इस आर्टिकल में शिक्षण कौशल क्या है? शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा, प्रश्न पूछने का कौशल (Skill of Questioning), प्रश्न पूछने की आवश्यकता, प्रश्न पूछने के उद्देश्य, प्रश्न कौशल के घटक, प्रश्न पूछने की तकनीक, प्रश्न कौशल सूक्ष्म पाठ योजना आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
शिक्षण कौशल क्या है?
What is Teaching Skill : शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से जो भी कक्षागत व्यवहार हेतु व्यूह रचना (Strategy) अपनाता है वह शिक्षण कौशल कहलाता है।
शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा
स्टोंस और मॉरिस ने कहा है, “शिक्षण कौशल की योजना पाठ योजना का सामान्य रूप होता है। इसमें वांछित व्यवहार परिवर्तन के लिए अनुदेशन योजना सम्मिलित होती है। इसमें युक्तियों की योजना भी तैयार की जाती है। पाठ योजना का कौशल आयोजन संपूर्ण पाठ्यक्रम का ही अंग होता है।”
अर्थात शिक्षण प्रारंभ करने के पूर्व उसकी योजना बनानी पड़ती है। शिक्षण का पूर्व अनुभव शिक्षण कौशल की योजना के निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोग देता है। शिक्षण कौशल का विकास सूक्ष्म शिक्षण द्वारा किया जाता है।शिक्षण कौशल कितने प्रकार के होते हैं, यह कोई निश्चित नहीं है।
अलग-अलग विद्वानों ने शिक्षण कौशलों के अलग-अलग प्रकार बताए हैं। एलन व रायन ने 14 प्रकार शिक्षण कौशल बताएं है। शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने हेतु कई प्रकार के शिक्षण कौशलों का उपयोग किया जाता है जिसमें मुख्य शिक्षण के आधारभूत कौशल निम्न हैं :
- प्रश्न कौशल
- खोजपूर्ण प्रश्न कौशल
- दृष्टांत/उदाहरण कौशल
- पुनर्बलन कौशल
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल
- श्यामपट्ट कौशल
इस आर्टिकल में हम सिर्फ प्रश्न कौशल के बारे में ही चर्चा करेंगे।
प्रश्न पूछने का कौशल
प्रश्न पूछना शिक्षण की सर्वाधिक प्राचीन विधा है। प्राचीन समय में अपने शिष्यों को सिखाने में इसी विधि को अपनाया जाता था।
प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्यों की परीक्षा प्रश्नोत्तरी विधि से ही लेता था। अपनी शंकाओं का समाधान भी प्रश्न उत्तर के माध्यम से करता था। वास्तव में शिक्षक अपने पाठ को सिखाने में एवं छात्रों के ज्ञान का पता लगाने में प्रश्नोत्तर विधि का ही प्रयोग करता है।
रूसो के अनुसार, “बालक प्रश्न पूछने की अपेक्षा प्रश्न पूछे जाने वाले से अधिक सीखते हैं।”
प्रश्न पूछने की आवश्यकता
Need to Ask Questioning : प्रश्नों का महत्व इस रूप में है कि अध्यापक कुशलता पूर्वक अपना पाठ आगे बढ़ाता है अतः ये अच्छे उत्तेजक हैं। लेकिन प्रश्न क्यों पूछे जाते हैं अथवा इनकी आवश्यकता क्या है इसका उत्तर यह है –
- प्रश्नों से बालक के पूर्व ज्ञान की जानकारी होती है जो कि प्रस्तुत पाठ के ज्ञान से संबंधित होता है।
- बालक का ध्यान शिक्षक की ओर केंद्रित रहें और वह पाठ में रुचि ले।
- बालक पाठ में रुचि ले रहा है अथवा नहीं इसकी भी जानकारी प्रश्नों के द्वारा ही होती है।
- बालक की जिज्ञासा जागृत रहे और पाठ की पुनरावृत्ति भी हो जाए।
प्रश्न पूछने के उद्देश्य
- छात्रों का ध्यान पाठ्यवस्तु की ओर आकर्षित करने के लिए उन्हें प्रेरित करना।
- छात्रों में रुचि और जिज्ञासा जागृत करना।
- पुराने ज्ञान का नवीन ज्ञान से संबंध जोड़ना।
- शिक्षण के समय छात्रों के मस्तिष्क को क्रियाशील रखना।
- छात्रों की कल्पना शक्ति का विकास करना।
- छात्रों के मानसिक विकास में सहयोग देना।
- छात्रों द्वारा प्राप्त किए ज्ञान का दृढीकरण करना।
- शिक्षण कार्य की सफलता अथवा असफलता को स्पष्ट करना।
- शिक्षक को यह बताना कि छात्र पाठ्यवस्तु को समझ गए अथवा नहीं।
- छात्रों को अपने ज्ञान और कौशल के प्रयोग एवं प्रदर्शन करने के अवसर प्रदान करना।
- पाठ की पुनरावृति करने में सहयोग देना।
- शिक्षण में छात्रों की भागीदारी बढ़ाना।
- छात्रों की व्यक्तिगत कठिनाइयों और कमजोरियों का पता लगाना।
- सीखने और सिखाने के परिणामों की जांच करना।
- छात्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करना और उन्हें और ज्ञानार्जन के लिए प्रेरित करना।
प्रश्न कौशल के घटक
प्रश्न पूछना एक उत्तम कौशल है अतः अध्यापकों का कक्षा में छात्रों से प्रश्न पूछने का ढंग प्रभावशाली होना चाहिए। प्रश्नों को अध्यापक और छात्र के मध्य एक कड़ी या संपर्क सूत्र माना जा सकता है अतः अच्छे प्रश्नों के क्या घटक हैं इनकी जानकारी आवश्यक है।
