अधिगम निर्योग्यता का अर्थ, विशेषताएं, प्रकार, लक्षण और निदान
अधिगम अक्षमता को अधिगम अशक्तता, सीखने की विकलांगता, अधिगम निर्योग्यता, पढ़ने की अक्षमता या पढ़ने की असमर्थता भी कहा जाता है।
अधिगम निर्योग्यता का अर्थ
अधिगम निर्योग्यता का तात्पर्य सीखने की क्षमता अथवा योग्यता की कमी या अनुपस्थिति से है। अधिगम अक्षमता के लिए मार्गन (1896) ने ‘दृष्टिहीनता’, बिर्क (1957) ने ‘प्रमस्तिष्कीय प्रभुत्व का शिक्षण पर प्रभाव‘, सैमुअल किर्क (1962) ने ‘अधिगम अक्षमता‘ और जॉनसन एवं माइकल (1967) ने ‘स्नायु संबंधी विकार‘ शब्द का प्रयोग किया।
अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1962 में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था। किर्क ने अधिगम अक्षमता को वाक्, भाषा, पठन, लेखन या अंकगणितीय संक्रियाओं में किसी एक या एक से अधिक में मंद, विकृति या अवरुद्ध विकास के रूप में परिभाषित किया।
अधिगम निर्योग्यता (Learning Disability) |
अधिगम अक्षमता उस स्थिति को कहते हैं जहां व्यक्ति की योग्यता एवं उपलब्धि में एक स्पष्ट अंतर हो। यह अंतर संभवतः स्नायुजनित होता है।
सैमुअल किर्क ने कहा कि अधिगम अक्षमता सिर्फ शैक्षिक न्यूनता नहीं है। यह न्यूनतम मस्तिष्कीय क्षतिग्रस्तता, पढ़ने की दक्षता में समस्या, अति क्रियाशील का आदि जैसे गुणों का समूह है। जो बालक इन सारे गुणों से संयुक्त रूप से पीड़ित है वह अधिगम अक्षम बालक है।
अधिगम अक्षमता बालकों की औसत के करीब बुद्धि लब्धि होने के बावजूद भी शैक्षणिक उपलब्धि स्तर में पिछड़ापन देखने को मिलता है। इन बालकों में सोचने, समझने, सुनने, चिंतन करने, याद करने, प्रशिक्षण करने और नकल करने जैसे दोष होते हैं। जिनके कारण शैक्षिक निष्पादन से जुड़ी विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
शैक्षिक निष्पादन से जुड़ी समस्याएं – लिखना, पढ़ना, नकल करना, भाषा व वाणी संबंधी दोष, गणितीय संप्रत्यय को समझने में कठिनाई।
Note – अधिगम अक्षमता व्यक्ति की मानसिक बीमारी, आर्थिक स्थिति एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की वजह से नहीं होती है।
अधिगम निर्योग्यता की विशेषताएं /लक्षण
1. अधिगम निर्योग्यता आंतरिक होती है।
2. इसका स्वरूप स्थाई होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन रह सकती है।
3. यह एक विकृतियों का समूह है।
4. अधिगम निर्योग्यता एक जैविक समस्या है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्य विरूपता से जुड़ी है।
5. अधिगम निर्योग्यता एक मनोवैज्ञानिक समस्या है।
6. अधिगम निर्योग्यता/अक्षमता (लर्निंग डिसेबिलिटी) को भारत में कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है और जनगणना में अधिगम अक्षमता को आधार नहीं बनाया जाता। नि:शक्तजन (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 में वर्णित 7 प्रकार की विकलांगता में यह शामिल नहीं है।
7. योग्यता और उपलब्धि में स्पष्ट अंतर।
8. मस्तिष्क की सामान्य कार्य प्रणाली बाधित नहीं होती है।
अधिगम निर्योग्यता बालकों की विशेषताएं
अधिगम निर्योग्यता वाले बच्चे की पहचान
1. इस प्रकार के बालक औसत या उससे कम बुद्धि लब्धि प्राप्तांक वाले होते हैं।
2. इस प्रकार के बालक सामान्य और सामान्य से थोड़ा कम सोचने एवं तर्क करने की योग्यता रखते हैं।
3. औसत विद्यालय ऊपर विधि से निम्न का प्रदर्शन करते हैं।
