों में स्वतंत्रता के मार्ग में तीन सबसे बड़ी बाधाएं हैं – अज्ञानता, शराबखोरी और गरीबी।