इस आर्टिकल में एक उत्तम या अच्छे परीक्षण की विशेषताएं, परीक्षण से आप क्या समझते हैं, परीक्षण की परिभाषाएं, एक अच्छे मूल्यांकन की विशेषताएं, उत्तम परीक्षण की तकनीकी विशेषताएं आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
किसी भी परीक्षण (Test) को अच्छा अथवा उत्तम तभी कहा जा सकता है जब वह उसके मापन के लिए बनाई गई विभिन्न कसौटियों पर खरा उतरे। दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है कि एक अच्छे परीक्षण (A Good Test) में अनेक विशेषताओं का होना आवश्यक है।
परीक्षण से आप क्या समझते हैं
एक अच्छे परीक्षण की विशेषताओं (A Good Test Characteristic) को जानने के पूर्व अच्छे परीक्षण का अर्थ (Meaning of Good Test) जानना आवश्यक है।
महेश भार्गव ने उत्तम परीक्षण का अर्थ इस प्रकार बताया है, “एक उत्तम मनोवैज्ञानिक परीक्षण (A Good Psychologist Test) आवश्यक रूप से प्रयोजन पूर्ण एवं मानकीकृत यंत्र है जो मानव व्यवहार का वस्तुनिष्ठता एवं व्यापकता के साथ निरीक्षण करता है। समय, धन एवं व्यक्ति के दृष्टिकोण से यह सदैव मितव्ययी तथा प्रशासन, फलांकन और विवेचन के दृष्टिकोण से शुगम होता है। इसके प्रत्येक पद की भेद बोधक शक्ति भी अधिक होती है। इसके विभिन्न मानक जैसे आयु, लिंग, शैक्षिक, सांस्कृतिक निर्धारित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह अत्यधिक विश्वसनीय एवं वैध होता है।
इस परिभाषा में एक अच्छे परीक्षण के समस्त विशेषताएं निहित है।
परीक्षण की परिभाषाएं
क्लासमियर तथा गुडविन के अनुसार, “एक अच्छे परीक्षण में वैधता, विश्वसनीयता तथा व्यवहारिकता का होना आवश्यक है।”
डगलस एवं होलेंड (Douglas and Holland) के अनुसार, “एक अच्छे परीक्षण में अनेक विशेषताओं का होना आवश्यक है और ये विशेषताएं प्रत्येक परीक्षण के निर्माण में आधारभूत सिद्धांत हो जाते हैं।”
अच्छे परीक्षण की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर इसमें निम्न विशेषताओं का होना आवश्यक है।
एक अच्छे मूल्यांकन की विशेषताएं
एक उत्तम परीक्षण की व्यवहारिक विशेषताएं निम्न प्रकार है :
(1) उद्देश्यता (Purposiveness) : एक अच्छे परीक्षण की विशेषताओं में सर्वप्रथम विशेषता उद्देश्यता है। उदेश्यता का अर्थ है कि वह परीक्षण किसी उद्देश्य अथवा लक्ष्य की पूर्ति कर सके।
इसका आशय है कि परीक्षण का निर्माण तभी संभव होता है जब हमारे समक्ष कोई उद्देश्य हो, कोई समस्या हो अथवा कोई लक्ष्य हो। बिना उद्देश्य के परीक्षण संभव नहीं है।
इस प्रकार परीक्षण की रचना करने से पूर्व उद्देश्य पूर्ति का साधन मात्र है। उद्देश्य अथवा पाठ्यक्रम का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके निश्चित किए जाते हैं जिसके लिए परीक्षण का निर्माण किया जाता है।
(2) व्यापकता (Comprehensiveness) : अच्छे परीक्षण की विशेषता व्यापकता का अर्थ यह है कि परीक्षण में इस प्रकार के प्रश्नों को स्थान दिया जाए जो उस विषय से संबंधित समस्त पक्षों का मापन कर सके। परीक्षण अपने लक्ष्य की पूर्ति करने वाला हो।
जैसे : यदि हिंदी का प्रश्न पत्र बनाना है तो उसमें गद्य, पद्य, कविता, व्याकरण, नाटक आदि विधाओं को सम्मिलित किया जाना चाहिए अर्थात ऐसा कोई भी पक्ष न छोड़ा जाए जिस पर प्रश्न न हो और परीक्षण एकांगी होकर व्यापक होना चाहिए।
(3) मितव्ययिता (Economical) : मितव्ययिता से आशय यह है कि परीक्षण विषय सामग्री, समय, धन, आदि सभी दृष्टियों से मितव्ययी हो। न तो उस के निर्माण में अधिक समय लगे, न ही प्रशासनिक दृष्टि से वह समय साध्य हो।
