इस आर्टिकल में सृजनात्मकता क्या है, सर्जनात्मकता की परिभाषाएं, टोरेंस का सृजनात्मक सिद्धांत, गिल्फोर्ड : सर्जनशीलता का आधार, सृजनात्मकता के प्रमुख तत्व, सर्जनात्मकता की विशेषताएं, सृजनात्मकता के प्रकार, सर्जनशील बालकों की विशेषताएं आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
सृजनात्मकता का अर्थ क्या है
नवीन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता व्यक्ति में होती है तभी वह तीव्र गति से होने वाले परिवर्तनों से सामंजस्य कर पा रहा है, साथ ही अपनी योग्यता से नवीन सर्जन कर पाता है।
प्रत्येक व्यक्ति कम या अधिक सर्जनात्मक है। बालकों में भी सृजनात्मकता की मात्रा कुछ सीमा तक विद्यमान होती है जिसे वह अपनी कल्पना द्वारा प्रकट करते रहते हैं। वास्तव में सृजनशील व्यक्ति राष्ट्र की अमूल्य निधि होते हैं, समाज की उन्नति और उत्थान इन्हीं पर निर्भर होता है।
अतः सर्जनशीलता के विकास के लिए प्रयास अपेक्षित है। यह सृजनात्मकता क्या है और सृजनात्मकता के घटक / तत्व कौन-कौन से हैं, सृजनात्मकता की विशेषताएं और प्रकार आदि पर आगे चर्चा करेंगे।
सर्जनशीलता शब्द अंग्रेजी के शब्द Creativity का रूपांतर है जो करे (Kere) से निर्मित है। इसका अर्थ है ‘अस्तित्व में आना’ अथवा ‘उगना’।
वेबस्टर (Webster) शब्दकोष के अनुसार, Create एक क्रिया के रूप में ‘बनाना’, ‘अस्तित्व में लाना’ अथवा ‘मौलिक रूप से उत्पन्न होना’ अर्थ में आता है और Creative शब्द का अर्थ ‘योग्यता’, ‘शक्ति’ और ‘कल्पना’ आदि होता है। इस तरह Creativity शब्द का अर्थ ‘निर्माण करने की योग्यता’ से है।
सर्जनात्मकता की परिभाषाएं
मैसलो के अनुसार, “सृजनात्मकता अंतर्दृष्टि की क्षणिक चमक के समान है।” (Creativity occur life a flash of insight.)
बैरन के अनुसार, “पहले से विद्यमान पदार्थों अथवा तत्वों को मिलाकर नया योग बनाने की क्षमता ही सर्जनशीलता है।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “अनिवार्य रूप से किसी नई वस्तु का सृजन करना है। रचना (विस्तृत अर्थ में) जहां पर नए विचारों का संग्रह हो, वहां पर प्रतिभा का सृजन (विशेषतः तब जबकि स्वयं प्रेरित हो न की अनुकृत) जहां पर मानसिक सर्जन केवल दूसरे के विचारों का योग न हो।”
सी वी गुड (C.V. Good) के अनुसार, “सृजनात्मकता वह विचार है जो किसी समूह में विस्तृत सातत्य का निर्माण करता है। सर्जनशीलता के कारण हैं- साहचर्य, आदर्शात्मक, मौलिकता, अनुकूलता, सातत्यता, लोच एवं तार्किक विकास की योग्यता।”
इस प्रकार C V Good ने सर्जनशीलता में 6 तत्वों को सम्मिलित किया है :
- साहचर्य
- आदर्शात्मक मौलिकता
- सातत्यता
- अनुकूलनता
- लोच की निरंतरता, तथा
- तार्किक मूल्यांकन की योग्यता।
टोरेन्स का सृजनात्मक सिद्धांत
टोरेन्स के मत में, “सृजनात्मकता समस्या की अपर्याप्तताओं, ज्ञान के अभाव, खोए तत्त्वों, असामंजस्यताओं आदि के प्रति संवेदनशील होने की प्रक्रिया है।”
वास्तव में टोरेन्स ने सर्जनात्मकता की उपर्युक्त परिभाषा में सर्जनात्मक आचरण के 4 तरीके बताएं जो उन्होंने मानसिक प्रक्रिया को ध्यान में रखकर निर्दिष्ट किए हैं :
प्रथम चरण – कठिनाइयों के प्रति संवेदनशील होने, समस्याओं के प्रति सजग होने तथा सूचनाओं में खोए तत्वों का पता लगाने की प्रक्रिया।
