इस आर्टिकल में जुंग के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार, जुंग का व्यक्तित्व का वर्गीकरण, अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व की विशेषताएं, अंतर्मुखी और बहिर्मुखी में अंतर आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
व्यक्तित्व का वर्गीकरण
प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से जुंग का वर्गीकरण अति उत्तम माना जाता है और इसी जुंग के वर्गीकरण से ही प्रश्न पूछे जाते हैं।
थार्नडाइक ने विचार एवं कल्पना के आधार वर्गीकरण करते हुए व्यक्तित्व के 3 प्रकार बताए हैं : सूक्ष्म विचारक, प्रत्यक्ष विचारक और स्थूल विचारक। टरमैन ने बुद्धि लब्धि के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है। प्रकृति के आधार पर व्यक्तित्व का विभाजन विलियम जेम्स ने किया। ग्रंथियों के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण कैनन ने किया।
भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व का वर्गीकरण
भारतीय दृष्टिकोण में व्यक्तित्व को सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण में विभाजित किया गया है।
- सतोगुणी : सदाचारी, उच्च नैतिक मूल्य, आदर्शयुक्त व सच्चरित्र
- रजोगुण : राजसी वृत्ति वाले
- तमोगुणी : कामी, क्रोधी, आलसी और अमानवीय वृति वाले
शारीरिक संरचना की दृष्टि से व्यक्तित्व का वर्गीकरण
शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार : शेल्डन ने शरीर संरचना के आधार पर 3 प्रकार बताए हैं :
- गोलाकार (एण्डोमार्फीक) : मोटे, कोमल व हंसमुख व्यक्तित्व वाले।
- आयताकार (मिसोमार्फीक) : भारी, मजबूत शरीर व्यक्तित्व वाले।
- लंबाकार (एक्टोमार्फीक) : लंबे शरीर वाले किंतु अत्यधिक उत्तेजना युक्त शक्तिहीन व्यक्तित्व वाले।
क्रेशमर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार
क्रेशमर ने शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व के चार प्रकार बताएं है :
- गोलकाय (साइक्लोइड) : इस श्रेणी के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति छोटे किंतु मोटे, चोड़े शरीर वाले प्रसन्नचित्त, अधिक मिलनसार होते हैं।
- निर्बलकाय (स्किजोइड) : इस प्रकार के व्यक्तित्व दुबले-पतले, कमजोर व लंबे होते हैं। कृशकाय होने के कारण स्मभाव से क्रोधी, चिड़चिड़े व निराश प्रवृत्ति वाले होते हैं।
- सुडौलकाय : इस प्रकार के व्यक्तित्व स्वस्थ, हृष्ट-पुष्ट, दृढ़ निश्चय वाले, सुडौल आकार वाले, आत्म-विश्वासी, सुसमायोजित होते हैं।
- मिश्रित।
संवेगात्मक दृष्टिकोण के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
संवेगात्मक दृष्टिकोण के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण हिपोक्रेट्स ने किया और व्यक्तित्व के 4 प्रकार बताए :
- श्लैष्मिक
- विवादी
- कोपशील
- आशावादी
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व का वर्गीकरण
इसमें स्प्रेंगलर का वर्गीकरण आता है। व्यक्तित्व का समाजशास्त्रीय सिद्धांत स्प्रेंगलर ने दिया। स्प्रेंगलर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार :
स्प्रेंगलर ने व्यक्तित्व के 6 प्रकार बताए हैं :
- सैद्धांतिक – कवि लेखक दार्शनिक
- आर्थिक – दुकानदार, व्यापारी, उद्योगपति
- सामाजिक – समाजसेवी
- राजनीतिक – राजनेता
- धार्मिक – संत, पुजारी, भक्त आदि।
- सौंदर्यात्मक – कलाकार, मूर्तिकार, प्रकृति-प्रेमी, साहित्यकार व सौंदर्य प्रिय व्यक्तित्व वाले।
युंग का व्यक्तित्व का वर्गीकरण