इसके साथ ही परीक्षण की संरचना ऐसी हो जिसमें अन्य व्यक्तियों की आवश्यकता भी ना हो। इस प्रकार एक अच्छा परीक्षण समय, धन एवं व्यक्ति – तीनों ही दृष्टि से मितव्ययिता लिए हुए होता है।
(4) सुगमता (Easiness) : सुगमता का आश्य है परीक्षण के प्रशासन की सुगमता, फलांकन की क्षमता और विवेचना के दृष्टिकोण से भी सुगमता का होना आवश्यक है।
ऐसे परीक्षण की रचना करनी चाहिए जिसका प्रशासन आसानी से किया जा सके – निर्देश स्पष्ट एवं संक्षिप्त हो कि छात्रों उन्हें आसानी से समझ ले, प्रश्नों की भाषा सुगम हो, फलांकन करने में भी वे सुगम हो।
(5) सर्वमान्यता (Acceptability) : एक अच्छे परीक्षण की विशेषता इसकी सर्वमान्यता है। सर्वमान्यता का अर्थ है कि परीक्षण ऐसा हो कि उसका प्रयोग उन समस्त व्यक्तियों और परिस्थितियों में किया जा सके जिन पर उसका मानकीकरण किया गया है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण इसी कोटि में आते हैं।
(6) प्रतिनिधित्व (Representativeness) : एक अच्छे परीक्षण की एक विशेषता यह भी है कि वह प्रतिनिधित्व लिए हुए हो अर्थात व्यवहार के जिन-जिन पक्षों के मापन हेतु उसकी रचना की गई है उन सभी पक्षों को प्रतिनिधित्व वह परीक्षण करें। इस प्रकार एक अच्छे शिक्षण की उपयुक्त व्यवहारिक विशेषताएं हैं।
उत्तम परीक्षण की तकनीकी विशेषताएं
(1) मानकीकरण (Standardization) : एक उत्तम अथवा अच्छे परीक्षण की प्रथम तकनिकी विशेषता मानकीकरण है।
मानकीकरण का अर्थ सी.वी. गुड के दृष्टिकोण से इस प्रकार है, “मानकीकृत से हमारा आशय ऐसे परीक्षण से है जिसमें अनुभवों के आधार पर विषय वस्तु का चयन किया गया हो, जिनके मानक निर्धारित हो, जिनके प्रशासन एवं फलांकन में समस्त विधियों का प्रयोग हुआ हो तथा जिनके फलांकन में सापेक्षतया वस्तुनिष्ठ विधि का प्रयोग किया गया हो।”
इस परिभाषा के आधार पर कहा जा सकता है की मानकीकरण में कुछ सुनिश्चित प्रक्रियाएं होती है। इसमें निर्देशों को सावधानीपूर्वक अंकित किया जाता है, समय का सही निरीक्षण किया जाता है जिससे किसी प्रकार के पक्षपात की संभावना नहीं होती है।
(2) वस्तुनिष्ठता (Objectivity) : वस्तुनिष्ठता का अर्थ है परीक्षा में प्रश्नों का स्वरूप स्पष्ट हो तथा उसका एक निश्चित उत्तर हो। ऐसे परीक्षण में छात्र की जांच और परीक्षक की मनोदशा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात यदि किसी परीक्षा में कोई एक परीक्षक 100 अंकों में से 80 अंक प्रदान करता है तो दूसरा परीक्षक भी उसे 80 अंक ही प्रदान करेगा।
वस्तुनिष्ठता के लिए मुख्य रूप से दो बातें आवश्यक है :
(१) परीक्षण में ऐसे प्रश्नों को स्थान दिया जाए जो उस स्तर के परीक्षार्थियों के अनुकूल हो, परीक्षण में सम्मिलित सभी पदों अथवा प्रश्नों के निश्चित उत्तर हो साथ ही एक प्रश्न का केवल एक ही उत्तर संभव हो।
(२) परीक्षण का प्रशासन और फलांकन भी वस्तुनिष्ठ ढंग से होना चाहिए। उसकी कुंजी बना ली जाए जिसके अनुसार परीक्षार्थी को अंक प्रदान किए जाएं। ऐसा करने से परीक्षक की भावनाओं, विचारों, पसंद या नापसंद आदि का फलांकन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके लिए कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्ति का होना आवश्यक है।
(3) भेदकता (Discrimination) : भेदकता का आशय है कि परीक्षा ऐसी हो जो उच्च योग्यता और निम्न योग्यता धारण करने वाले बालकों में विभेद कर सके अर्थ परीक्षा के द्वारा यह स्पष्ट हो सके कि कौन सा छात्र उच्च योग्यता वाला है और कौन सा निम्न योग्यता वाला है। इसके लिए परीक्षण की संरचना इस रूप में हो कि उसमें कठिन, सामान्य एवं सरल सभी प्रकार के प्रश्नों का समावेश उचित अनुपात में किया जाए।