द्वितीय चरण – व्यवस्थित ढंग से परिकल्पनाओं को निर्मित करना, अनुमान लगाना, प्रश्न पूछना, सूचनाओं की जांच करना तथा उनका कुशलतापूर्वक संचालन करना।
तृतीय चरण – उन परिकल्पनाओं, अनुमानों व प्रश्नों का परीक्षण, पुनर्परीक्षण एवं संशोधन करना जो सर्जनात्मक प्रक्रिया के द्वितीय चरण में आए हैं।
चतुर्थ चरण – टोरेन्स के मत में सर्जनशीलता का चतुर्थ और अंतिम चरण परिणामों का दूसरों तक पहुंचना है।
आसुबेल (Ausubel) के अनुसार, “सृजनात्मकता बौद्धिक योग्यताओं, व्यक्तित्व चरों तथा समस्या समाधान लक्षणों की सामान्यीकृत राशि है।”
इसरेली. एन. (Israile. N.) के अनुसार, “सृजनात्मकता किसी नवीन वस्तु का निर्माण एवं प्रणयन करने की सामर्थ्य अथवा क्षमता है।”
जेरोम. बी. वाइसनर के मत में, “सर्जनशीलता या सृजनात्मकता शब्द का प्रयोग मुख्यतया ऐसी प्रक्रिया को बताने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरुप नवीन योगदानों का श्रीगणेश हो, जो मानव अनुभव के मानसिक स्तर पर मूल्यवान हो तथा जो विज्ञान, साहित्य, संगीत एवं दृष्टि संबंधी कलाओं को भी सम्मिलित करें।” इस प्रकार वाइसनर ने सर्जनात्मकता को विज्ञान से जोड़ा है।
सर्जनशीलता की उपर्युक्त सभी परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नवीनतम विधियों, प्रविधियों, एवं स्थितियों की सहायता से किसी जटिल समस्या का विद्वत्तापूर्ण समाधान करने की योग्यता ही सृजनात्मकता है जो अपने में निहित विभिन्न विशेषताओं, जैसे – समस्या के प्रति सजगता, गतिशील वैचारिकता, लचीलापन, मौलिकता, जिज्ञासा व नवीनता हेतु परिवर्तन की आकांक्षा के माध्यम से रचनात्मक उत्पादन करती है।
गिल्फोर्ड : सर्जनशीलता का आधार (Guildford : Basis of Creativity)
सर्जनात्मक का का आधार चिंतन है। चिंतन और सर्जन के संबंध में सर्वप्रथम गिलफोर्ड ने विचार किया। गिल्फोर्ड (Guildford) ने इस पर शोध किया और उसके आधार पर ‘बुद्धि की संरचना’ (Structure of Intelligence) नामक सिद्धांत दिया।
गिलफोर्ड के अनुसार सृजनात्मकता के अंतर्गत 5 मानसिक व्यवहार समाहित है :
- संज्ञान (Cognition)
- स्मृति (Memory)
- अपसारी चिंतन (Divergent Thinking)
- अभिसारी चिंतन (Convergent Thinking)
- मूल्यांकन (Evaluation)
गिल्फोर्ड ने अपने ‘त्रिआयामी प्रारूप’ में सर्वप्रथम यह बताया कि बुद्धि के संगठन में मानसिक योग्यताओं का ऐसा समूह है जो सृजनात्मक चिंतन में अपना पूर्ण योगदान देने में समर्थ है। आपने इस प्रारूप में 120 संभावित प्रतिभाओं की ओर संकेत दिया है जिनमें से 98 से अधिक की खोज अब तक की जा चुकी है।
गिल्फोर्ड ने इस प्रारूप में अभिसारी चिंतन (Convergent Thinking) और अपसारी चिंतन (Divergent Thinking) मानसिक व्यवहार के लिए है उनमें से अभिसारी चिंतन केन्द्राभिमुख होता है जो बुद्धि को इंगित करता है और अपसारी चिंतन सृजनात्मकता से संबंधित है।
इसमें चिंतन करने के पर्याप्त अवसर होते हैं, इसका विशेष लक्ष्य होता है। व्यक्ति अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए प्रयासरत रहता है और उसकी संतुष्टि हो जाने पर भविष्य में भी प्रयास करता रहता है। संतुष्टि की जांच मूल्यांकन द्वारा होती है। सर्जनात्मकता को सर्जनात्मक कार्यक्षमता, सर्जनात्मक उत्पादन एवं सृजनात्मक उत्पादकता से संबंधित किया है।