4. इस प्रकार के बालकों में निष्पादन संबंधी कठिनाइयां आती हैं।
5. बिना सोचे विचारे कार्य करते हैं।
6. उपयुक्त आचरण नहीं करते।
7. निर्णय लेने का अभाव एवं स्वयं के प्रति लापरवाही।
8. लक्ष्य से आसानी से विचलित हो जाते हैं।
9. सामान्य आवाज एवं दृश्यों के प्रति आकर्षण।
10. क्षीण स्मरण शक्ति का होना।
11. पाठ्य सहगामी गतिविधियों में शामिल नहीं होते है।
12. एक ही स्थिति में शांत व स्थिर रहने की असमर्थता पाई जाती है।
13. इस प्रकार के बालकों में भावात्मक अस्थिरता पाई जाती है।
14. बिना बाहरी हस्तक्षेप के अन्य गतिविधियों में भाग नहीं लेते है।
15. सामान्य कार्य को करने के लिए भी एक से ज्यादा बार प्रयास करना पड़ता है।
16. इस प्रकार के बालकों में गामक क्रियाओं में बाधा उत्पन्न होती है।
17. इस प्रकार के बालकों में प्रत्यक्षीकरण संबंधी दोष पाएं जाते हैं।
18. मनोभावों का जल्दी जल्दी बदलना अर्थात् मूड स्विंगस।
सिखने की विकलांगता के कारण
1. अनुवांशिकता
2. जन्म पूर्व कारक
3. मस्तिष्किय संरचना में दोष
4. पर्यावरणीय कारक
5. जैविक कारक
6. संज्ञानात्मक प्रक्रिया दृष्टिकोण
अधिगम निर्योग्यता के प्रकार
अधिगम निर्योग्यता के प्रकार निम्नलिखित हैं –
1. डिस्लेक्सिया (पठन संबंधी विकार)
2. डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
3. डिस्कैलकुलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
4. डिस्फैसिया (वाक् संबंधी विकार)
5. डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार, गतिक कौशल में अधिगम निर्योग्यता)
6. डिसऑर्थोग्राफिया (वर्तनी संबंधी विकार)
7. अफेसिया (ऑडिटरी प्रोसेशिंग डिसऑर्डर) (श्रवण संबंधी विकार)
8. हाइपरलेक्सिया (विजुअल परसेप्शन डिसऑर्डर) (दृश्य प्रत्यक्षण संबंधी विकार)
9. सेंसरी इंटिग्रेशन एंड प्रोसेशिंग डिसऑर्डर (इंद्रीय समन्वय क्षमता संबंधी)
10. ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसऑर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी)
1. डिस्लेक्सिया (पठन संबंधी विकार)
शाब्दिक अर्थ – कठिन भाषा
खोज – जर्मनी के नेत्र विशेषज्ञ रुडोल्फ बर्लिन (1887)
दूसरा नाम – शब्द अंधता
कारण – जीन्स (genes) और दिमागी कार्यों में अंतर के कारण
लक्षण – 1. यह भाषा के लिखित, मौखिक एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है।
2. इसमें बालक पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप कर जाता है।
3. शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम आगे-पीछे कर पढ़ता है जैसे – नाक को कान या पपीता को पीता पढ़ता है।
4. समान उच्चारण ध्वनि को पहचान नहीं पाता है।
पहचान हेतु परीक्षण – 1. बोर्ड टेस्ट ऑफ रीडिंग – स्पेलिंग पैटर्न (1973) – एलेना बोड द्वारा
2. डिस्लेक्सिया अर्ली स्क्रींनिंग टेस्ट – भारत में
3. डिस्लेक्सिया स्क्रींनिंग टेस्ट – भारत में
उपचार – डिस्लेक्सिया (अपठन) का पूर्ण उपचार असंभव। उचित शिक्षण अधिगम द्वारा स्तर में सुधार किया जा सकता है।
2. डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
लक्षण – 1. लेखन क्षमता प्रभावित
2. वर्तनी संबंधी कठिनाई, खराब हस्तलेखन
3. लिखते समय स्वयं से बातें करना
4. स्वयं के विचारों को लिपिबद्ध करने में कठिनाई
5. अपूर्ण अक्षर या शब्द लेखन
6. अपठनीय हस्तलेखन
7. लाइनों के उपर नीचे लिखे जाना तथा शब्दों के बीच में ज्यादा स्थान छोड़ना।
