इस आर्टिकल में व्यक्तित्व मापन की वस्तुनिष्ठ विधियों जैसे निरीक्षण विधि, निर्धारण मापनी, समाजमिति, क्रिया परीक्षण विधि, परिस्थिति परीक्षण, आत्मकथा, व्यक्ति वृत्त अध्ययन विधि, प्रश्नावली विधि, साक्षात्कार विधि आदि के बारे में चर्चा की गई है।
व्यक्तित्व मापन की वस्तुनिष्ठ विधियां
(1) निरीक्षण विधि (Observation Method)
निरीक्षण विधि के प्रवर्तक वाटसन है। व्यक्तित्व मापन की यह अत्यंत महत्वपूर्ण विधि है। व्यक्ति एकांत में, समूह में अथवा विशिष्ट परिस्थितियों में जो भी क्रिया करता है, उन क्रियाओं का यदि अवलोकन किया जाए तो उसके आधार पर उसके व्यक्तित्व संबंधी बहुत सी सूचनाएं प्राप्त हो जाती है।
प्रायः बैठे हुए, चलते हुए, अनेक अनावश्यक क्रियाएं करता है, जैसे अंगुलियां चटकाना, हाथों को झटकना, अपने आप बातें करना आदि।
यह अनावश्यक समझी जाने वाली क्रियाएं व्यक्तित्व में अत्यधिक महत्व रखती है। व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किए बिना उसके संबंध में कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। इस विधि द्वारा शिक्षक विभिन्न स्थितियों में निरीक्षण करके छात्र के व्यक्तित्व का मापन कर सकता है।
निरीक्षण दो प्रकार से किया जा सकता है : व्यक्तिगत एवं वस्तुगत अथवा नियंत्रित एवं अनियंत्रित। किन्तु अवलोकन बड़ी सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए तभी बालक के संवेगात्मक असंतुलन का पता लगा सकेगा।
(2) निर्धारण मापनी (Rating Scale)
निर्धारण मापनी (रेंटिग स्केल) व्यक्तित्व मापन की वस्तुनिष्ठ विधि है। रेटिंग स्केल विधि के प्रवर्तक थर्स्टन है, परन्तु सर्वप्रथम मापनी गाल्टन ने प्रस्तुत की। इस विधि का प्रयोग शिक्षा, व्यापार, अन्वेषण आदि क्षेत्रों में बखूबी किया जा रहा है। इस विधि द्वारा व्यक्तित्व के किसी विशेष गुण अथवा व्यक्ति की कार्य क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
सामान्यतया निर्धारण मापनी के द्वारा व्यक्ति की परस्पर तुलना न करके मापने वाले गुण की विशेष मात्रा (जो श्रेणियां द्वारा व्यक्त की जाती है) के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। इनकी संख्या 3 से 10 हो सकती है किंतु प्रायः 5 या 7 बिंदु मापनी अधिक प्रयोग में लाई जाती है। ईमानदारी के गुणों की पंच बिंदु मापनी प्रसिद्ध है।
गिलफॉर्ड ने इन्हें व्यक्तित्व गुणों का माप करने का एक अच्छा साधन बताया है। इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति के किसी विषय से संबंधित न केवल विचार ही पूछे जाते हैं वरन उन विचारों की दृढ़ता भी प्राप्त कर ली जाती है।
निर्धारण मापनी के प्रकार : गिलफॉर्ड ने निर्धारण मापनी के 5 प्रकार बताए हैं :
- संख्यात्मक मापनी
- ग्राफ मापनी
- संचित बिंदु मापनी (चैकलिस्ट और अनुमान)
- मानक मापनी
- बाह्य विकल्प मापनी
(3) समाजमिति (Sociometric)
