इस आर्टिकल में मानसिक आयु की अवधारणा, मानसिक आयु कैसे निकालें, बुद्धि लब्धि की अवधारणा, टर्मन और कामथ का बुद्धि लब्धि का वर्गीकरण, बुद्धि लब्धि कैसे निकाले, बुद्धि लब्धि का सूत्र, बुद्धि लब्धि की स्थिरता आदि टॉपिक पर चर्चा की गई है।
आधुनिक बुद्धि मापन का इतिहास
आधुनिक विधि से बुद्धि मापन 1875 से प्रारंभ होता है, जब केटल तथा गाल्टन जैसे विद्वानों ने व्यक्तिगत विभिन्ताओं को मान्यता दी। 1879 में विलियम्स वुंट ने जर्मनी के लिपजिंग नामक शहर में सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना की जिसकी प्रेरणा से एबीगहास तथा पीयरसन आदि बुद्धि परीक्षण का कार्य प्रारंभ किया।
फ्रांस में सन् 1905 मे अल्फ्रेड बिने (Alfred Binet) यह पता लगाना चाहते थे कि फ्रांस में छात्रों के परीक्षा परिणाम क्यों गिरते जा रहे हैं ? वह जानना चाहते थे कि वह कौन सी योग्यता है जिसके कारण सफलता या असफलता प्राप्त होती है ? अतः 30 प्रश्नों वाला उन्होंने प्रथम बुद्धि परीक्षण बनाया।
बिने ने सर्वप्रथम मानसिक आयु (Mental Age) ज्ञात करने का प्रत्यय दिया। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Satavin Ford University) के टरमन ने बिने के बुद्धि परीक्षण में संशोधन करें इसका नाम स्टैनफोर्ड-बिने टेस्ट (Satavin Ford-Binet Test) रखा। 1937 में मैरिल की सहायता से टरमेन ने इसे पुनः संशोधित किया और इसका नाम ‘टरमैन – मैरिल स्कैल’ रखा। बर्ट ने इसी आधार पर एक परीक्षण बनाया।
मानसिक आयु की अवधारणा
मानसिक आयु का निर्धारण बुद्धि परीक्षाओं (Intelligence Test) के आधार पर किया जाता है अर्थात कोई बालक बुद्धि परीक्षा के प्रश्नों को कितना सही हल कर पाता है उसके आधार पर उसकी मानसिक आयु जानी जाती है।
वास्तव में बालक के मानसिक विकास और उसकी शारीरिक आयु का पारस्परिक संबंध ही बुद्धि मापन का आधार होता है। किसी भी एक आयु विशेष के बालक की मानसिक आयु उतने ही वर्ष की हो जितनी उस बालक की वास्तविक उम्र है – ऐसा नहीं है।
मानसिक आयु कैसे निकालें
10 वर्ष का बालक यदि उस बुद्धि परीक्षण को हल कर सकता है जो 12 वर्ष के बालकों के लिए बनाया गया है तो उसकी मानसिक आयु 12 वर्ष होगी। मानसिक आयु का अर्थ उस आयु से है जो बुद्धि या मानसिक परीक्षण से निर्धारित होती है। बिने ने जो मानसिक आयु ज्ञात करने का प्रत्यय दिया उसमें उसने मानसिक आयु की गणना में त्रुटियां होने की संभावनाएं थी। अतः मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि लब्धि का विचार दिया।
बुद्धि लब्धि की अवधारणा
बुद्धि लब्धि (Intelligence Quotient) I.Q. का संबंध बालक की मानसिक आयु से होता है। पहले मानसिक परीक्षा के आधार पर बालक की मानसिक आयु का निर्धारण किया जाता है। तत्पश्चात उसे बुद्धि लब्धि में बदल दिया जाता है।
1908 में बिने ने मानसिक आयु (Mental age) का सर्वप्रथम विचार दिया। बिने का मानसिक आयु से तात्पर्य उस आयु सेे था जो बुद्धि या मानसिक परीक्षणों के परिणामों के औसत से प्राप्त होती है।
टरमन नेे बिने के मानसिक आयु के विचार को स्वीकार किया और बुद्धि लब्धि ज्ञात करने हेतु निम्न सूत्र का आरंभ में प्रयोग किया था :
बुद्धि लब्धि का सूत्र = मानसिक आयु / वास्तविक आयु
बुद्धि लब्धि सूत्र के जन्मदाता/जनक
टर्मन के बुद्धि लब्धि सूत्र में सबसे बड़ा दोष यह था कि बुद्धि लब्धि प्रायः अपूर्ण संख्याओं अर्थात् दशमलव में आती थी। स्टर्न (Sturen) ने इस दोष को दूर करने हेतु निम्न सूत्र के द्वारा बुद्धि लब्धि ज्ञात की।
बुद्धि लब्धि = मानसिक आयु/वास्तविक आयु×100
I.Q. = Mental Age/Chronological Age×100
बुद्धि लब्धि कैसे निकाले
