इस आर्टिकल में प्रेरकों के प्रकार/प्रेरकों का वर्गीकरण किया गया है। जन्मजात प्रेरक, अर्जित प्रेरक, व्यक्तिगत प्रेरक, सामाजिक प्रेरक। जन्मजात प्रेरकों और अर्जित प्रेरकों में अंतर आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
शिक्षा मनोविज्ञान में प्रेरकों (Motives) का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण अनेक मनोवैज्ञानिकों ने प्रेरकों का गहन अध्ययन करके इनका वर्गीकरण करने का प्रयास किया है। यहां पर कुछ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत वर्गीकरण पर विचार करना उपयुक्त होगा।
मैक कॉक (Mc Couch) के अनुसार, “व्यक्ति की वह दशा जो उसे किसी दिये हुए लक्ष्य की ओर अभ्यास करने का संकेत देती है और जो उसकी क्रियाओं की पर्याप्तता और लक्ष्य की प्राप्ति पर प्रकाश डालती है, प्रेरक कहलाती है।”
प्रेरकों का वर्गीकरण
एम के थॉमसन के अनुसार : (१) प्राकृतिक (Natural) (२) कृत्रिम (Artificial)
मैसलों के अनुसार : (१) जन्मजात (Innate) (२) अर्जित (Acquired)
थॉमसन के अनुसार : (१) सुरक्षा (Security) (२) प्रतिक्रिया (Reaction) (३) प्रतिष्ठा (Prestige) (४) नवीन अनुभव (New Experience)
गैरट के अनुसार : (१) जैविक (Biological) (२) मनोवैज्ञानिक (Psychologist) (३) सामाजिक (Social) गैरट ने प्राथमिक प्रेरकों को जैविक प्रेरक बताया है।
प्रेरकों के प्रकार
मोटे रूप में प्रेरकों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है –
(1) जन्मजात प्रेरक (Innate Motive)
जन्मजात प्रेरक वे हैं जो जन्म से ही व्यक्ति में पाए जाते हैं। इन प्रेरकों पर ही प्राणी का जीवन निर्भर रहता है। अतः इनको जैविक प्रेरक, शारीरिक प्रेरक अथवा प्राथमिक प्रेरक (मैसलो के अनुसार) भी कहते हैं। भूख, प्यास, काम, नींद, प्रेम, क्रोध, मलमूत्र त्याग आदि जन्मजात प्रेरक हैं। जन्मजात प्रेरक व्यक्ति को आजीवन क्रियाशील बनाए रखते हैं।
नवजात शिशु में भूख, प्यास, नींद और मल-मूत्र त्याग प्रबल प्रेरक होते हैं।
(2) अर्जित प्रेरक (Acquired Motive)
जो प्रेरक जन्मजात न होकर व्यक्ति द्वारा वातावरण के संपर्क में आकर सीख लिए जाते हैं, उनको अर्जित प्रेरक कहते हैं। आदत, रुचि, सामुदायिकता आदि अर्जित प्रेरक हैं। वैसे सामाजिक और व्यक्तिगत प्रेरकों को भी अर्जित के अंतर्गत रखा जा सकता है, क्योंकि यह सभी व्यक्तियों द्वारा सिखे जाते हैं।
अर्जित प्रेरकों का एक नाम गौण आवश्यकताएँ भी है, क्योकि इन्हें व्यक्ति सामाजिक समायोजन के लिए प्राप्त करता है। ये सार्वभौमिक (Universal) नहीं होते।
(3) व्यक्तिगत प्रेरक (Personal Motive)
विभिन्न प्रकार के वातावरण में रहने के कारण व्यक्तियों के जीवन अनुभव भिन्न भिन्न होते हैं। इसके परिणामस्वरुप व्यक्तियों के व्यक्तिगत प्रेरकों का विकास होता है। आकांक्षा का स्तर, जीवन लक्ष्य, मद व्यसन, मनोवृत्तियां इत्यादि व्यक्तिगत प्रेरक है।