सृजनात्मकता के प्रमुख तत्व (Element of Creativity)
गिलफोर्ड ने सर्जनात्मकता की पहचान के लिए निम्नलिखित तत्व बताएं :
गिलफोर्ड ने सृजनात्मकता के चार तत्वों / घटकों पर प्रकाश डाला है जो बालकों में सृजनात्मकता की पहचान कराते हैं :
(1) तात्कालिक स्थिति से परे जाने की योग्यता (Ability to go beyond the current situation) : तात्कालिक संदर्भ एवं परिस्थितियों से परे जाकर चिंतन, मनन तथा अभिव्यक्ति की योग्यता रखने वाले बालक सर्जनात्मक होते हैं।
(2) समस्या की पुनर्व्याख्या (Re-explanation of Problem) : जो बालक किसी तथ्य अथवा समस्या की संपूर्ण या आंशिक रूप से पुनर्व्याख्या करने की क्षमता रखते हैं, वे सर्जनात्मक शक्ति से परिपूर्ण होते हैं।
(3) सामंजस्य (Adjustment) : जिन बालकों में चिंतन, तर्क एवं कल्पना द्वारा प्रासंगिक, साथ ही असामान्य विचारों के साथ समरसता स्थापित करने का गुण होता है, उन्हें सर्जनशील बालकों की श्रेणी में रखा जाता है।
(4) अन्य व्यक्तियों के विचारों में परिवर्तन (Change the thoughts of Other People) : सृजनशील बालक चिंतन, तर्क तथा प्रमाणों के माध्यम से तर्कसंगत अभिव्यक्ति के द्वारा अन्य व्यक्तियों के विचारों, धारणाओं और विश्वासों को परिवर्तित करने का गुण रखते हैं।
सर्जनात्मकता की विशेषताएं (Features of Creativity)
सृजनशीलता की विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
- सृजनशीलता में मौलिकता होती है।
- सर्जनशीलता में नवीनता होती है।
- सर्जनशीलता में उच्च बौद्धिक योग्यता होती है।
- सर्जनशीलता में लोच होती है।
- समस्या की उपस्थिति का ज्ञान होता है।
- कल्पना करने तथा कल्पना की सत्यता की जांच करने की शक्ति होती है।
- सर्जनशीलता के अनेक आयाम तथा क्षेत्र होते हैं।
- सृजनात्मकता सार्वभौमिक होती है। अर्थात प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ मात्रा में सृजनात्मकता अवश्य होती है।
- प्रशिक्षण या शिक्षा द्वारा इसको विकसित किया जा सकता है।
- सृजनात्मकता द्वारा किसी नई वस्तु को उत्पन्न किया जा सकता है परंतु जरूरी नहीं कि वह वस्तु पूर्णरूपेण नयी हो।
- कोई भी सर्जनात्मक अभिव्यक्ति सृजक के लिए आनंद व संतुष्टि का स्त्रोत होती है।
- सृजनात्मकता में सृजक का अहं प्रसन्न होता है यह मेरी रचना या मेरा विचार है या मैंने इस समस्या को हल किया है।
- सृजनात्मक चिंतन बंधा हुआ चिंतन नहीं होता है। बार-बार उसी मार्ग पर चलने से पुनरावृत्ति तो हो सकती है, परंतु नया निर्माण नहीं।
- सृजनात्मक अभिव्यक्ति का क्षेत्र अत्यंत व्यापक होता है। वैज्ञानिक आविष्कार, कविता, कहानी, नाटक आदि लिखना, संगीत, चित्रकला, शिल्पकला आदि कोई भी क्षेत्र इस प्रकार की अभिव्यक्ति की आधार भूमि बन सकता है।
- सर्जनात्मक में प्रवाहात्मक, विचारधारा, मौलिकता, लचीलापन, विविधपूर्ण चिंतन, आत्मविश्वास, संवेदनशीलता संबंधों को देखने तथा बनाने की योग्यता आदि विभिन्न तत्वों की आवश्यकता होती है।
सृजनात्मकता के प्रकार (Types of Creativity)
सृजनात्मकता को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है :