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अंतर्गत द्वितीय वर्गीकरण युुंग का है। इन्होंने दो प्रकार के व्यक्तित्व बताए हैं बाद में एक और वर्गीकरण प्रथम दोनों की विशेषताओं से युक्त व्यक्तित्व का किया है जो इस प्रकार है : युुंग ने सामाजिक गुणों की दृष्टि से दो प्रकार के व्यक्तित्व बताए हैं – अंतर्मुखी और बहिर्मुखी। वर्तमान समय में युंग वर्गीकरण सर्वोत्तम माना जाता है।
(1) अंतर्मुखी व्यक्तित्व (इंटरोवर्ट पर्सनैलिटी)
युंग के अनुसार अंतर्मुखी व्यक्तित्व प्रधान व्यक्ति आत्म केंद्रित होता है जो समाज के मध्य रहना पसंद नहीं करते। प्रायः यह लज्जाशील, अव्यवहारिक जीवन में अकुशल होते हैं। इन्हें हंसी मजाक पसंद नहीं होती। इनके भी दो प्रकार हैं :
विचार प्रधान व्यक्तित्व : ये व्यक्ति समाज में अलग रहकर चिंतन करना पसंद करते हैं। आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखते हैं। वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को सुलझाने के लिए चिंतन करते हैं। जिज्ञासु प्रकृति के होते हैं।
(१) तर्क प्रधान व्यक्ति : दार्शनिक, तत्ववेता होते हैं।
(२) अंतर्दृष्टि प्रधान व्यक्ति : संत, महात्मा जैसे गुरु नानक, कबीर, महमूद शाह आदि को इस श्रेणी में रखा जा सकता है जो स्वयं प्रकाश का मार्ग प्राप्त कर दूसरों को मुक्ति का मार्ग बताते हैं।
भाव प्रधान व्यक्तित्व : भाव प्रधान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति निराशावादी,अस्थिर, व्यवहार में कुशल नहीं होते हैं। परिणाम स्वरुप जीवन में परेशानियों का सामना करते हैं। पारिवारिक जीवन में असंतुष्ट रहते हैं। यह दो प्रकार के हैं :
(१) तर्क प्रधान व्यक्ति : तार्किक दृष्टिकोण से अपने विचारों को प्रदर्शित करने वाले व्यक्ति इस श्रेणी में आते हैं।
(२) अंतर्दृष्टि प्रधान व्यक्ति : स्वयं सत्य को पहचान कर संसार को सत्य का मार्ग प्रदर्शित करने वाले व्यक्ति इस श्रेणी में आते हैं। ये महान पुरुष होते हैं।
(2) बहिर्मुखी व्यक्तित्व (एक्स्ट्रोवर्ट पर्सनैलिटी)
बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति समाज के कार्यों में भाग लेने का प्रयास करते हैं। ये लोग व्यवहारिक जीवन में कुशल, दूसरों को सदैव प्रसन्न करने का प्रयास करने वाले एवं आशावादी प्रकृति के होते हैं। स्वयं की वेशभूषा, योग्यता आदि से दूसरों पर अपना वर्चस्व जमाने का प्रयास करते हैं। बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं :
विचार प्रधान व्यक्तित्व : व्यवहारकुशल, वातावरण से शीघ्रता से समायोजन करने वाले, जीवन भर सुखमय जीवन बिताने का अवसर प्राप्त करने वाले होते हैं। इनका चेतन मन स्वार्थ रहित किंतु अचेतन मन स्वार्थी होता है। इन के दो प्रकार हैं :
(१) तर्क प्रधान व्यक्ति : जैसे डॉक्टर, वकील आदि इस प्रकार के व्यक्ति हैं।
(२) अंतर्दृष्टि प्रधान व्यक्ति : अपनी नीति के अनुसार अच्छे कार्य करना पसंद करते हैं, तर्क करना व्यर्थ समझते हैं। जैसे नेपोलियन, हिटलर आदि इसी प्रकार के व्यक्ति थे।
भाव प्रधान व्यक्तित्व : यह लोग कल्पना प्रधान होते हैं। परिवर्तनशील प्रकृति वाले होते हैं। भावों के आधार पर विचारों का निर्णय लेते हैं। इनके दो प्रकार हैं :
(१) तर्क प्रधान व्यक्ति : विचारों को तार्किक दृष्टि से प्रयुक्त न कर, स्वयं ही अच्छे अच्छे कार्य करते हैं।
(२) अंतर्दृष्टि प्रधान व्यक्ति : यह प्राय कल्पना प्रधान होते हैं।
युंग के उपर्युक्त दो प्रकार के व्यक्तित्व के साथ ही एक तीसरे प्रकार का व्यक्तित्व भी बताया है उभयमुखी व्यक्तित्व। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले अंतर्मुखी व बहिर्मुखी दोनों प्रकार के गुणों वाले व्यक्ति होते हैं अर्थात इनमें कुछ विशेषताएं अंतर्मुखी कि और कुछ विशेषताएं बहिर्मुखी की होती है।