(4) सामाजिक प्रेरक (Social Motive)
मानव एक सामाजिक प्राणी है। अतएव सामाजिक आवश्यकताओं के कारण व्यक्ति में सामाजिक प्रेरक पैदा होते हैं। प्रतिष्ठा, सुरक्षा, सामूहिकता, संग्रहता, प्रभुत्व आदि सामाजिक प्रेरक हैं।
जन्मजात प्रेरकों और अर्जित प्रेरकों में अंतर
जन्मजात प्रेरक
- जन्मजात (आंतरिक) प्रेरक व्यक्ति में जन्म से पाए जाते हैं और इन्हें सीखना नहीं पड़ता है।
- ये प्राणी को जीवित रखने से संबंधित प्राथमिक अत्यावश्यक आवश्यकताएं है।
- इन्हें शारीरिक या प्राथमिक प्रेरक भी कहा जाता है।
- ये प्रेरक व्यक्ति के जीवन के आधार है जिनके पूरा नहीं होने से शारीरिक तथा मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।
- जन्मजात प्रेरकों में भूख, प्यास, आराम निंदा मल-मूत्र त्याग, प्रेम, काम, क्रोध आदि प्रमुख हैं।
अर्जित प्रेरक
- अर्जित प्रेरकों को समाज में रहकर प्राप्त किया जाता है। ये समाज तथा पर्यावरण से प्रभाव से विकसित होते हैं।
- इनमें मानव व्यवहार के वे चालक सम्मिलित हैं जिन्हें व्यक्ति शिक्षा या वातावरण के संपर्क से अपने जीवन काल में आवश्यकतानुसार अर्जित करता है।
- इनके नाम गौण आवश्यकताएं, अप्राणात्मक प्रेरक या सामाजिक प्रेरक भी है।
- इन्हें व्यक्ति सामाजिक समायोजन के लिए प्राप्त करता है। सामाजिकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत विकसित इन प्रेरकों का शारीरिक कारण जान पाना मुश्किल है।
- अर्जित प्रेरकों में जीवन लक्ष्य, आकांक्षा स्तर, मद-व्यसन, आदत, अचेतन मन, मनोवृत्तियां तथा संवेग आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जन्मजात प्रेरक कौनसे होते हैं?
उत्तर : जन्मजात प्रेरक वे हैं जो जन्म से ही व्यक्ति में पाए जाते हैं। इन प्रेरकों पर ही प्राणी का जीवन निर्भर रहता है। अतः इनको जैविक प्रेरक, शारीरिक प्रेरक अथवा प्राथमिक प्रेरक (मैसलो के अनुसार) भी कहते हैं। भूख, प्यास, काम, नींद, प्रेम, क्रोध, मलमूत्र त्याग आदि जन्मजात प्रेरक हैं। जन्मजात प्रेरक व्यक्ति को आजीवन क्रियाशील बनाए रखते हैं।
अर्जित प्रेरक कौनसे होते हैं?
उत्तर : जो प्रेरक जन्मजात न होकर व्यक्ति द्वारा वातावरण के संपर्क में आकर सीख लिए जाते हैं, उनको अर्जित प्रेरक कहते हैं। आदत, रुचि, सामुदायिकता आदि अर्जित प्रेरक हैं। वैसे सामाजिक और व्यक्तिगत प्रेरकों को भी अर्जित के अंतर्गत रखा जा सकता है, क्योंकि यह सभी व्यक्तियों द्वारा सिखे जाते हैं।
प्रेरकों का वर्गीकरण जन्मजात प्रेरक तथा अर्जित प्रेरक के रूप में किस मनौवैज्ञानिक ने किया था?
उत्तर : प्रेरकों का वर्गीकरण जन्मजात प्रेरक तथा अर्जित प्रेरक के रूप में मनौवैज्ञानिक मैसलो ने किया था।