विभेदकता का अर्थ यह है कि यदि किसी परीक्षण में प्रश्नों की सरचना ऐसी है कि उसको 50% उच्च योग्यता वाले छात्र कर पाते हैं और 80% ही निम्न योग्यता वाले छात्र हल कर पाते हैं तो उस परीक्षण के प्रश्नों को विभेदकारी माना जाएगा। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों में विभेदकारीता भी एक महत्वपूर्ण कसौटी है।
यदि किसी परीक्षण में कोई छात्र 80 अंक प्राप्त कर लेता है और दूसरा छात्र मात्र 20 अंक ही प्राप्त कर पाता है तो ऐसा परीक्षण दो वर्गों में विभेद करने वाला होता है। अतः परीक्षण में कठिन, समान एवं सरल सभी स्तर के प्रश्नों को रखा जाए जिससे बुद्धिमान और कमजोर छात्रों के मध्य अंतर स्पष्ट हो सके।
(4) विश्वसनीयता (Reliability) : एक अच्छे परीक्षण की विशेषता यह है कि वह परीक्षण विश्वसनीयत हो। विश्वसनीयता का अर्थ है कि परीक्षा ऐसी हो जो पुनः पुनः प्रयोग करने के उपरांत भी एक ही निष्कर्ष प्रदान करें।
माना कि आज किसी परीक्षा में छात्र 50 अंक प्राप्त करता है और कुछ समय पश्चात पुनः वही परीक्षण उस पर प्रशासित किया जाता है और छात्र तब भी 50 अंक ही प्राप्त करता है तो निश्चित रुप से कहा जा सकता है कि परीक्षण विश्वसनीय है।
इसके विपरीत यदि कोई परीक्षण किसी छात्र पर दो बार प्रसारित करने पर भिन्न-भिन्न अंक प्रदान करता है तो कहा जा सकता है कि इस परीक्षण में विश्वसनीयता का अभाव है।
(5) वैधता (Validity) : परीक्षण की एक विशेषता उसकी वैधता भी है। वैधता से आशय है कि परीक्षण उस उद्देश्य की पूर्ति करने वाला हो जिस उद्देश्य हेतु उसका निर्माण किया गया है।
उदाहरण के लिए यदि कोई परीक्षण छात्रों के ज्ञान, अवबोध अथवा प्रयोग की जांच करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है किंतु वह वास्तव में इन उद्देश्यों की जांच नहीं कर पाता है जिनकी जांच उस परीक्षण के माध्यम से होनी है तो ऐसा परीक्षण अवैध परीक्षण कहा जाएगा।
परीक्षण की वैधता का अर्थ है परीक्षण ऐसा हो जो उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला हो, जो उन उद्देश्यों की पूर्ति के उद्देश्य से उसका निर्माण किया गया है। तभी वह परीक्षण विद्या कहलाएगा।
(6) मानक (Norms) : एक अच्छे परीक्षण की एक विशेषता (Characteristic of A Good Test) यह है कि उसके मानक स्थापित हो। मानक का अर्थ है किसी व्यक्ति की किसी विशेष समूह में स्थिति क्या है, इसकी जानकारी प्रदान करना।
अर्थात किसी विशेष समुदाय में व्यक्तियों के कार्य की इकाई को मानक कहा जा सकता है। समूह में दो व्यक्तियों की तुलना करने के लिए भी मानकों का निर्धारण किया जाता है। इस प्रकार मानक किसी व्यक्ति की किसी समूह विशेष स्थिति का निर्धारण करते हैं।
अतः यह कहा जा सकता है कि एक उत्तम परीक्षण की विशेषताएं (Characteristic of A Good Test) व्यवहारिक दृष्टि से तथा तकनीकी दृष्टि से अनेक हैं और सभी विशेषताएं एक दूसरे से संबंधित और परस्पर यह अन्योन्याश्रित है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एक अच्छे परीक्षण की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर : एक अच्छे परीक्षण में वैधता, विश्वसनीयता तथा व्यवहारिकता का होना आवश्यक है।
परीक्षण की वैधता का क्या अर्थ है?
उत्तर : परीक्षण की वैधता का अर्थ है परीक्षण ऐसा हो जो उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला हो, जो उन उद्देश्यों की पूर्ति के उद्देश्य से उसका निर्माण किया गया है। तभी वह परीक्षण विद्या कहलाएगा।