उदाहरण : यदि किसी बालक की वास्तविक आयु 12 वर्ष है और वह 15 वर्ष के बालक के समान प्रश्नों को हल कर लेता है तो सूत्र के अनुसार उसकी बुद्धि लब्धि इस प्रकार होगी –
I.Q. = M.A. 15/C.A. 12 ×100 = 125 अर्थात बुद्धि लब्धि (I.Q.) = 125 है।
इस प्रकार बुद्धि लब्धि किसी बालक की वास्तविक आयु और उसकी मानसिक आयु के मध्य एक प्रकार अनुपात है जिसे 100 से गुणा करके एक विशेष पैमाने की इकाइयों में परिवर्तित कर दिया जाता है। किसी बालक की बुद्धि लब्धि जीवन भर एक जैसी नहीं रहती है।
मानसिक आयु का विकास वास्तविक आयु के साथ साथ होता है। बुद्धि लब्धि का अपना एक विशिष्ट वितरण है। सर्वप्रथम टर्मन (Terman) और मैरील (Merrill) ने छात्रों पर प्रयोग करके बुद्धि लब्धि का विभाजन किया था। बाद में कामथ ने भारत की परिस्थितियों के अनुसार इस वितरण को ज्ञात किया जो निम्न है।
टर्मन के अनुसार बुद्धि लब्धि वर्गीकरण ; बुद्धि लब्धि चार्ट
बुद्धि लब्धि | व्यक्ति की श्रेणी |
25 से कम | जड़ (Idiots) |
25 से 50 | मूड (Imbeciles) |
50 से 70 | मूर्ख (Morons) |
70 से 80 | क्षीण बुद्धि (Feeble minded) |
80 से 90 | मंदबुद्धि (Dull) |
90 से 100 | सामान्य (Average) |
100 से 125 | उच्च बुद्धि (Superior) |
125 से 140 | अत्ति उच्च बुद्धि (Very Superior) |
140 से अधिक | प्रतिभाशाली (Genious) |
अन्य विद्वानों ने भी अपने-अपने अन्य इसी प्रकार के वर्गीकरण प्रस्तुत किए किंतु इन सभी वर्गीकरण से एक सामान्य बात स्पष्ट है की जिसकी बुद्धि लब्धि अधिक होगी, वह उतना ही अधिक योग्य होगा।
बुद्धि लब्धि की स्थिरता (Stability of I.Q.)
प्रायः यह माना जाता है कि जैसे जैसे बालक की आयु बढ़ती जाती है उसका मानसिक विकास भी वैसे वैसे ही बढ़ता जाता है किंतु ऐसा पूरे जीवन भर नहीं होता। वास्तव में आरंभिक वर्षों में मानसिक विकास बड़ी तेजी के साथ होता है उसके बाद उसकी गति मंद हो जाती है।
15 वर्ष से 18 वर्ष के मध्य किशोर (Adult) का पूर्ण विकास हो चुका होता है और करीब 40 वर्ष की अवस्था तक मानसिक विकास (Mental Development) स्थिर रहता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यद्यपि बालक के मानसिक विकास में परिवर्तन होता रहता है फिर भी उसकी बुद्धि लब्धि स्थिर रहती है, उसमें परिवर्तन नहीं होता है।
कुछ मनोवैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि अनेक कारणों से बुद्धि लब्धि में परिवर्तन हो जाता है। अधिकांश शोध अध्ययनोंं के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है कि काल और वातावरण के अनुसार बुद्धि लब्धि में परिवर्तन होता है, यद्यपि यह परिवर्तन बहुत अधिक नहीं होता है। अधिकांश मनोवैज्ञानिकों की यही मान्यता है की बुद्धि लब्धि प्रायः स्थिर रहती है।
उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है की बुद्धि लब्धि की सीमा वंशानुक्रम (Heredity) निर्धारित करता है किंतु वातावरण उसके पूर्ण विकास की संभावनाएं प्रस्तुत करता है तथा आयु के साथ साथ बुद्धि लब्धि में थोड़ा परिवर्तन होता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एक 10 वर्षीय बालक की मानसिक आयु 12 है तो उसकी बुद्धि लब्धि होगी?
उत्तर : एक 10 वर्षीय बालक की मानसिक आयु 12 है तो उसकी बुद्धि लब्धि 12/10×100 = 120 होगी।
मानसिक आयु का प्रत्यय किसने दिया?
उत्तर : अल्फ्रेड बिने ने मानसिक आयु का प्रत्यय किसने दिया था।
बुद्धि को मापने में मानसिक आयु की जगह बुद्धि लब्धि का प्रयोग किसने किया?
उत्तर : सर्वप्रथम विलियम स्टर्न ने बुद्धि के मापन के लिए मानसिक आयु की जगह बुद्धि लब्धि के प्रयोग का सुझाव दिया।