(1) आकस्मिक सृजनात्मकता (Chance Creativity) : आकस्मिक सृजनात्मकता का अर्थ उस कला अथवा कार्य से है जो कि नितांत भाग्यवंश होता है और उसकी विरले ही द्विशकृति (Duplicate) की जा सकती है।
(2) सहज सृजनात्मकता (Spontaneous Creativity) : सहज सृजनात्मकता का अर्थ है सहज भाव से किसी नवीन वस्तु का निर्माण करना। जिसे तात्कालिक प्रयोजन की सिद्धि के लिए बनाया गया हो।
(3) संरक्षणात्मक सृजनात्मकता (Consevable Creativity) : संरक्षणात्मक सृजनात्मकता उस प्रक्रिया को कहते हैं जिससे सृजन की गई वस्तुएं आवश्यक रूप से किसी तात्कालिक प्रयोजन को सिद्ध नहीं करती। इस प्रकार सृजनात्मकता में यदि कोई पुनर्निवेश होता है तो बहुत कम होता है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाता है।
एक अन्य वर्गीकरण के अनुसार सृजनात्मकता के दो प्रकार हैं :
(1) कला और साहित्य के क्षेत्र में सृजनात्मकता : यह प्रचण्ड सृजनात्मकता है। आपमें उत्तेजना है, आप तत्काल ही एक कविता लिखेंगे। आप प्रतीक्षा नहीं करेंगे। यह प्रचण्ड सृजनात्मकता का मामला है।
(2) विज्ञान के क्षेत्र में सर्जनात्मकता : इसे भाव शून्य सृजनात्मकता कहा जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में सृजनात्मकता एक धीमी प्रक्रिया है। एक बनाने में आपको वर्षो लग जाते हैं।
सर्जनशील बालकों की विशेषताएं
- निर्णय करने की स्वतंत्रता
- चिंतन की स्वतंत्रता
- विश्वासों में साहसिकता
- जिज्ञासा
- काल्पनिक
- जिम्मेदारी की भावना
- नैत्यक हलों को स्वीकारने की अनिच्छा
- कार्यों में लीनता
- विचारों तथा क्रियाओं की मौलिकता
- उच्च स्तरीय ध्यान तथा सतर्कता
- समस्याओं के प्रति उच्च स्तरीय संवेदनशीलता
- दूरदर्शिता की अधिकता
- जटिल विषमता तथा स्वतंत्र विचारों को प्राथमिकता
- अभिव्यक्ति की धारा प्रवाहिता
- समृद्ध कल्पनाशीलता
- संबंधों को पहचानने और निर्णय लेने की तीव्र योग्यता
- विस्तार की तीव्र योग्यता
- अधिगम के स्थानांतरण की तीव्र योग्यतासौंदर्यबोध की समृद्ध पहचान तथा उच्च सौंदर्यात्मक मूल्य
अधिक प्रगतिशील, स्वायत्त, निर्भीक, साधन संपन्न, स्वाग्राही, आत्मनिर्भर, आत्मस्वीकृति, साहसी, नैसर्गिक, दायित्व, सजगता तथा वातावरण के उत्तेजनों के प्रति संवेदनशीलता, जिसका अर्थ है वातावरण में त्रुटियों तथा कमियों के प्रति संवेदनशीलता।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
सृजनात्मकता का अर्थ क्या है?
उत्तर : सर्जनशीलता शब्द अंग्रेजी के शब्द Creativity का रूपांतर है जो करे (Kere) से निर्मित है। इसका अर्थ है ‘अस्तित्व में आना’ अथवा ‘उगना’।
किसके अनुसार सृजनात्मकता किसी नवीन वस्तु का निर्माण एवं प्रणयन करने की सामर्थ्य अथवा क्षमता है।
उत्तर : इसरेली. एन. (Israile. N.) के अनुसार, “सृजनात्मकता किसी नवीन वस्तु का निर्माण एवं प्रणयन करने की सामर्थ्य अथवा क्षमता है।”
गिल्फोर्ड के अनुसार सर्जनशीलता का आधार क्या है?
उत्तर : सर्जनात्मक का का आधार चिंतन है। चिंतन और सर्जन के संबंध में सर्वप्रथम गिलफोर्ड ने विचार किया। गिल्फोर्ड (Guildford) ने इस पर शोध किया और उसके आधार पर ‘बुद्धि की संरचना’ (Structure of Intelligence) नामक सिद्धांत दिया।