समाजमिति विधि के प्रवर्तक जे एल मेरेनो है। किसी समूह के व्यक्तियों के परस्पर संबंध की जानकारी इस विधि द्वारा की जा सकती है। इस प्रकार बालकों के सामाजिक गुणों अथवा परस्पर संबंधों का मापन इस विधि द्वारा किया जा सकता है कि समूह में किसी व्यक्ति को पसंद किया जाता है, तिरस्कृत किया जाता है अथवा तटस्थ रूप में रखा जाता है।
इस विधि के प्रयोग के लिए प्रश्नों की सहायता से परिस्थिति विशेष में व्यक्तियों की पसंद अथवा नापसंद पूछी जाती है। जैसे : आप किस छात्र के साथ खेलना पसंद करेंगे? कोई 3 नाम लिखिए। आप किस छात्र के साथ भोजन करना पसंद करेंगे? कोई 3 नाम लिखिए। आदि प्रश्न बनाए जा सकते हैं।एक व्यक्ति को आवश्यक नहीं कि सभी व्यक्ति चाहते हैं, एक परिस्थिति में उसे कुछ नापसंद कर सकते हैं। समाजमिति विधि द्वारा व्यक्ति का समाज में क्या स्थान है, यह पता लगाया जाता है।
समाजमिति द्वारा एक समूह के सदस्यों के पारस्परिक संबंध ज्ञात कर यह पता लगाया जाता है कि कौन व्यक्ति सर्वाधिक पसंद या नापसंद किया जाता है। इससे सामान्यतः चार बातों का पता लगता है : तटस्थता, नायक गुण, गुटबंदी, तिरष्कृत।
(4) क्रिया परीक्षण विधि (Behaviour Test Method)
मे एवं हार्टशार्न ने इस विधि का प्रयोग बालकों में ईमानदारी की जांच करने के लिए किया था।
व्यक्तिगत विभिन्नताओं की जांच के लिए इस व्यवहारिक विधि का प्रयोग किया जाता है। इसमें बालकों को कुछ कार्य करने को दिया जाता है और उस कार्य को संपन्न करने में अभिव्यक्त अनेक व्यक्तित्व शील गुणों की जानकारी हो जाती है। इस प्रकार व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अध्ययन की यह अच्छी विधि है।
(5) परिस्थिति परीक्षण (Situation Test)
इस विधि में व्यक्ति को किसी विशेष परिस्थिति में रखकर उसके विशेष गुणों की परख की जाती है। यह पूर्व में वर्णित व्यवहार परीक्षण विधि के समान ही है केवल अंतर यह है कि इस विधि में कृत्रिम परिस्थिति में व्यक्ति को रखकर उसके व्यवहार की जांच की जाती है और इन कृत्रिम परिस्थितियों द्वारा व्यक्ति के साहस, धैर्य, परिश्रम, नेतृत्व, ईमानदारी आदि गुणों का मूल्यांकन किया जाता है। व्यक्ति को परिस्थिति की जानकारी ना हो जाए, इस बात का ध्यान रखा जाता है।
(6) आत्मकथा (Autobiography)
आत्मकथा या अंतर्दर्शन के जनक विलियम वुंट एवं टिचनर है। इस विधि के अंतर्गत बालक अपनी बाल्यावस्था से लेकर वर्तमान समय तक के अपने जीवन से संबंधित अनुभव लिखता है।
आत्मकथा दो प्रकार से लिखी जा सकती है : निर्देशित आत्मकथा तथा स्वतंत्र आत्मकथा। निर्देशित आत्मकथा के अंतर्गत बालक को आत्मकथा लिखने को कुछ निर्देश दिए जाते हैं जिनके अनुसार ही वह अपनी आत्मकथा लिखता है जबकि स्वतंत्र आत्मकथा को लिखते समय बालक पूरी तरह से स्वतंत्र रहता है। वह अपनी इच्छा से अपने विषय में चाहे कुछ भी लिख सकता है।
आत्मकथा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन दर्शन, चिंतन शैली, व्यक्तित्व की सरचना आदि से संबंधित ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
इस विधि में हम न केवल कुछ सीमा तक व्यक्तित्व का अध्ययन ही कर सकते हैं वरन व्यक्ति के मस्तिष्क के तनाव को भी दूर कर सकते हैं।