प्रश्न की संरचना
प्रश्न की संरचना का अर्थ है कि प्रश्न भाषा और विषय वस्तु दोनों ही दृष्टि से परिपूर्ण हो। प्रश्न भाषा, भाव आदि दृष्टि से संक्षिप्त, क्रमबद्ध एवं तारतम्यता, प्रासंगिक और प्रकरण से संबंधित होना चाहिए।
प्रश्न की भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए जिससे छात्र प्रश्न को सुनकर उसका सही उत्तर दे सके और प्रश्न भी प्रवाह पूर्ण तरीके से पूछा जा सके। व्याकरणिक दृष्टि से भी प्रश्न शुद्ध होना चाहिए जिससे कोई भ्रम की स्थिति ना बने।
प्रश्न ऐसे होने चाहिए जो छात्रों की कल्पना शक्ति, विचार शक्ति को उत्तेजित करें, उन्हें सोचने के लिए बाध्य करें। अवबोध स्तर के प्रश्न इसी प्रकार के होते हैं।
प्रश्न छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल होने चाहिए। छोटे बालकों में छोटे स्तर के प्रश्न और बड़ी आयु व बड़ी कक्षा के बालकों से कठिनता की दृष्टि से कठिन स्तर लिए हुए प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
प्रश्न पूछने की तकनीक
प्रश्न इतनी तेज आवाज में पूछा जाए कि पीछे बैठे छात्र भी उसे स्पष्ट रूप से सुन सके। अन्यथा अध्यापक को प्रश्न दोहराना पड़ेगा। इसके साथ ही उसकी वाणी में उतार-चढ़ाव आरोह-अवरोह आदि को भी प्रश्न के अनुसार ध्यान में रखा जाना चाहिए।
प्रश्न पूछते समय वाणी के साथ-साथ गति का भी ध्यान रखना आवश्यक है। न तो इतनी शीघ्रता से प्रश्न पूछा जाए कि छात्र उसे समझ ही न सकें और ना ही इतनी धीमी गति हो कि प्रश्न प्रवाह बाधित हो जाए।
कभी-कभी अध्यापक अनावश्यक रूप से प्रश्न को दो बार पूछते हैं। इससे प्रश्न की संरचना में बदलाव आ सकता हैं और साथ ही समय व्यर्थ जाता है। इससे यह भी होता है कि छात्र पहली बार पूछे गए प्रश्न पर ध्यान नहीं देते क्योंकि वे जानते हैं कि शिक्षक द्वारा इसे पुनः बोला जाएगा।
अध्यापक कभी-कभी छात्रों के उत्तरों को भी दोहराते हैं यह भी अनुचित है, क्योंकि छात्र उसे अध्यापक की आदत मानकर साथी द्वारा दिए गए उत्तरों की परवाह नहीं करते।
प्रश्न कौशल सूक्ष्म पाठ योजना
प्रश्न कौशल पाठ योजना सामाजिक विज्ञान
विषय – सामाजिक विज्ञान कक्षा – 8
प्रकरण – हमारा संविधान
(आदर्श वाचन एवं अनुकरण वाचन के उपरांत)
शिक्षक | हमारा संविधान कब लागू हुआ ? |
छात्र | हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। |
शिक्षक | हमारे संविधान का निर्माण किसके द्वारा हुआ ? |
छात्र | हमारे संविधान का निर्माण एक संविधान सभा के द्वारा हुआ। |
शिक्षक | संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे ? |
छात्र | संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। |
शिक्षक | संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे ? |
छात्र | संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। |
शिक्षक | संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ? |
छात्र | संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर थे। |
शिक्षक | हमारे संविधान में कितने मूल अधिकार हैं ? |
छात्र | हमारे संविधान में 6 मूल अधिकार है। |
शिक्षक | ये मूल अधिकार कौन-कौन से हैं ? |
छात्र | स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार। |
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
शिक्षण कौशल क्या है?
उत्तर : शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से जो भी कक्षागत व्यवहार हेतु व्यूह रचना (Strategy) अपनाता है वह शिक्षण कौशल कहलाता है।
शिक्षण कौशल कितने होते हैं?
उत्तर : शिक्षण कौशल कितने प्रकार के होते हैं, यह कोई निश्चित नहीं है।
अलग-अलग विद्वानों ने शिक्षण कौशलों के अलग-अलग प्रकार बताए हैं। एलन व रायन ने 14 प्रकार शिक्षण कौशल बताएं है। शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने हेतु कई प्रकार के शिक्षण कौशलों का उपयोग किया जाता है जिसमें मुख्य शिक्षण के आधारभूत कौशल निम्न हैं :
1. प्रश्न कौशल
2. खोजपूर्ण प्रश्न कौशल
3. दृष्टांत/उदाहरण कौशल
4. पुनर्बलन कौशल
5. उद्दीपन परिवर्तन कौशल
6. श्यामपट्ट कौशलअवबोध स्तर के प्रश्न कैसे होते हैं?
उत्तर : प्रश्न ऐसे होने चाहिए जो छात्रों की कल्पना शक्ति, विचार शक्ति को उत्तेजित करें, उन्हें सोचने के लिए बाध्य करें। अवबोध स्तर के प्रश्न इसी प्रकार के होते हैं।