यथार्थवादी, वास्तविकतावादी होते हैं। कभी-कभी इनमें अनिश्चितता का भाव भी देखा जा सकता है। वास्तविकता तो यह है कि शुद्ध रूप में न पूर्ण अंतर्मुखी मिलते हैं और न पूरी तरह बहिर्मुखी।
अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व में अंतर
युुंग के अनुसार अंतर्मुखी व्यक्तित्व और बहिर्मुखी व्यक्तित्व की अलग-अलग निम्न विशेषताएं हैं :
अंतर्मुखी व्यक्तित्व की विशेषताएं
व्यक्ति अपने में ही मस्त रहते हैं। यह एकांत प्रिय तथा एकांकी होते हैं। सामाजिकता का इनमें अभाव होता है। अंतर्मुखी कम बोलने वाले, लज्जाशील तथा अपने काम से काम रखने वाले होते हैं। साहित्यिक तथा आध्यात्मिक विषयों के अध्ययन में रुचि रखते हैं। यह वर्तमान समस्याओं पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित करते हैं।
विचार प्रधान तार्किक अंतर्मुखी व्यक्ति होते हैं जो निरंतर सत्य की खोज में रहते हैं। विचार प्रधान दिव्य दृष्टि युक्त अंतर्मुखी व्यक्ति होते हैं जो परम सत्य को प्राप्त करने हेतु दिव्य दृष्टि का विकास करने की चिंता करते हैं। महात्मा, दयानंद, बुद्ध, ईसा मसीह आदि इस श्रेणी में आते हैं। कबीर का व्यक्तित्व अंतर्मुखी प्रकार का था।
ये स्वभाव से संदेही तथा शंकालु होते हैं और अपनी वस्तुओं तथा कष्टों के प्रति सदैव सजग रहते हैं। मनोविनोद करना इन्हें पसंद नहीं है तथा दूसरों के साथ हंसी मजाक में भाग भी नहीं लेते हैं।
यह भविष्य की योजनाओं को प्राथमिकता देते हैं और आदर्शवादी विचारों को भी प्राथमिकता देते हैं। एकांत प्रिय, समाज से दूर, सामाजिकता का अभाव। आत्म प्रशंसा सुनने में रुचि नहीं। आदर्शवादी हैं। दर्शन विज्ञान में रुचि रखते हैं।
बहिर्मुखी व्यक्तित्व की विशेषताएं
बहिर्मुखी अत्यंत सामाजिक तथा वाचाल होते हैं और दूसरों के साथ बड़ी जल्दी ही मित्रता स्थापित कर लेते हैं। यह अत्यंत ही मनोविनोदी तथा मस्त रहने वाले होते हैं और काफी यथार्थवादी, धैर्यवान तथा कार्यशील होते हैं। वातावरण से शीघ्र प्रभावित होते हैं। रूढ़िवादी होते हैं। इनका चेतन मन स्वार्थ रहित होता है और विचार प्रधान तार्किक बहिर्मुखी अपना जीवन प्रधान कार्य में व्यतीत करते हैं। जैसे वकील, शिक्षक, नेता आदि। भाव प्रधान बहिर्मुखी कल्पना प्रधान होते हैं और यह गुण स्त्रियों में पाया जाता है।
बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति आत्म प्रदर्शन में रुचि तथा दूसरों का ध्यान स्वयं की ओर आकृष्ट करने की इच्छा रखते हैं। आनंद पूर्वक जीवन बिताना चाहते हैं और सुंदर पोशाक पहनकर व स्वयं की प्रशंसा सुनना चाहते हैं। यह यथार्थवादी होते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के कितने प्रकार हैं?
उत्तर : शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार : शेल्डन ने शरीर संरचना के आधार पर 3 प्रकार बताए हैं :
1. गोलाकार (एण्डोमार्फीक) – मोटे, कोमल व हंसमुख व्यक्तित्व वाले।
2. आयताकार (मिसोमार्फीक) – भारी, मजबूत शरीर व्यक्तित्व वाले।
3. लंबाकार (एक्टोमार्फीक) – लंबे शरीर वाले किंतु अत्यधिक उत्तेजना युक्त शक्तिहीन व्यक्तित्व वाले।युंग ने व्यक्तित्व के कितने प्रकार बताये?
उत्तर : युंग ने व्यक्तित्व के 2 प्रकार बताये है: अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व।
युंग के व्यक्तित्व सिद्धांत को क्या कहा जाता है?
उत्तर : युंग के व्यक्तित्व सिद्धांत को विश्लेषणात्मक सिद्धांत या विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के रूप में जाना जाता है।