(7) व्यक्ति वृत्त अध्ययन विधि (Case Study Method)
व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए व्यक्तिवृत्त अध्ययन विधि अत्यंत उपयोगी है। इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति के बारे में अधिकाधिक सूचनाएं एकत्रित कर उनका व्यव्स्थीकरण किया जाता है और व्यवस्थिकरण के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
इस विधि से गहन अध्ययन संभव है। समस्या-ग्रस्त बालकों का अध्ययन इससे अधिक सफलतापूर्वक किया जा सकता है। पूर्णता इस विधि का मूल आधार है, क्योंकि इसमें हम व्यक्ति के सामान्य तथ्य, परिवार इतिहास, व्यवहार व्यक्ति गुण, समस्याएं, स्वास्थ्य, व्यवसाय आदि समस्त बातों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करते हैं और इन सूचनाओं के आधार पर व्यक्तिवृत लिखते हैं। इसमें उपचारात्मक सुझाव भी दिए जाते हैं।
(8) प्रश्नावली विधि (Questionmaire Method)
प्रश्नावली विधि के जनक वुडवर्थ है। प्रश्नावली विधि में प्रश्नों की एक ऐसी तालिका होती है जिसमें क्रमबद्ध रूप से किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु व्यक्ति से उत्तर लिए जाते हैं।
प्रश्नावली 2 प्रकार की होती है :
(१) प्रतिबंधित / बंद प्रश्नावली : इसमें व्यक्ति को प्रश्नों के उत्तर केवल हां या ना में देने पड़ते हैं। व्यक्ति को अपनी ओर से कुछ नहीं कहना पड़ता है।
(२) अप्रतिबंधित / खुली प्रश्नावली : इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रत्येक प्रश्न के आगे प्रश्न का उत्तर देने हेतु रिक्त स्थान होता है जहां व्यक्ति प्रश्न का उत्तर लिखता है। इसके अलावा चित्रित और मिश्रित प्रकार की प्रश्नावली भी होती है।
व्यक्तित्व मापन की वस्तुनिष्ठ विधियां प्रवर्तक :
व्यक्तित्व मापन की वस्तुनिष्ठ विधियां | प्रवर्तक |
1. निरीक्षण विधि | वाटसन |
2. निर्धारण मापनी | थर्स्टन |
3. समाजमिति | जे एल मेरेनो |
4. प्रश्नावली | वुडवर्थ |
5. आत्मकथा | विलियम वुंट एवं टिचनर |
(9) साक्षात्कार विधि (Interview Method)
साक्षात्कार विधि की शुरुआत अमेरिका से हुई। साक्षात्कार के द्वारा व्यक्ति की अभिवृत्ति, संवेग, विचार आदि का सरलता से अध्ययन किया जा सकता है।
इसमें नकारात्मक या ऋणात्मक भावनाओं का भी सहायता के साथ पता लगाया जा सकता है। इसमें व्यक्ति की समस्याओं, चिंताओं तथा मूल्यों का भी पता लगाया जा सकता है। इस प्रकार साक्षात्कार व्यक्तित्व मापन का अच्छा साधन है।साक्षात्कार के प्रकार :
- निर्देशित साक्षात्कार
- अनिर्देशित साक्षात्कार
- समाहार साक्षात्कार
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
निरीक्षण विधि के जनक कौन है?
उत्तर : निरीक्षण विधि के जनक वाटसन है।
रेंटिग स्केल कितने प्रकार की होती है?
उत्तर : निर्धारण मापनी (रेंटिग स्केल) के प्रकार : गिलफॉर्ड ने निर्धारण मापनी के 5 प्रकार बताए हैं :
समाजमिति विधि के प्रवर्तक कौन है?
उत्तर : समाजमिति विधि के प्रवर्तक जे एल मेरेनो है।