8. पेन / पेन्सिल को कागज के बहुत निकट से पकड़ना
9. अशुद्ध वर्तनी के साथ अनियमित रूप और आकार वाले शब्दों को लिखना
उपचार – लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करवाना।
3. डिस्कैलकुलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
उपनाम – विकासात्मक गणितीय समस्या
लक्षण – 1. अंकगणितीय संक्रियाओं को समझने में कठिनाई
2. अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परीणाम निकालना
3. गिनने के लिए उंगलियों का प्रयोग करना
4. दिशा ज्ञान का अभाव
5. नगद भुगतान से डरना
6. समय सारणी बनाने में कठिनाई
कारण – 1. मस्तिष्कीय ग्रंथी कार्टेक्स की कार्य विरूपता
2. कार्यकारी स्मृति का अभाव
3. तार्किक चिंतन क्षमता का अभाव
उपचार – उचित शिक्षण अधिगम पद्धति अपनाकर। गणित में सीखने की अक्षमता का आकलन नैदानिक परीक्षण (Diagnostic Test) द्वारा उचित रूप से किया जा सकता है।
4. डिस्फैसिया (वाक् संबंधी विकार)
शाब्दिक अर्थ (ग्रीक) – वाक् अक्षमता
लक्षण – विचार एवं अभिव्यक्ति के समय कठीनाई
कारण – मस्तिष्क का क्षतिग्रस्त हो जाना (ब्रेन डैमेज)
5. डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
लक्षण – बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
6. अफेसिया (ऑडिटरी प्रोसेशिंग डिसऑर्डर) (श्रवण संबंधी विकार)
लक्षण – 1. इसमें बालक शुद्ध उच्चारणों का ठीक वैसा ही उच्चारण करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
2. स्वर ध्वनि को पहचानने और उसमें विभेद करने और दोहराना करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
3. श्रवण संबंधित विकारों, उच्चारण दोषों, मातृभाषा से अलग भाषा में अध्ययन करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
यह भी पढ़ें – मानसिक रूप से विकलांग बालक
अधिगम निर्योग्यता के उपचार हेतु विधियां
1. व्यवहारिक निर्देशन विधि (स्टेफेन्सर 1970)
2. संज्ञानात्मक व्यवहार परिमार्जन
3. वैयक्तिक शैक्षिक कार्यक्रम (IEP)
Frequently Asked Questions (FAQ)
- Ans. अधिगम निर्योग्यता सीखने की क्षमता अथवा योग्यता की कमी या अनुपस्थिति है। इसमें व्यक्ति की योग्यता एवं उपलब्धि में स्पष्ट अंतर होता है।
- Ans. गतिक कौशलों में अधिगम निर्योग्यता डिस्प्रेक्सिया कहलाती है। इसके अंतर्गत बालक में लेखन और चित्रांकन (कौशल और सृजनात्मक) संबंधी विकार होते हैं।
- Ans. पढ़ने की अक्षमता को डिस्लेक्सिया कहा जाता है। डिस्लेक्सिया भाषा के लिखित, मौखिक एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है। इसमें छात्र पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप और शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम आगे-पीछे करके पढ़ता है।
- Ans. डिस्केलकुलिया गणितीय कौशल संबंधी विकार होता है। इसमें व्यक्ति अंकगणितीय संक्रियाएं को समझने में कठिनाई तथा अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम निकालता है।
- Ans. पढ़ने की अक्षमता को डिस्लेक्सिया तथा लिखने की अक्षमता को डिस्ग्राफिया कहा जाता है।
- Ans. पठन अयोग्यता व्यक्ति के जींस और दिमागी कार्यों में अंतर के कारण होता है।
- Ans. अफेज्या व्यक्ति में श्रवण संबंधित विकार होता है। इसमें शुद्ध उच्चारण, ध्वनि को पहचानने, उच्चारण में दोष आदि आते हैं। जिसके कारण व्यक्ति ठीक तरह से संप्रेषण नहीं कर पाता है।